भारत में विवाह को एक संस्कार माना जाता है और विवाह का अर्थ है एक-दूसरे के प्रति समर्पण। इस संस्कृति में विवाह के बाद मैं का भावना का लोप हो जाता है एवं हम की भावना का उदय होता है। इस संस्कृति में विवाह को जन्म-जन्मान्तर का सम्बन्ध समझा जाता है। गृहस्थ जीवन में पति की इच्छा पत्नी की इच्छा होती है एवं पत्नी की इच्छा पति की इच्छा होती है। ऐसा परिवार सर्व सुखमय होता है व परिवार का समाज में सदैव सम्मान होता है।
गृहस्थ जीवन की पूर्णता में ही भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही क्षेत्रों की सफलता समाहित है। भारतीय संस्कृति में गृहस्थ जीवन के आधार पर ही इन्द्रिय सुख की पूर्ति करते हुये सर्वोच्चता प्राप्त करने का वर्णन मिलता है। परन्तु इसके लिये पति-पत्नी के बीच आत्मिक प्रेम, मधुरता, सौम्यता, सौन्दर्यता, संतान सुख, आरोग्यता, सामंजस्य, एक-दूसरे के भावनाओं का सम्मान, धैर्य, संयम, त्याग, सहनशीलता अत्यंत आवश्यक है।
वर्तमान युग धर्म के अनुसार अधिकांश दम्पति अपने गृहस्थ जीवन में अनेक मतभेदों, विचार, विषय, क्रिया-कलाप आदि के कारण निराश, परेशान, दुःखी, संताप युक्त जीवन जी रहे हैं। इसके साथ ही संसार में व्याप्त कलुषितता, भय, घटना-दुर्घटना और अपने गृहस्थ जीवन में कर्तव्यों से भटकने का भाव पति-पत्नी दोनों के लिये विभेद व एंकाकीमय सी स्थितियों की वृद्धि हो रही है। इसका मूल कारण दाम्पत्य जीवन में स्वःसुख, स्वःहित की चाहत बढ़ती जा रही है।
करवा शक्ति का चैतन्य पर्व इन्हीं कलेश पूर्ण स्थितियों, व्यवहार व भावों को साधनात्मक क्रियाओं द्वारा समाप्त करने का पर्व है। करवा चतुर्थी व्रत सम्पन्न करने का मूल भाव यही है कि सांसारिक गृहस्थ जीवन में निरन्तर शक्ति, सौभाग्य, प्रेम, आनन्द, उच्चता प्राप्ति के लिये स्त्रीवत भाव को दैवीय चेतना शक्ति से आरूढ़ कर जीवन की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने की क्रिया व सावित्री सुहाग सौभाग्य शिव-शक्तिमय चैतन्यता से युक्त होना है।
इस दीक्षा द्वारा साधक-साधिका सावित्री सुहाग सौभाग्य, सौन्दर्य, सम्मोहन, संतान, आरोग्यता से युक्त हो सकेंगे, साथ ही कामदेव रति की चेतना से शारीरिक-मानसिक सुख प्राप्ति से अपने जीवन को कामना पूर्ति युक्त बना सकेंगे व पति-पत्नी के बीच स्नेह-सम्मान, विचार व भावों का आदर, सन्मार्ग व सुकर्म, मेल-जोल से दाम्पत्य जीवन सावित्री सीतामय शक्ति युक्त बन सकेगा। ये सभी क्रियायें दैवीय चेतना शक्ति के माध्यम से जीवन में प्राप्त हो सकेगी।
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