हिन्दी पंचाग के अनुसार चन्द्र मास का तीसरा माह ज्येष्ठ होता है, जिसकी चर्चा होते ही उच्च तापमान का चिंतन मानस में उभर आता है। पूर्व में भी वैशाख माह के पश्चात् ज्येष्ठ माह में तापमान उच्चतम होता था। परन्तु जलवायु परिर्वतन, पर्यावरण क्षय आदि कारणों से इसमें अभूतपूर्व वृद्धि हुयी है। आप जानते होंगे ज्येष्ठ माह में ही भागीरथी ने जीवनदायिनी माँ गंगा को पृथ्वी पर लाया था, जिसे गंगा दशहरा पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह सूचक है, कि उस समय भी अकाल कि स्थिति थी, जिसे परमपिता परमेश्वर ने भागीरथी गंगा के रूप में मानव-जीव कल्याण हेतु उपलब्ध किया।
जलवायु परिवर्तन सम्पूर्ण विश्व के लिये महत्वपूर्ण विचारनीय विषय है। धरती से घटता जल स्तर सभी जीवों के लिये घोर संकटकारी होगा। हमारे जोधपुर को तो पूर्व से ही सूर्य नगरी कहा जाता है, जहां पर भगवान सूर्य नारायण की विशेष कृपा है, यहां के जनमानस अधिकतम तापमान में रहने के अभ्यस्त हो गये हैं। परन्तु उच्चतम तापमान प्रत्येक व्यक्ति, जीव सभी के लिये अनिष्टकारी है। हम हमारे प्रयासों द्वारा समाज के लिये जो भी कर सकते हैं, उतना योगदान करना चाहिये। यह आवश्यक नहीं कि हम बहुत बड़ी शुरुआत कर परिवर्तन की हवा बदलें, हम अपनी सामर्थ्य अनुसार जो भी कर सकते हैं, करते रहना चाहिये, जल संरक्षण हमारे हाथ में हैं, इसे हम थोड़े से प्रयास द्वारा कर सकते हैं, पशु-पक्षी गर्मी के दिनों में सबसे अधिक पीडि़त होते हैं, उनके लिये अपनी छत पर जल रखें, दूर के यात्री, राहगीर आदि जल से व्याकुल होकर इधर-उधर भटकते हैं, आप उनके लिये मटके में शीतल जल रखें, उन्हें थोड़े से गुण के साथ शीतल जल प्रदान करें। यह आपकी मानवीय सेवा ईश्वर की बहुत बड़ी सेवा हो जाती है और ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों से आप बहुत बड़े पुण्य के भागीदार बन जाते हैं। इसके साथ ही आपको ऐसा करके आत्मिक प्रसन्नता अनुभव होगी, अपने आप में संतुष्टि अनुभव करेंगे। एक बार प्रयास करें सच्चे भाव, सच्चे हृदय से! ईश्वर, सद्गुरु नारायण आपके इस प्रयास से प्रसन्न होंगे और आप पर आशीष की वर्षा करेंगे।
इस माह 04 मई को देवर्षि नारद जयन्ती, 12 मई को शनि जयन्ती व वट सावित्री व्रत पड़ रहा है। इसी के साथ तीन वर्ष के अंतराल पर आने वाला पुरुषोत्तम माह इस वर्ष 16 मई से प्रारम्भ हो रहा है। जो साधनात्मक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। साधना, जप, दान, व्रत आदि कर्म पुरुषोत्तम माह में सम्पन्न करने से अक्षुण्ण फल प्राप्त होते हैं। वहीं 24 मई को गंगा दशहरा और 25 मई को पुरुषोत्तम कमला एकादशी भी है।
इन सभी दिवसों से सम्बन्धित लेख, साधना आदि प्रकाशित हो रहा है, जिसमें मुख्यतः देवर्षि नारद, पुरुषोत्तम माह महत्व, त्वं नमामि गंगे, छोटे शिशु को होने वाला अतिसार रोग से सम्बन्धित सावधानियां व सुझाव साथ ही मंगल, शनि, राहु के दोषों के निवारर्णाथ त्रि-दोष निवारण साधना, पुरुषोत्तममय चेतना से आप्लावित होने की क्रिया पुरुषोत्तम कमला साधना, सौभाग्य शक्ति में वृद्धि हेतु भाग्योदय साधना प्रकाशित हो रहा है। अपनी रूचि, प्रकृति और प्राथमिकता अनुरूप इन सभी क्रियाओं में भागीदार बने और अपने जीवन को ऊर्ध्वगामी बनायें।
आप सभी को यही शुभकामना है—!
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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