समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति का आधार मात्र दीक्षा ही है, तो आज के युग में शीघ्र प्रभावकारी एवं शीघ्र फलदायी है और जब तक कामना पूर्ति नहीं है, तब तक जीवन अधूरा ही है।
प्रत्येक मनुष्य का यह स्वप्न होता है कि वह अल्प समय में ही धनवान बन जाये, कम परिश्रम में ही उसे अधिक लाभ प्राप्त हो जाये, उसका परिवार समस्त प्रकार की सुख-सुविधाओं का भोग कर सके एक मधुरता का वातावरण बन सके और धन प्राप्त करना अपने आप में कोई तुच्छता नहीं है, और ऐसा सोचना अनुचित भी नही है, क्योंकि वह चाहता है, कि मैं अल्प समय में ही सब कुछ प्राप्त कर लूं।
जीवन में भौतिक अभावों के कारण ही आज समाज में परिपूर्णता दृष्टिगोचर नहीं होती, और शास्त्रों में वर्णित धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों पुरूषार्थों में से भी आज अर्थ को ही सर्वप्रथम महत्व दिया जाने लगा है, हर कोई इसे ही प्राप्त करना चाहता है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति धनपति बनना चाहता है, और इसके लिये वह जी तोड़ परिश्रम करता है, इधर-उधर भागता फिरता है। परन्तु उसका परिश्रम सार्थक नहीं हो पाता, इसके लिये वह विभिन्न उपाय टोने-टोटके, मन्दिर, गिरिजाघर, गुरूद्वारे आदि में जाकर मन्नते मांगता है, ईश्वर से प्रार्थना करता है, तथा पूजा-आराधना आदि भी सम्पन्न करता है, किन्तु फिर भी उसे सफलता नहीं मिल पाती। अध्यात्म की ओर यदि दृष्टि डालें, तो ज्ञात होता है कि 90 प्रतिशत व्यक्ति ऐसे हैं, जो लक्ष्मी से सम्बन्धित साधनायें ही करना पसंद करते हैं, जिससे कि वे अपने जीवन में धन धान्य, ऐश्वर्य, समृद्धि यश, मान, श्री, वैभव आदि से परिपूर्ण हो इस भौतिक जगत् में अपने गृहस्थ जीवन को पूर्णता के साथ संचालित कर सकें।
जीवन में दीर्घायु जीवन प्राप्ति, आरोग्य, वंश वृद्धि, ज्ञान बुद्धि की चेतना, सम्मोहन आकषर्ण युक्त देह और वाक् चातुर्यता युक्त जीवन अभिलाषा सांसारिक व्यक्ति करता है। इन सभी स्वरूपों को प्राप्त करने के लिये अल्प समय में ऐसी कोई युक्ति अपनायें जिससे आप अपनी कामनाओं की पूर्ति कर सकें। और यह सब केवल और केवल दीक्षा के माध्यम से ही संभव है। तथा दीक्षा ही सर्वोपरि स्वरूप में मानव जीवन के लिये उपयोगी है।
आज के इस अर्थवादी युग में, जो धनवान हैं, वही पूजनीय है, वही सम्मानीय है, और जो निर्धन है, गरीब है, उनका समाज में कोई विशेष स्थान नहीं है, ऐसे में धन के अभाव के कारण व्यक्ति को बहुत सी परेशानियों, समस्याओं, संकटों का सामना प्रतिपल करना पड़ता है, जिसके कारण वह हीन भावना से ग्रस्त हो जाता है, और उसके मन में इस भावना का उदय होना ही, उसका मृत्यु की ओर गतिशील होना है। और तभी आज 75 प्रतिशत व्यक्ति ऐसे हैं, जो धनाभाव के कारण मृत्यु का शिकार हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें कोई योग्य गुरू मिला ही नहीं जो उन्हें संकटों से उबार सकें, और ना ही आज कल ऐसे गुरू सहज सुलभ रह गये हैं, जो इस योग्य हों।
ऐसे में एक सामर्थ्यवान गुरू ही व्यक्ति को पूर्णता की ओर गतिशील कर सकते हैं, अन्य नहीं। निर्धनता, बेरोजगारी तथा अन्य दुःख ताप आदि उसके पूर्व जन्मकृत दोषों व पाप कर्मों का ही फल हैं, किन्तु सहस्राक्षी महालक्ष्मी दीक्षा को प्राप्त कर इन समस्याओं से मुक्त हुआ जा सकता है।
सहस्राक्षी दीक्षा मस्तक पर पड़ी दुर्भाग्य की लकीरों को मिटा देने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है, जिसे प्राप्त कर रंक भी राजा की उपाधि प्राप्त कर सकता है। इस महत्वपूर्ण दीक्षा को प्राप्त करने के पश्चात् लक्ष्मी का आगमन स्थायी रूप से उस साधक, शिष्य अथवा व्यक्ति के घर में होता ही है। इस दीक्षा के प्रभाव से शीघ्र ही धनागम के नये-नये स्रोत स्वतः ही खुलने लग जाते हैं, व्यापार में वृद्धि होने लगती है, साथ ही व्यापार आदि मार्गो से आकस्मिक रूप से भी धन की प्राप्ति होने लगती है।
सहस्राक्षी महालक्ष्मी साधक व शिष्य के जीवन के समस्त पूर्व जन्मकृत पाप-दोषों का नाश करने वाली देवी हैं, इन्हें पाप-ताप संहारिणी भी कहा जाता है जो समस्त पाप दोष का निवारण कर व्यक्ति के भाग्य को ही परिवर्तित कर देती हैं, फिर उसे जीवन में अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ता, क्योंकि ये उसे वैभव, समृद्धि, सम्पन्नता, ऐश्वर्य सब कुछ तो प्रदान करने में समर्थ हैं।
धन-सम्पदा और वैभव-विलास की अधिष्ठात्री देवी सहस्राक्षी महालक्ष्मी है। इसीलिये जीवन पूर्णता प्राप्ति हेतु इस दीक्षा का सर्वोपरि स्थान है। सहस्राक्षी महालक्ष्मी दीक्षा दीपावली की कालरात्रि के दिव्य दिवस पर पूज्य सद्गुरूदेव टैलीपैथी के माध्यम से सभी समर्पित श्रेष्ठ साधकों को प्रदान करेंगे। दीक्षा सुनिश्चित कराने हेतु दीक्षार्थी का फोटो व पूर्ण पता कैलाश सिद्धाश्रम जोधपुर में समय से भेज दें।
11 नवम्बर दीपोत्सव को सांय 07-35 बजे अपने पूजा स्थान में बैठकर सद्गुरूदेव के प्राण प्रतिष्ठित चित्र पर त्राटक करते हुये 5 मिनट गुरू मंत्र और
मंत्र का 20 मिनट जप करें। साधना काल के मध्य शक्तिपात की चैतन्यता आप स्वयं अनुभव करेंगे।
यदि जीवन में सफ़ल होना है तो हौंसले बुलन्द, आंखों में चमक, बातों में विश्वास, दिल में प्रेम, शरीर में ताकत और दिमाग में लक्ष्य होना चाहिये।
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