भगवती सरस्वती को विद्यारूपिणी, ज्ञानदायिनी कहा गया है, जिनकी शक्ति को धारण कर ब्रह्म ने सभी वेद, उपनिषद, ग्रंथ, संसार की रचना की, जो प्राचीन समय में ऋषियों, मुनियों की आराध्या थीं, तो आज के संगीतकार, कवि, रचनाकार की भी आराध्या हैं, संसार के सभी ज्ञान मां सरस्वती से ही उत्पन्न होते हैं। सरस्वती की आराधना से ज्ञान शक्ति में वृद्धि होती है, संतान प्रतिभाशाली, कौशलपूर्ण, किसी भी कार्य में निपुण, चतुर, प्रगाढ़ स्मरण शक्ति, सुसंस्कारी और उच्चता को प्राप्त करने के लिये जीवट शक्ति से आपूरित होता है, जिसके माध्यम से उसका चित्त किसी विशेष कार्य को सम्पादित करने की दिशा में बढ़ता है। बंसत पंचमी के चेतनावान दिवस पर इस साधना को प्रत्येक विद्यार्थी को सम्पन्न करनी ही चाहिये, जिससे उन्हें विद्या द्दाति मातृ शक्ति का वरदहस्त प्राप्त हो और वे उच्च सफलता प्राप्ति के लिये निरंतर क्रियाशील हो सकें।
बंसत पंचमी पर प्रातः बेला में स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें, अपने सामने सरस्वती ऐं यंत्र का स्थापन कर, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें, पश्चात् नीचे दिये गये मंत्र का 27 बार जप करें।
जप पूर्ण होने पर भगवती सरस्वती से प्रार्थना करें, कि वे हमारे जीवन में सर्व ज्ञान, चेतना स्वरूप में विद्यमान हों तथा प्रतिदिन स्नान के पश्चात् 27 बार मंत्र जप कर अध्ययन प्रारम्भ करें। निश्चिन्त रूप से कुशाग्रता, ज्ञान, स्मरण शक्ति में वृद्धि होगी।
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