देव शक्तियों से आप्लावित बद्री नारायण के चैतन्य स्थल पर उपस्थिति आप सभी शिष्यों पर अमृत रूपी सद्गुरु कृपा की निरंतर वर्षा होती रहे, आप अपने जीवन में नारायणमय होकर स्वयं पालनकर्ता बन सकें, मैं आप सभी को यही शुभकामना प्रदान करता हूं——-!
देवभूमि पर आप सबने दिव्यतम साधनात्मक क्रिया सम्पन्न की, जो जीवन में अवर्चनीय, अविस्मरणीय क्षण है, यह अमृतमय महोत्सव जीवन को अमृतमय निर्मित करने के साथ ही सदा-सदा के लिये शिष्यों के चित्त पर अंकित हो गया है। जीवन में कुछ क्षण ही ऐसे होते हैं, जब हमारे जीवन में कोई अद्वितीय घटना, क्रिया सम्पन्न होती है, जो जीवन की पूंजीभूत स्वरूप हो, स्वर्ण हो, यह महोत्सव इसी रूप में निरंतर जाग्रत रहने वाले शिष्यो के कुण्डलिनी स्पंदन, पूर्ण कुण्डलिनी जाग्रत, चैतन्य साधनात्मक देवमय महोत्सव रहा, जिसे अन्तःस रूप से जाग्रत शिष्यों ने पूर्ण जीवन्त स्वरूप में आत्मसात किया, अनुभव किया है। अनेक शिष्यों ने मुझे बताया कि यह उनके जीवन की सर्वोच्च अनुभूति है, सहस्त्र चक्र कुण्डलिनी जागरण दीक्षा के पश्चात् उनका शरीर कई घण्टों तक गर्म रहा, जबकि 5, 6 डिग्री तापमान में ऐसा होना किसी भी स्थिति में संभव नहीं हो सकता।
कुण्डलिनी चक्र में स्पंदन होने व जब हमारे भीतर विशिष्ट शक्तिपात दीक्षा द्वारा शक्ति, ऊर्जा का प्रत्यार्पण हमारे शरीर के भीतर होता है, तो प्राण तत्व की चेतना जाग्रत होती है, जिसके कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है। यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनियो को सदा से हिमालय अपनी ओर आकर्षित करता रहा है और निरंतर सम्मोहित करता रहेगा। क्योंकि न्यूनतम तापमान में ही उनके शरीर को अनुकूल वातावरण उपलब्ध होता है।
अलकनंदा का पावन जल जीवनी शक्ति प्रदाता है, तो वहीं गणेश गुफा, व्यास गुफा जीवन में ज्ञान शक्ति को सुदृढ़ता, प्रगाढ़ता और वृद्धि करने में पूर्ण समर्थ है, साथ ही बद्री नारायण की चेतनावान भूमि आदि गुरु शंकराचार्य, परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद की तपोभूमि भी है, ऐसे दिव्यतम स्थल पर परम पूज्य सद्गुरुदेव व करूणामयी वंदनीय माता जी के सानिध्य में साधनात्मक पूजन को क्रियात्मक रूप से सम्पन्न करने वाले शिष्यों का यह पुण्योदय है, उनके जीवन के भाग्योदय की यह श्रेष्ठतम क्रिया थी, जो साधक जीवन का कायाकल्य कर पूर्ण सुखमय, आनन्द युक्त प्रदायक होगा।
अमृत महोत्सव के आयोजन व पंजीकरण कार्य में सभी प्रदेश, गांव, शहर से सहयोग प्रदान करने वाले शिष्यों का मैं हृदय भाव से धन्यवाद देता हूं, आप सभी के परिश्रम, श्रद्धा, श्रेष्ठतम भाव-चिंतन से यह महोत्सव अद्भुत आनन्द प्रदायक रूप में सम्पन्न हुआ। बद्री नारायण की दिव्यतम शक्तियों से आप सभी का जीवन आप्लावित हो साथ ही आप निरंतर नारायणमय रूप में निखिल ज्ञान की क्रिया लेकर गतिशील रहें, यही शुभकामना प्रदान करता हूं।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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