कामाख्या तंत्र जीवन को पूर्णता देने का तंत्र है। जिस प्रकार कामाख्या देवी ही जीवन का सृजन करने वाली हैं। और जीवन की प्रत्येक स्थिति में उनका ही वर्चस्व है, कामाख्या तंत्र जीवन की प्रत्येक स्थिति से सम्बन्ध रखती है। कामपीठ से जो भी प्रकट होगा वह पूर्ण ही होगा।
जीवन की सफलता कई-कई छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति पर ही पूरी होती है। धन-दौलत, पद-प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, सुयोग्य पत्नी, पुत्र-पौत्र सुख, वैभव, शत्रु नाश, सुन्दर भवन, वाहन, राज सुख और ऐसी ही अनेक बातों से जीवन को सम्पूर्णता मिलती है। इन सभी के बीच में धन और ऐश्वर्य का विशेष अर्थ होता है और कम से कम इस युग में तो अवश्य ही। आज के युग में यदि व्यक्ति चाहे कि वह सीमित सी आय में जीवन का सुख पूरी तरह से भोग ले तो यह संभव ही नहीं। केवल पद-प्रतिष्ठा और समाज में सम्मान की दृष्टि से ही नही, आज तो जीवन की जरूरी बातें पूरी करने के लिये भी, सामान्य से भी अधिक धन की आवश्यकता पड़ती है।
कामाख्या तंत्र में जिस प्रकार लक्ष्मीदायक प्रयोग वर्णित हुआ है, उसमें मूल पूजन तो कामाक्षी देवी का ही है इस साधना में जिस यंत्र की आवश्यकता पड़ती है उसका अमृत पीठेश्वरी मंत्रों से सिद्ध होना आवश्यक होता है। इस काम पीठ की सौम्यता और वरदायक स्वरूप की संज्ञा अमृत पीठेश्वरी ही हैं और वास्तव में कामाख्या देवी अमृत पीठेश्वरी स्वरूप में धन, प्रसन्नता, पूर्णता, काम शक्ति, यौन सुख, पूर्ण पौरूषता और वह सब कुछ जो आज के सांसारिक गृहस्थ जीवन की आवश्यकता है। कामाख्या शक्ति नवीन सृजन दायक दैवीय शक्ति हैं। जिनके द्वारा जीवन में नवीनता का निर्माण और सृजन निरन्तर होता रहता है।
कामशक्ति युक्त गृहस्थ सुख प्राप्ति यंत्र को नवमी या किसी भी शनिवार की रात्रि में 10 बजे के बाद लाल वस्त्र पर स्थापित कर दें और इसका पूजन लाल फूलों, बिल्व पत्र, लौंग, रक्त चन्दन, सिन्दूर से करें। कामबीज को काले धागे में पिरोकर गले में धारण कर निम्न मंत्र का कामाख्या शक्ति सिद्धि माला से तीन माला मंत्र जप 9 दिवस तक नित्य करें ।
मंत्र जप पूर्ण कर पुनः पूजन लाल पुष्पों से ही करें। पूजन के बाद कामबीज को तीन माह तक धारण करें व यंत्र तथा माला को किसी लाल वस्त्र में बांध कर जल में प्रवाहित करें।
यह साधना वास्तव में तंत्र की एक सशक्त और प्रभावशाली साधना है जिसके द्वारा साधक को एक के बाद एक धन के स्रोत और सफलता मिलनी आरम्भ हो जाते हैं। तथा सृजनात्मक स्थिति का प्रादुर्भाव होता है। गृहस्थ जीवन में रस, प्रेम, आनन्द, काम शक्ति, पति-पत्नी मधुरता, नौकरी में पदोन्नति, समाज में सम्मान-प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है।
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