वास्तविक रूप से व्यक्ति के कर्म के साथ-साथ भाग्य का भी पूर्ण सहयोग ही उसे श्रेष्ठतम सफलता दिला सकता है। जहां कर्म और भाग्य का संयोग हो वही जीवन धन से पूर्ण हो पाता है। कमला सहस्त्र महालक्ष्मी दीक्षा मस्तक पर पड़ी इन्हीं दुर्भाग्य की लकीरों को मिटा देने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है, जिसे प्राप्त कर रंक भी राजा की उपाधि प्राप्त कर सकता है। इस महत्वपूर्ण दीक्षा को प्राप्त करने के पश्चात् लक्ष्मी का आगमन स्थायी रूप से उस साधक, शिष्य, अथवा व्यक्ति के घर में होता ही है, इस दीक्षा के प्रभाव से शीघ्र ही धनागम के स्त्रोत खुलने लग जाते हैं, व्यापार में वृद्धि होने लगती है, साथ ही निरंतर धन आगमन बना रहता है। श्री युक्त जीवन प्राप्त करने, धन-सम्पदा, वैभव-विलास की पूर्णता प्राप्ति हेतु इस दीक्षा का सर्वोपरि स्थान है।
सहस्त्र महालक्ष्मी दीक्षा के माध्यम से साधक व शिष्य के जीवन के समस्त पूर्व जन्मकृत पाप-दोषों का नाश हो जाता है। इन्हें पाप-ताप संहारिणी भी कहा जाता है- जो समस्त पाप-दोषों का निवारण कर व्यक्ति के भाग्य को ही परिवर्तित कर देती हैं, फिर उसे अपने कर्म के पूरा फल प्राप्त होने लगता है। क्योंकि जीवन के कर्म दोष की कालिमा के कारण अनेक रूप में हमारे सम्मुख बाधायें उत्पन्न होती रहती हैं। इस दीक्षा के माध्यम से कर्मदोष का फल समाप्त हो जाता है। जिससे साधक उच्चतम सफलता प्राप्त कर अपने जीवन में धन से पूर्ण होकर सभी भौतिक अभिलाषाओं को पूर्ण करने में समर्थ तो होता ही है, साथ ही वह भविष्य के लिये धन संग्रहित करने में भी सफल होता है।
मानव अपने प्रयत्न और परिश्रम से अपना भाग्य नहीं बदल सकता। किन्तु शास्त्रादि मत वालो के लिये यह सरलतम उपाय है कि उन्हें ऐसे समर्थवान् सद्गुरु का सानिध्य मिला है, जिसकी कृपा से वे अपने भाग्य को परिवर्तित कर सकते हैं, दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है, और वह तत्व दीक्षा! जिसके आधार पर असम्भव को भी सम्भव किया जा सकता है। दीपावली पर्व जीवन के अधंकारमय स्थितियों के समाप्ति का पर्व है, जीवन को उन्नति के प्रकाश से सराबोर करने का श्रेष्ठतम दिवस है, जिसकी चेतना आत्मसात कर साधक, शिष्य के जीवन में जगमगाहट का संचार होने लगता है। जिन क्षणों में लक्ष्मी को स्थायित्व रूप से आबद्ध करने की क्रिया सद्गुरु अपने शिष्य के जीवन में करते ही हैं।
दीपावली के श्रेष्ठतम चैतन्य अवसर पर वृष लग्न, स्वाती नक्षत्र तथा तुला पर सूर्य-चन्द्र के विशिष्टतम योग पर सांय 06:30 से रात्रि 08:25 के मध्य परम पूज्य सद्गुरुदेव राज-राजेश्वरी कमला सहस्त्र महालक्ष्मी दीक्षा की चेतना का संचार टैलीपैथी क्रिया के माध्यम से करेंगे। इच्छुक साधक अपनी पोस्टकार्ड साइज की फोटो पूर्व में ही कैलाश सिद्धाश्रम जोधपुर भेज दें, साथ अपने पूजा स्थान में इस काल खण्ड के समय पूर्ण मानसिक शांति के साथ निम्न विशिष्ट मंत्र का जप करें। किसी भी प्रकार के अनुभव को अन्य व्यक्तियों से गोपनीय रखें और पूज्यपाद् विनीत गुरुदेव जी को पत्र द्वारा सूचित करें, जिससे भविष्य की साधना और दीक्षा के लिये आपको मार्गदर्शन प्राप्त हो सके।
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