जीवन में दो गुण ऐसे है जिनका व्यक्ति विकास कर सकता है और जब ये दो गुण होते हैं तो व्यक्ति संदेह से मुक्त हो जाता है, व्यक्ति के जीवन में सुख और आनन्द आ जाता है। ये दो गुण हैं- आकर्षण और सम्मोहन। ये दोनों गुण एक नहीं हैं अलग-अलग हैं। आकर्षण का तात्पर्य है आपके व्यक्तित्व में वह शुद्धता, उदात भावना, उच्च चरित्र, स्वभाविक मुस्कान और आनन्द हो जो आपके चेहरे से ही नहीं, रोम-रोम से झलके। आकर्षण वह तत्व है जो दूसरों को आपकी मुस्कान से, आपके हाव-भाव से आपकी भावना से आपकी ओर आकर्षित करता है और लोगों को आपके पास बैठने से, बात करने से आनन्द मिलता हे। जिन व्यक्तियों ने अपने जीवन में आकर्षक गुणों का विकास किया है, उनके व्यक्तित्व में ही सम्मोहन आता है। यदि आपके जीवन में ये दो तत्व नहीं है तो स्पष्ट रूप से आपका जीवन बेकार है। आपके पास धन है, दौलत है, माया है, पत्नी है, बच्चे हैं, लेकिन जीवन का मूल तत्व आकर्षण, सम्मोहन ही नहीं है तो आप ठीक उसी प्रकार का जीवन जी रहे हैं जैसे संसार के सारे प्राणी जी रहे हैं। ये दो तत्व तो जीवन-आनन्द के आधार तत्व हैं और आपके जीवन में सम्मोहन, आकर्षण का गुण, शक्ति कोई और नहीं दे सकता है, यह तो समर्थ गुरू के वश की ही बात होती है।
आकर्षण-सम्मोहन शक्ति प्रत्येक शिष्य को गुरू से प्राप्त करनी चाहिए। वैसे तो दीक्षा के सम्बन्ध में कोई मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है, प्रत्येक दिन शुभ दिन है। जिस प्रकार दीपावली, होली, महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त कहे गये हैं उसी प्रकार आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि भी श्रेष्ठतम मुहूर्त है। आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि का दिवस ‘भैरव शक्ति युक्त सम्मोहन-आकर्षण महादेवी कामकान्ता दीक्षा’ के लिये सर्वश्रेष्ठ दिवस है। जो साधक इस दिन पूर्ण श्रद्धा से अपने गुरू, कालभैरव तथा महादेवी कामकान्ता का ध्यान, पूजन, साधना सम्पन्न करता है उसे वैसे ही गुणों और ज्ञान की प्राप्ति अवश्य होती है।
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