नमक के पानी से कुल्ले करने तथा कत्थे अथवा हल्दी का चूर्ण लगाने से गिरे हुए दाँत का रक्तस्राव बंद होता है।
ज्वर के साथ जुकाम हो तो छोटी कटेरी और पित्तपापड़ा समान भाग का क्वाथ पिलाने से शीघ्र लाभ सम्भव है।
शहद छोटी मक्खी का और गाय का घी समान भाग मिला कर बवासीर के मस्सों पर लगाना चाहिये। इससे 2-3 सप्ताह में ही मस्से सूख जाते हैं।
खूनी बवासीर में बबूल के बाँदा को काली मिर्च के साथ पीस कर पीएं। चार-पाँच खुराकों में ही रक्त रूक जायेगा।
नीम के पत्तों की राख में कोयले का चूरा तथा कपूर मिलाकर रोज रात को लगाकर सोने से पायरिया में लाभ होता है।
शाम को गर्म पानी में दो चुटकी हल्दी पीने से शरीर सदा निरोगी और बलवान रहता है।
नींबू का शर्बत या सोड़े का पानी लेने से उल्टी में लाभ होता हैं।
तिल के तेल में पीसा हुआ नमक मिलाकर अंगुली से दाँतों को रोज घिसने से दाँत की पीड़ा दूर हो जाएगी।
बालक की मिट्टी खाने की आदत को छुड़ाने के लिए खूब पके केलों को शहद के साथ खिलायें।
बादम की गिरी, चारोली एवं खसखस को बारीक पीसकर, दूध में उबालकर, खीर बनाकर उसमें गाय का घी एवं मिश्री डालकर खाने से दिमाग पुष्ट होता है।
राई के तेल में चने का आटा और हल्दी मिलाकर लगाने से त्वचा कान्तियुक्त होती है।
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