ब्रह्माण्ड की तीन आदि शक्तियां महालक्ष्मी-महासरस्वती और महाकाली जिन्हें त्रिपिण्ड माता वैष्णों शक्ति कहा गया है, इन तीनों शक्तियों को आत्मसात करने से इच्छा शक्ति, ज्ञान शक्ति और कर्म शक्ति का विस्तार होता तब ही जीवन श्रेष्ठ बनता है। मनुष्य अपने जीवन में तीनों शक्तियों से युक्त होता हुआ धर्म, अर्थ और काम में पूर्णता प्राप्त करने के साथ ही उसे जीवन में पूर्ण भाव, परमभाव प्राप्त हो पाता है। यह त्रि-शक्तियां ही जीवन के सभी क्षेत्रों में पूर्णता प्रदान करती हैं, जिससे सांसारिक जीवन सुस्थितियां युक्त पूर्णरूपेण गतिशील व सक्रियमय बन पाता है। त्रि-शक्ति का आह्वान करने से माता वैष्णो देवी साधक को सगुण व निर्गुण रूप में उपस्थित होकर सहयोग करती हैं।
अत: अपने अन्दर राक्षस प्रवृत्ति को समाप्त कर त्रि-शक्ति देवत्व चेतना का समावेश करने ls त्रि-शक्ति स्वरूपा देवी महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती के आह्वान से ही हमारे अन्दर देव गुण जाग्रत हो पायेंगे। इस दीक्षा को चन्द्रोदय शक्ति युक्त नवरात्रि जगन्नाथ रथ यात्रा योग दिवस दुर्गाष्टमी व देवशयनी एकादशीमय पंच पर्व जो कि 19 जून से 29 जून के ये एकादश दिवस पर्व उक्त दीक्षा आत्मसात करने से सुलक्ष्मीयों युक्त धन, सम्पदा, ऐश्वर्य, कीर्ति, बल, वीर्य, ओज, ज्ञान, आनन्द, प्रेम, वात्सल्य, सकल पदार्थ उपलब्ध होते हैं।
अत: गुरू को अपने जीवन में धारण करना यानि देवत्व का आह्वान व जागरण करना होता है जो कि जीवन का सौभाग्य है।
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