सहनशीलता निश्चय ही श्रेष्ठ गुण है; जिसका आजकल अधिकांश व्यक्तियों में अभाव सा बन गया है, जिसके चलते उसमें संदेह, सहनशीलता की अधिकता इतनी अधिक हो जाती है कि वे कुछ बोल ही नहीं पाते, बोलने से पहले या बोलते ही उनके हाथ पांव कांपने लग जाते हैं, हृदय की धमनियाँ तेज हो जाती हैं, परिमाणतः वे अपने विचार व्यक्त नहीं कर पाते जिसके कारण वे कुंठित होते चले जाते हैं। कुल मिलाकर व्यक्ति में प्रवाह नहीं बन पाता, निर्मलता निश्छलता का वेग नहीं बन पाता है, वे अधूरे ही रह जाते हैं।
साधक के जीवन में संरचना की उत्पत्ति में विशुद्ध भाव को जाग्रत करने और साथ ही दुर्बल, क्षीण व दरिद्र मानसिकता को समाप्त करने में यह ‘‘भगवती सरस्वती शांति-कान्ति-तुष्टि प्राप्ति दीक्षा’’ का मूल भाव है। इस दीक्षा को ग्रहण करने मात्र से जीवन में सौन्दर्य, शांति, राग, कान्ति, संगीत, तुष्टि की उत्पत्ति होने के साथ-साथ जीवन को पहचानने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। केवल धन के प्रबलता के रूप में जीवन को न देखकर धन को अपने अधीन कर जीवन को नए रूप में देखने की क्रिया केवल यह दीक्षा के माध्यम से ही प्राप्त हो सकती है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,