चने को पानी में भिगोकर या उबालकर जब इच्छा हो तब खायें। जिस पानी में चने भिगोये हों, उसी पानी को पियें। चने में नमक न डालें। कुछ सप्ताह तक यह प्रयोग करने से हर प्रकार के कुष्ठ रोग में लाभ होता है। सफ़ेद कोढ़ में वमन कराने से लाभ होता है।
मस्तिष्क की कोशिकाओं को दुरस्त करने व चैतन्य बनाने के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है। इसीलिए भोजन में सभी प्रकार की दालें व अनाज शामिल करें और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी कुछ समय के अन्तराल में लेने से चेतना बनी रहती है।
जौ के आटे को दही मे मिलाकर पेस्ट बनाकर चेहरे एवं गले पर लगायें। 15 मिनट बाद गर्म पानी से साफ़ कर दें। इससे त्वचा में निखार आता है तथा त्वचा मुलायम हो जाती है।
खुली हवा में घूमने से, कच्ची हल्दी का सेवन करने से तथा सप्ताह में एक बार त्रिफ़ला चूर्ण को गर्म पानी के साथ लेने से सौंदर्य बढ़ता है।
बड़ का दूध एवं हल्दी चेहरे पर लगाने से दाग मिटते हैं और खील नहीं होते। खीलें होने पर तीखे, गर्म एवं चटपटे पदार्थों का सेवन बन्द कर दें।
बच्चे के पैर के तलुए के नीचे थोड़ी लहसुन की कलियों को छीलकर थोड़ी देर रखें एवं ऊपर से ऊन के गर्म मोजे तथा चप्पल पहना दें। ऐसा करने से दमा धीरे-धीरे मिट जाता है। साथ में अदरक एवं तुलसी का रस दें।
अरनी के फ़ूल सुँघाने से अथवा अरण्डी के तेल को थोड़ा-सा गर्म करके नाक में 1-1 बूँद डालने से बच्चों को तनाव से लाभ होता है।
अरनी के उबाले हुए पत्तों को किसी भी प्रकार की सूजन पर बाँधने से तथा एक ग्राम हाथ की पीसी हुई हल्दी को सुबह पानी के साथ लेने से सूजन दूर होती है।
जब चेचक निकलने की शुरूआत हो तो बालक को दो तोला निबौली पानी के साथ पीसकर पिलाने से चेचक नहीं निकलता और निकले भी तो ज्यादा कष्ट नहीं देता।
सर्दी के बुखार-खांसी की गंभीर हालत में अजवाईन एवं नमक को सेंककर उसकी गरम-गरम पोटली छाती पर रखने से कफ़ पिघलकर बुखार में आराम मिलता है।
गाय के मूत्र को कुछ देर रख कर निथार और छान कर उसमें पाव तोला (3 ग्राम) हल्दी मिलाकर पीने से या तुलसी का रस लगाने व पीने से सफ़ेद दाग मिटते हैं।
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