सीता-राम की कथा भारतीय संस्कृति की संवाहक है मानवीय आदर्शों की तथा पतिव्रत-धर्म की पराकाष्ठा सर्वश्वरी रामप्रिया सीता के आदर्श जीवन चरित्र में समाहित है। उनका आविर्भाव ‘सत्यम्, शिवम् सुन्दरम्’ के प्रतिष्ठार्थ हुआ है। उनकी समग्र कथा करूणा, प्रेम, सोहार्द, आदर्श, त्याग, तप, पतिव्रत्य तथा सदाचरण से परिपूर्ण है
उर्वशी केवल यौवन का पर्याय हे, सोन्दर्य का सागर है, छलकती हुई मस्ती से भरे शरीर का केन्द्र है और बुढ़ापे को यौवन में परिवर्तित कर देने की क्रिया है।
संसार की तीन अद्वितीय सुन्दरियां मानी गई हे, जिनके नाम उर्वशी, रम्भा, ओर मेनका है, इनमें भी उर्वशी का नाम सर्वोपरि है, और ये सुन्दर स्त्रियां देवताओं के राजा इन्द्र की सभा में अद्वितीय नृत्य और सूर्य के समान सौन्दर्य से सबको अभिभूत किये रहती है।
उर्वशी के बारे में ग्रंथों में कहा गया है, कि वह चिरयौवना हे, हजारों वर्ष बीतने पर भी वह 16 वर्ष की उम्र की युवती के समान अल्हड़ मदमस्त और योवन रस से परिपूर्ण रहती हे। सारा शरीर एक अद्वितीय सुन्दरता से परिपूर्ण रहता है, जिसको देखकर व्यक्ति तो कया देवता भी ठगे रह जाते हैं।
उर्वशी को ही भगवान राम ने सीता स्वरूप में परिणय कर सांसारिक गृहस्थ जीवन का वैवाहिक संस्कार पूर्ण किया। इसी स्वरूप में राम जानकी विवाहोत्सव पर्व मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी को उर्वशी सिद्धि उत्सव के रूप में सम्पन्न किया जाता है। जो कि शक्ति स्वरूपा है। जो प्रेम, आदर्श, करूणा का प्रतीक है।
ऊर्वशी साधना केवल अप्सरा को सिद्ध करने के लिए ही नहीं, अपितु अपनी स्वयं की कायाकल्प की प्राप्ति के साथ ही सांसारिक जीवन में राम और जानकीमय गृहस्थ जीवन की श्रेष्ठता प्राप्त्हो सके और साथ ही जीवन रोग रहित जोश उमंग और आनन्द की पूर्णता से प्राप्त करने के लिए यह साधना सम्पन्न की जाता है।
इस साधना के लिए जरूरी है इन्द्रकृत विधि से सिद्ध उर्वशी यंत्र’ की जिसकी साधना उर्वशी सिद्धि दिवस पर की जाती है। इस वर्ष यह साधना 27 नवम्बर राम जानकी विवाह पंचमी जोकि उर्वशी सिद्धि दिवस के स्वरूप में मनाया जाता है। संकल्प लेकर तीन दिन की साधना प्रारम्भ करें।
तांबे के पंचपात्र में शुद्ध जल लेकर उसमें यह उर्वशी यंत्र डाल दें और स्वयंवर शक्ति माला से 7 माला इन्द्रकृत उर्वशी मंत्र का जप उस पंचपात्र के सामने करें और फिर यंत्र को निकाल कर वह जल चरणामृत स्वरूप स्वयं पियें तथा थोड़ा-थोड़ा परिवार के सभी सदस्यों को पिलायें, इस प्रकार 27 नवम्बर की रात्रि से यह क्रिया करें तीनों ही दिन और पूरे परिवार के लिए एक ही यंत्र की आवश्यकता होती है, इस प्रकार का जल पीने से पूरे शरीर में एक चेतन्यता आती है। इसके बाद आगे 15 दिनों तक नित्य एक माला उर्वशी मंत्र का जप करे, सभी सामग्री साधना पूर्ण होने पर किसी राम मंदिर में अर्पित कर दें।
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