साधना की दृष्टि व्यापक होती है और वह जीवन में भोग व मोक्ष दोनों पक्षो पर समान रूप से ध्यान रख, ऐसा सन्तुलन बनाने का प्रयास करती है, जिससे फिर जीवन में सुख-सौभाग्य प्राप्त करने की बात संयोग या भाग्य पर आधारित न होकर स्वयं साधना के ही हाथों में हो। दीपावली को साधनात्मक दृष्टि से पूरे 21 दिन की घटना कहा गया है, केवल यहीं तक नहीं शास्त्रकारों ने तो यह भी सिद्ध किया है कि कार्तिक का पूरा माह ही एक प्रकार से लक्ष्मी माह होता है, श्रेष्ठ साधक इस पूरे कल्प के प्रत्येक दिन को साधनात्मक ऊर्जा को आत्मसात करने में व्यतीत करते हैं।
जिससे फिर उन्हें पूरे वर्ष के लिये स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती रहे तथा जीवन के अन्य उदात्त पक्षो की ओर, अपनी आध्यात्मिक चेतना को विकसित करने की ओर सघनता से ध्यान दे पाने में समर्थ हो सकें। पूरे माह तक चलने वाली इन साधनाओं में केवल अर्थ-प्राप्ति की ही साधनायें नहीं, वरन् ऐसी साधनायें भी समाहित होती हैं, जिन्हें सौन्दर्य, सम्मोहन, साधनायें कहा जा सकता है। जीवन में जहां लक्ष्मी की आवश्यकता होती है, वहीं रूप, सौन्दर्य, योग, आकर्षण, सम्मोहन, आरोग्य और बाधा निवारण-सुरक्षात्मक साधनायें भी आवश्यक हैं। इन तीनो साधनाओं के सही तालमेल से ही जीवन में सही रूप से लक्ष्मी सुख की प्राप्ति हो पाती है।
जीवन के महाभारत में हम लड़ तो रहें हैं। परन्तु श्रेष्ठ विजय प्राप्त नहीं हो रही है। क्योंकि जीवन के युद्ध में दैवी शक्ति की आवश्यकता होती ही है। यदि हम दैवी शक्ति प्राप्त कर लें तो निश्चय ही जीवन में श्रेष्ठ सफलता अनुकूलता, सुख-समृद्धि, प्रसन्नता से जीवन युक्त होता है। फिर सम्पूर्ण जीवन में जगमगहाट प्राप्त होती है।
कार्तिक कल्प के इसी विशिष्ट मुहूर्त के लिये धन वर्षिणी अनंग श्रृंगार सौन्दर्य वृद्धि साधना, लक्ष्मी आबद्व कामाक्षी साधना और योगमय कृष्णतत्व कामधेनु शक्ति साधना पंच दिवसीय साधना पैकेट पूज्य सद्गुरूदेव के द्वारा कामाक्षी धनदा लक्ष्मी, षोड़श सौन्दर्य, दुर्गा सप्तशती, श्री सूक्त कामधेनु कृष्णमय मंत्रों से अभिमंत्रित व चैतन्य किया गया है। साथ ही स्थायीत्व रूप से निरन्तर धन आगमन होता रहे इस हेतु लक्ष्मी श्री लॅाकेट भी प्रदान किया जायेगा। यहां साधनाओं से तात्पर्य किसी जटिल विधि-विधान अथवा अनुष्ठान आदि से नही हैं वरन उन विशिष्ठ साधनाओं से हैं। जिन्हें सम्पन्न करने में एक या दो घंटे से अधिक समय नहीं लगता है। ऐसे दिव्यतम साधनाओं को सम्पन्न कर साधक अपने जीवन की सभी आर्थिक, शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक कामनाओं को पूर्णता से प्राप्त करने में समर्थ साथ ही हर दृष्टि से आने वाला नूतन वर्ष समृद्धि युक्त हो सकेगा।
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