जिस प्रकार कोई भी वृक्ष अपने-आप में चाहे वह कितना भी फैला हुआ हो, मूल रूप से तो उसकी जड़ें ही हैं, जो पतली-पतली हजारों तरफ फैली होती हैं, इन दिनों में ग्रहण करने वाली दीक्षायें भी अपने-आप में पूरी दिव्यात्मकता जड़ें है, जो पूर्ण ब्रह्माण्ड में फैली हुई है, जिसके ऊपर नवरात्रि के दिन टिके है, अतः इसी कारण वश इस नवरात्रि का महाष्टमी दिवस अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
जब सभी ग्रह एक ही केन्द्र पर एकत्र हो, तब अद्वितीय क्षण का निर्माण होता है और उस विशेष क्षण में की गई दीक्षाये साधक के जीवन को प्रफुल्लित और विकसित करके सौभाग्य प्रदान करती ही है। यदि उन क्षणों का लाभ उठा लिया जाय, तो भगवती मायामोहिनी जगज्जननी स्वरूप में पूर्ण श्रृंगार युक्त हो सर्व सौभाग्यप्रदायिनी होती है।
पूज्य सद्गुरुदेव कैलाश श्रीमाली जी महाष्टमी के विशेष दिवस पर भगवती माया मोहिनी कायाकल्प युक्त सर्वसिद्धि प्रदायिनी दीक्षा फोटो के माध्यम से सभी साधकों को प्रदान करेंगे। जिससे साधक का जीवन मानसिक, आत्मिक, शारीरिक रूप से श्रेष्ठ और कायाकल्पित तथा रूप, रस, सौंदर्य से परिपूर्ण होता ही है। जीवन में आने वाली विपरीत स्थिति जैसे दरिद्रता, तनाव, ऋण, अपमान का नाश हो दिव्य सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
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