राम, कृष्ण, अर्जुन, विवेकानंद, शिवाजी महाराज आदि प्रेरणादायक महान पुरुषों को विराट व्यक्तित्व बनाने में उनके गुरु का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। गुरु मनुष्य को उसके वास्तविक सामर्थ्य और क्षमता का बोध कराते हैं, साथ ही शिष्य को उसकी न्यूनताओं व विषमताओं के साथ अपनाते भी हैं। शिष्य की अज्ञानता, विकार, अवगुण व दोषों को धीरे-धीरे समाप्त करते हुए, उसकी भौतिक-आध्यात्मिक कामनाओं की पूर्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। सदा कृष्ण की भांति शिष्य के अज्ञान, असफल और अहंकार युक्त जीवन को श्रेष्ठ, सफल बनाने वाली क्रियाओं का आश्रय लेते हैं, इसके लिए उन्हें शिष्य का सारथी ही क्यों ना बनना पड़े? गुरु गूढ़ रूप से शिष्य को आत्म-ज्ञान प्रदान करते हैं, आन्तरिक रूप से व्याप्त अन्धकार को दूर करने में सहायक होते हैं। शारीरिक रोग का निदान तो चिकित्सक के चिकित्सा व परामर्श से हो जाता है, परन्तु मन के विकारों की शुद्धता केवल गुरु कृपा, चिंतन, ध्यान और सानिध्य से ही संभव है।
वर्ष 2018 में परम पूज्य सद्गुरुदेव के सानिध्य में अनेकों साधनात्मक महोत्सव का आयोजन हुआ, हजारों-हजारों शिष्य साधनात्मक महोत्सव में भाग लेकर लाभान्वित हुए। ये सभी आयोजन आप सभी समर्पित, निष्ठावान कार्यकताओं के कठिन परिश्रम, इच्छा शक्ति व प्रभु निखिल के ज्ञान-विस्तार के प्रति आपकी परम श्रद्धा, भावना और समर्पण से ही सम्भव हो सका, आपके इस प्रेम भावना से मुझे प्रोत्साहन और एक नवीन ऊर्जा की अनुभूति होती है साथ ही यह निरन्तर सर्वजन हित के लिए कार्यरत रहने के लिए प्रेरित करता है। यही कारण है कि इस वर्ष भी अबाध गति से पत्रिका प्रकाशन एवं विशिष्ट धर्म स्थलों पर साधना महोत्सव का आयोजन हो सका है और आने वाले वर्ष में भी श्रेष्ठ, अविस्मणीय, देवत्व गुरुमय तीर्थ स्थलों पर उच्चकोटि की साधना महोत्सव का आयोजन होगा।
आप सभी पत्रिका, सामग्री, साधना महोत्सव और अपने भौतिक-आध्यात्मिक जीवन की उन्नति-प्रगति, मार्गदर्शन और कैलाश सिद्धाश्रम परिवार के विस्तार के लिए अपना सुझाव पत्र मुझे अवश्य लिखे, मैं व्यक्तिगत रूप से आपका मार्गदर्शन अवश्य ही करुंगा। हमारा सम्पूर्ण गुरु परिवार संगठित होकर ही सद्गुरुदेव निखिल द्वारा उद्घोषित स्वरूप को साकार कर सकते हैं और कैलाश सिद्धाश्रम को ज्ञान-भक्ति-कर्म-योग संगठन के रूप में विराटता की ओर अग्रसर कर सकते हैं।
हम सभी सुखी हों, सभी रोग मुक्त रहे, सभी मंगलमय स्थितियां के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागीदार न बनना पड़े।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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