दीक्षा और साधनाओं के अनुसंधान कर्ताओं ने कुछ ऐसी साधनाओं का अनुसंधान किया, जो कि व्यक्ति के दैनिकचर्या के संकट और छोटी मोटी परेशानियों का सहज निदान बन सकें। इस प्रकार की साधनाओं में बटुक भैरव की दीक्षा और साधना श्रेष्ठतम साधना मानी गई है, जिसका फल तत्क्षण मिलता है।
शास्त्रों में भी बटुक भैरव की महिमा वर्णित है। शास्त्रनुसार भैरव को रूद्र, विष्णु व ब्रह्मा का स्वरूप माना गया है। इस प्रकार से भैरव के अनेक रूप वर्णित हैं – ‘ब्रह्म रूप’, ‘पर ब्रह्म रूप’, ‘पूर्ण रूप’, ‘निष्कल रूप’ में – वांगमनसागोचर, विश्वातीत, स्वप्रकाश, पूर्णाहंभाव, एवं सकल रूप में – क्षोभण, मन्यु, तत्पुरूष आदि।
भैरव साधना के विषय में लोगों में अनेक प्रकार के भ्रम हैं, लेकिन भैरव साधना सरल एवं सर्वगम्य है। जो कि प्रत्यक गृहस्थ व्यक्ति के लिये आवश्यक है, यह साधना निर्भयता के साथ सम्पन्न कर सकती है। इसमें किसी प्रकार का कोई भय या गलतफहमी रखने का जरूरत नहीं है। यह अत्यन्त फलदायक साधना है।
इस दीक्षा और साधना से साधक के अन्दर तेजस्विता उत्पन्न होती है, जिसके कारण यदि उसके शत्रु हैं, तो वे उसके सामने आते ही कांतिहीन हो जाते हैं और शक्तिहीन होकर साधक के सम्मुख खड़े नहीं रह पाते हैं। यदि वह चुनाव लड़ रहा है या मुकदमा कई वर्षों से चल रहा है, तो वक उसमें पूर्ण रूप से विजय प्राप्त करता है। उसके विरोधी उसके सम्मुख हार स्वीकार कर लेते हैं। यदि उसके जीवन में अनेक प्रकार की समस्यायें आ रही हों और उनका समाधान नहीं मिल रहा हो, तो इस दीक्षा और साधना को सम्पन्न करने से समाधान प्राप्त होता ही है। साधक इस दीक्षा से पूर्ण पौरूषवान होकर समस्त समस्याओं को अपने साधनात्मक पुरूषार्थ से हल कर लेता है। सद्गुरू अपने शिष्य को भयभीत, कायरता, असफलता, उदास, चिंता युक्त नहीं देखना चाहते है। हर स्थिति में अपने शिष्य को पूर्ण पौरूषता के साथ बाधाओं को ढकेलकर भौतिक और आध्यात्मिक पथ पर आग्रसर होना चाहते है। इसी कारण अपनी असीम कृपा से
इस लियें गुरू शिष्य को विशेष ग्रहों के सुयोग से श्रेष्ठतम् अवसर पर ‘पापमोचनी जगदम्बा अक्षय शक्ति दीक्षा’ प्रदान करते है। जिससे शिष्य अपने जीवन में सभी दृष्टि से पूर्णता प्राप्त करता है और मंत्र साधना के माध्यम से शिष्य साधक के कई-कई जन्मों के पापों का शमन होता है। और नूतन नव जीवन का निर्माण होता है।
पांच पत्रिका सदस्य बनाने पर ‘पापमोचनी जगदम्बा अक्षय शक्ति दीक्षा’ उपहार स्वरूप प्रदान की जायेगी।
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