साधना सामग्री- दिव्य शिव यंत्र, इन्द्रायण व इन्द्रेश्वर महादेव माला।
भगवान शिव का एक नाम ‘भुतेश्वर’ भी है। जब भगवान शिव को हम भूतनाथ कहते है, तो उसका अर्थ यह होता है, कि वे पंचभूतों (पृथ्वी,जल,अग्नि,वायु,आकाश) से बने सभी प्राणियों के स्वामी है।
इसके अलावा कई बार टोने-टोटके जैसी घृणित क्रियाओं को अपना कर कुछ घटिया लोग अच्छे भले सीधे-सादे लोगों को कुछ खिला-पिला देते हैं। तंत्र के इन कुकृत्यों से उस भले-चंगे व्यक्ति का जीवन मरणतुल्य हो जाता है, अच्छा भला खाता-पिता घर बर्बादी की कगार पर पहुँच जाता है।
साधना सामग्री- तांत्रोक्त रूद्र यंत्र, कड़कड़हा व भूत डामर माला।
यदि पूर्ण श्रद्धा से साधना सम्पन्न कर ली जाये तो भगवान शिव के परोक्ष-अपरोक्ष दर्शन भी सम्भव होते ही है। बृहस्पति की यह साधना करने से गुरू कृपा भी प्राप्त होती है, क्योंकि बृहस्पति गुरू का ही रूप हैं।
साधना सामग्री- तांत्रोक्त रूद्र यंत्र, गुरू जीवट व चैतन्य माला।
पुत्री का विवाह नहीं हो पा रहा हो, किसी योजना के क्रियान्वित होने में बार-बार विघ्न उपस्थित हो रहे है, या किसी भी कार्य को अपने हाथ में लिया हो और आप उसमें पूर्ण सफलता चाहते हो, प्रमोशन नहीं हो रहा हो, मुकदमें में सफलता नहीं मिल रही हो, किसी प्रकार की कोई राज्य बाधा या सरकारी अड़चन से आपके कार्य रूके रहे हो, कोई धन आपका कहीं अटका हुआ हो, आदि ऐसे विघ्नों की समाप्ति हेतु पुष्पदन्त प्रणित शिव साधना करने से साधक के सभी कार्य सिद्ध होते ही है-
साधना सामग्री- 4 पुष्पदन्त रूद्राक्ष व पुष्पदन्तेश्वर माला।
रक्षा बंधन का पर्व आते ही सभी व्यक्तियों के हृदय में एक भावनात्मक सम्बन्ध उत्पन्न हो जाता है। ‘रक्षा’ इस शब्द के पीछे उनका उद्देश्य यही था, कि व्यक्ति अपनी सुरक्षा स्वयं करे, सामाजिक रूप से भी तथा आर्थिक रूप से भी।
साधना सामग्री- सर्व रक्षाकारी यंत्र व सफेद हकीक माला।
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