ये इतर योनियां अपनी अतृप्त आकांक्षाओं एवं वासनाओं की पूर्ति के लिये प्रायः मनुष्यों को परेशान करती है। किसी व्यक्ति पर भूत आदि का प्रकोप हो जाने अथवा किसी घर में दुष्टात्मा का वास हो जाने से भुक्त भोगी व्यक्ति का जीवन एकदम पशु समान हो जाता है, अस्त-व्यस्त हो जाता है, उसकी हरकतें, आदतें, इच्छाएं एकदम बदल जाती है, अमानवीय हो जाती है। कई बार तो एक व्यक्ति के ऊपर सौ से भी ज्यादा आत्माएं डेरा जमा लेती है और उस व्यक्ति के शरीर के माध्यम से अपनी दमित इच्छाओं की पूर्ति अथवा मुक्ति का प्रयास करती है। इनका समाधान भगवान भुतेश्वर की साधना से किया जा सकता है।
इसके अलावा कई बार टोने-टोटके जैसी घृणित क्रियाओं को अपना कर कुछ घटिया लोग अच्छे भले सीधे-सादे लोगों को कुछ खिला-पीला देते हैं। तंत्र के इन कुकृत्यों से उस भले-चंगे व्यक्ति का जीवन मरणतुल्य हो जाता है, अच्छा भला खाता-पीता घर बर्बादी की कगार पर पहुँच जाता है। ईर्ष्यावश आजकल इस प्रकार के टुच्चे प्रयोग लोग आसानी से कर देते है, अथवा करवा देते है, यह निश्चय ही असामाजिक, अनैतिक व निन्दनीय कार्य है, परन्तु इसका समाधान भी तंत्र से ही हो सकता है। तंत्र ही वह क्रिया है, जिसके द्वारा जीवन को सुव्यवस्थित किया जा सकता है। भगवान भूतेश्वर की यह साधना इन सबका ही समाधान है।
इस साधना को सोमवार से प्रारम्भ किया जा सकता है। दक्षिण दिशा की ओर मुख कर गुरू चित्र एवं शिव चित्र का संक्षिप्त पूजन करें। इसके पहले काजल से अपने आसन के चारों ओर एक गोल घेरे के रूप में रक्षा चक्र बना लें। सामने एक थाली को काजल से रंग लें, उसके बीच में अक्षत की एक ढेरी पर ‘तांत्रोक्त रूद्र यंत्र’ को स्थापित करे, उसके दाई ओर चावल की एक ढेरी पर ‘कड़कड़हा’ स्थापित करें।
यंत्र का संक्षिप्त पूजन करें तथा कड़कड़हा पर ‘ऊँ नमः शिवाय’ बोलकर सिन्दूर एवं तेल अर्पित करें। दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प करें, कि आप अमुक व्यक्ति अथवा अमुक के घर से अथवा स्वय के ऊपर से तंत्र बाधा, भूत-प्रेत बाधा हटाने के लिये भगवान भूतेश्वर की साधना में गुरू कृपा से प्रवृत्त हो रहे है। ऐसा बोलकर जल को चारों दिशाओं में फेंक दें। फिर ‘भूत डामर माला’ से निम्न मंत्र की 7 माला जप 7 दिन तक नित्य करें-
साधना के अंतिम दिन अर्थात् सातवें दिन मंत्र जप के बाद उपरोक्त मंत्र ( अंत में स्वाहा लगाकर ) बोलकर, अग्नि जलाकर सरसों के दानों से 107 आहुतियां दें। बाद में किसी सोमवार को सभी सामग्री को जल में विसर्जित कर दें।
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