ऐसा होना भी आवश्यक है क्योंकि भगवान श्री राम ने पूरे जीवन भर एक पत्नी व्रत निभाया एक आज्ञाकारी बेटे का कर्तव्य निभाया, ऐसे सर्व श्रेष्ठ मर्यादित जीवन का उदाहरण प्रस्तुत किया वह अन्यत्र कहीं भी देखने को नहीं मिलता।
जनक नन्दनी सीता जी ने उससे भी बढ़कर एक आदर्श पत्नी, आदर्श नारी का जो स्वरूप प्रस्तुत किया वह स्तुति योग्य है। जहां उन्होने राज्य के ऐश्वर्य को ठुकरा कर पति के साथ वन गमन किया तो सती के रूप में रावण जैसे अधर्मी राक्षस के सर्वनाश का कारण बनी तथा अग्नि परीक्षा के द्वारा स्वयं को पवित्र पतिव्रता सिद्ध किया तथा लव-कुश जैसे वीर पुत्रों को जन्म दे कर उन्हें उच्च शिक्षा दीक्षा दिलाकर हनुमान जैसे महावीर योद्धा को भी परास्त कर दिया।
ऐसे ही पुरूषोत्तम समान पति का वरण करने का विचार प्रत्येक युवती तथा नारी का होता है कि उसका पति सभी पुरुषो में उत्तम अर्थात् पुरुषोत्तम हो, जिससे उसे अपार स्नेह, प्रेम और आत्मीयता प्राप्त हो सके।
इसी प्रकार आज के वातावरण को देखकर प्रत्येक युवक भी यही विचार अपने वैवाहिक जीवन में रखता है कि उसे एक श्रेष्ठ आचार-विचार, सुशील, गृह कार्य दक्ष, बोल-चाल में विनयशील, चरित्रवान पत्नी मिले जिससे उसका पूरा जीवन सुख एवं आनन्द पूर्वक व्यतीत हो सके परन्तु ऐसी आदर्श जोडियां बडे़ ही सौभाग्य से बन पाती है।
इसी हेतु राम जानकी विवाह के चैतन्य पर्व पर पुरूषोत्तममय जानकी अखण्ड सौभाग्यता दीक्षा परम पूज्य सद्गुरुदेव प्रदान करेंगे। जिससे हर स्वरूप में गृहस्थ जीवन मंगलमय स्थितियों की ओर अग्रसर हो सकेगा और गृहस्थ जीवन में प्रेम, ममत्व, मधुरता का संचार होगा साथ ही अविवाहित युवक-युवतियों को श्रेष्ठतम जीवन साथी का वरण प्राप्त करने की चेतना प्राप्त हो सकेगी।
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