शिव रूपी गुरू जब शिष्य के जीवन प्रवाह में नाडि़यों में व्याप्त दोषों को दूर करते हैं। तो इस विखण्डन क्रिया में प्रारम्भ में बड़ा ही कष्ट होता है क्योंकि मनुष्य अपनी आदतों से मजबूर होता है परम्परा से अलग हटकर कार्य करने में उसे अवश्य हिचक अनुभव होता है। ऐसे समय में गुरू ही आकर उसे चैतन्य करता है जन्मों जन्मों से निद्रा में युक्त शिष्य को जगाते है। जैसे निद्रा से जागने पर एक बालक रोता है। उसी प्रकार प्रारम्भ में शिष्य भी रोता है लेकिन जब उसे यह ज्ञात होता है कि उसे नींद से इसलिये जगाया गया है कि वह अपने क्षुधा भूख को शांत कर ले गुरू उसे अपने हृदय से लगाकर उसकी भूख को प्यास को दूर करते हैं। उसके जीवन को पूर्ण आनन्दमय बनाने के लिये ही उसे जाग्रत किया है। यह ज्ञान प्राप्त होते ही शिष्य आनन्दित हो उठता है, इस आनन्द प्रदान करने वाली दिव्य विद्या को ही ‘सहस्त्र नाड़ी विखण्डन’ षटचक्र भेदन कहा गया है।
पंच प्राण, अपान, उदान, समान, व्यान प्राण का भेदन कर गुरू की शक्ति मूलाधार से प्रवाहित होकर सहस्त्र तक पहुंचती है तो व्यक्तित्व में परिवर्तन आने लगता है। एक-एक चक्र का भेदन एक युग परिर्वतन की क्रिया है और गुरूदेव शक्तिपात द्वारा शिष्य पर यह महती क्रिया सम्पन्न करते हैं। इसे ही षटचक्र भेदन कहा गया है। जब निखिल रस सहस्त्र नाडि़यों में प्रवाहित होने लगता है तो पूरा जीवन नर्तन एवं आनन्दयुक्त हो जाता है और यही गुरू की इच्छा रहती है कि मेरा शिष्य मेरे समान आनन्दमय, सद्गुरूमय चेतना, निखिल रस से सराबोर हो सके।
इस वर्ष गुरूदेव संग गुरूदेव के दिव्य भूमि में, गुरूदेव के स्पर्श युक्त इस सबीज दीक्षा का आनन्द अनिर्वचनीय है। क्योंकि सद्गुरूदेव इस बार नववर्ष पर अपने शिष्यों की सहस्त्र नाडि़यों का भेदन कर नवनिर्माण की नवीन क्रियायें प्रारम्भ करेंगे और सद्गुरू निखिल के शिष्य इस नवीन शताब्दी के कर्णधार होगें।
आप सबका स्वागत है गुरू शक्ति पीठ कैलाश नारायण धाम नई दिल्ली 31 दिसम्बर 2015 से सिद्ध शक्ति महामाया चेतना प्राप्ति साधना महोत्सव 1-2-3 जनवरी 2016 को विलासपुर म-प्र में यह विशिष्ट क्रिया सम्पन्न होगी। जिससे गुरूदेव के सानिध्य में अपने जीवन को अमृतमय बना पायेंगे। सहस्त्र नाड़ी विखण्डन निखिल रसेश्वर दीक्षा फ़ोटो द्वारा प्राप्त करने हेतु शीघ्र ही कार्यालय में फ़ोन कर सुनिश्चित करायें।
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