समाज में भ्रांति स्वरूप इन श्रेष्ठ उपायो को हेय दृष्टि से देखा जाता है, परन्तु सत्य यह है कि सियार सिंगी व्यापार वृद्धि के लिये अचूक व अत्यन्त फ़लदायी है, इसके प्रभाव से दुकान पर यदि किसी तरह का तंत्र बाधा, व्यापार बंधन हुआ हो तो वह शीघ्र ही समाप्त हो जाता है, साथ ही दुकान पर यदि ग्राहक ना आते हो, तो इसके प्रभाव से व्यापार गति पकड़ता है और वृद्धि की पूर्ण रूपेण स्थितियां निर्मित होती हैं। यह वशीकरण चेतना से युक्त है, जिसके द्वारा व्यापारी अपने व्यापार का कुशल नेतृत्व करने में सक्षम बन पाता है, ग्राहको को अपनी ओर आकर्षित करने में सफ़लता प्राप्त करता है। सियार सिंगी को होलिका दहन की रात्रि लाल कपड़े में बांध कर अपने दुकान के किसी कोने अथवा तिजोरी में रख दें। अगले वर्ष होलिका अग्नि में दहन कर पुनः दूसरा स्थापित करें।
शास्त्रों में एक मुखी रूद्राक्ष को पूर्णतः शिव तत्व कहा गया है, इसे ईश्वरीय शक्ति आत्मसात करने की उत्तम विधि बताया गया है। एक मुखी रूद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति आरोग्य शक्ति से आपूरित होता है, साथ ही यह सर्व कार्य सफ़लता प्रदायक है अर्थात् इंटरव्यू, मुकदमा, व्यापारिक डील, प्रशासनिक कार्यो में जाते समय व्यक्ति यदि इसे धारण करे तो वह शत-प्रतिशत सफ़ल होता ही है। यह सर्व उपद्रव संहारक है, इसके द्वारा सभी तरह के उपद्रव में शांति पूर्ण स्थितियां बनती है, व्यक्ति तनाव मुक्त, सौम्य, सरल, सुलझा हुआ रहता है। साथ ही यह स्थिर लक्ष्मी के लिये परमकारक है। एक मुखी रूद्राक्ष के माधयम से स्थिर लक्ष्मी की स्थितियां निर्मित होती हैं और व्यक्ति अनावश्यक खर्च से बचने की प्रेरणा से आपूरित होता है। जिससे धन संग्रहित करने में सहायता मिलती है
व्यक्ति के जीवन में कब, कहां विरोधी हावी हो जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता और इन विरोधी के कारण अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कहीं-कहीं कार्यस्थल, व्यापार आदि में भी अनेक शरारती तत्व बिना वजह के विरोधाभास की स्थितियां उत्पन्न करते हैं। हत्था जोड़ी दिव्य तांत्रोक्त वस्तु है, जिस पर अनेक प्रकार की साधनायें सम्पन्न की जाती हैं, परन्तु इसे यहां प्रकाशित करने का उद्देश्य विरोधी पर नियंत्रण करने से है, जिसके उपयोग से व्यक्ति अपने विरूद्ध हो रहे षड़यंत्रों, शत्रु पक्ष स्तम्भन, विरोधी तत्व को सम्मोहित करने की चेतना से आपूरित होता है और बिना मतलब के झमेलो से बचता हुआ प्रगति के मार्ग पर अग्रसर रहता है।
श्री हनुमान विघ्न विनाशक अर्थात् बाधाओं का हरण व भूत-प्रेत आदि आसुरी शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। दिव्यतम चैतन्य पारद हनुमान विग्रह के स्थापन से जादू-टोना, नजर दोष और मलिन शक्तियों का प्रवेश घर में नहीं होता है। साथ ही हनुमान वीरता, पराक्रम, दक्षता, बल, वीर्य, ओज, स्फ़ूर्ति, धौर्य, यश, निर्भयता, आरोग्यता, विवेक, वाक्पटुता इत्यादि महागुणों के प्रदाता हैं, इस दिव्य विग्रह के समक्ष प्रत्येक मंगलवार को हनुमान चालीसा के पाठ से साधक इन विशिष्ट गुणों से विभूषित होता है। विद्यार्थी विद्या अधययन, ज्ञान अर्जन में पूर्णता प्राप्त करने की ओर अग्रसर होते हैं, संतान पक्ष उत्तम संस्कार से युक्त होता है। होली महापर्व के चैतन्य अवसर पर इस दिव्यतम पारद विग्रह को स्थापित कर साधाक अपने जीवन को सर्व सुरक्षा युक्त प्रगति, उन्नति, वृद्धिमय बना सकेंगे।
यदि भाग्य प्रबल हो तो व्यक्ति के जीवन में कितनी भी विषम परिस्थिति क्यों ना आ जाये, कितनी भी बाधायें क्यो ना उसके मार्ग में अवरोध उत्पन्न करें, उसका कुछ भी अहित नहीं हो सकता है। भाग्य का मनुष्य जीवन में व्यापक प्रभाव है, एक शिक्षित, निपुण, योग्य व्यक्ति दर-दर की ठोकरे खाता है, वहीं अयोग्य, अनपढ़ सभी सुखों से युक्त जीवन का भोग करता है। यह भाग्य के कारण ही होता है। इसलिये भाग्यहीन को संसार का सबसे बेबस आदमी कहा गया है। लेकिन भाग्यहीन का जीवन भी संवर सकता है, इस तेजस्वी सूर्य कान्त मणि माला से जो प्रबल भाग्योदय का कारक है, सौभाग्य जागरण की चेतना स्वयंमेव समेटे यह दिव्य माला जीवन की दशा बदल देता है। जिसे धारण कर व्यक्ति सूर्य तेजस्वी शक्ति की चेतना से आपूरित होता है और उसके जीवन में प्रबल भाग्योदय की सुस्थितियां निर्मित होती हैं। जिससे वह अपने प्रत्येक लक्ष्य की ओर क्रियाशील होकर सफ़लता अर्जित करता है और अपने जीवन का सही रूप में भोग कर पाता है।
स्वर्णाकर्षण गुटिका आकस्मिक धन प्राप्ति के लिये अत्यन्त उपयुक्त विधान है, जो व्यक्ति शेयर मार्केट अथवा धन का निवेश विभिन्न माधयमो से करते हैं, उन्हें इस चैतन्य गुटिका का स्थापन अपने दुकान, घर के पूजा स्थान में करना ही चाहिये, साथ ही ऐसे व्यक्ति भी जो आकस्मिक धन प्राप्ति की इच्छा रखते हों, उन्हें भी स्वर्णाकर्षण गुटिका स्थापन करना चाहिये। यह गुटिका आकस्मिक धन प्राप्ति प्रबल योग निर्माता है, जिसके माधयम से धन की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता होती है और व्यक्ति की जहां पर कोई आस ना हो, वहां से भी धन प्राप्त करने में सफ़ल होता है।
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