जीरे या लौंग को पानी में अथवा जायफ़ल को दूध में घिसकर लेप करने से खीलें मिटती है।
कोहनी की कठोरता एवं कालिमा को दूर करने के लिए रस निकले हुए आधे नींबू में आधी चम्मच शक्कर डालकर घिसें। कोहनी साफ़ और कोमल हो जायेगी।
चेहरे पर झुर्रियां हों तो दो चम्मच ग्लिसरीन में आधा चम्मच गुलाबजल एवं थोड़े नींबू के रस की बूंदें मिलाकर मुंह पर रात्रि को लगायें। सुबह उठाकर ठण्डे पानी से मुंह धो डालें। त्वचा का रंग निखर जायेगा और झुर्रियां कम हो जायेंगी।
स्नान के समय तिल के पत्तों का रस लगाने से, मुलहठी, आंवला या भृंगराज का तेल लगाने से, करेले की जड़ अथवा मेथी को पानी में घिसकर लगाने से या निबौली का तेल लगाने से बाल बढ़ते हैं।
मुलहठी के चूरण केा भांगरे के रस में पीसकर लेप करने से अथवा सुखाये हुए आवंलों के चूर्ण को नींबू के रस में मिलाकर लेप करने से बाल झड़ना बंद होकर बाल काले होते हैं।
बादाम की गिरी, चारोली एवं खसखस को बारीक पीसकर, दूध में उबालकर, खीर बनाकर उसमें गाय का घी एवं मिश्री डालकर पीने से दिमाग पुष्ट होता है।
दो-तीन दिन के अंतर से खाली पेट एक चम्मच अरण्डी का तेल पियें। इस दौरान चाय-कॉफ़ी न लें। साथ में दर्दवाले स्थान पर अरण्डी का तेल लगाकर, उबाले हुए बेल के पत्तों को गर्म-गर्म बांधने से वात-दर्द में लाभ होता है।
अरण्डी के बीजों की गिरी को पीसकर उसकी पुल्टिस बांधने से अथवा आम की गुठली या नीम या अनार के पत्तों को पानी में पीसकर लगाने से फ़ोड़े-फ़ुन्सी में लाभ होता है।
काले जीरे को गोमूत्र में पीसकर शरीर पर लगाकर नहाने से अथवा चंदन तेल, तुवरक तेल एवं बावची का तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
अदरक एवं तुलसी के रस को शहद में लेने से अथवा साफ़ैं तथा शक्कर को बराबर मात्र में लेकर चूर्ण बनाकर सुबह-शाम लेने से घबराहट में कमी आती है।
लहसुन की कलियों को नमक के साथ पीसकर भोजन के साथ सेवन करने से वात्तिक सिरदर्द में लाभ होता हैं।
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