हमारी संस्कृति में जितने भी देवी-देवता है उनमें से केवल सूर्य देव व चन्द्रमा ही ऐसे देव है जिनके दर्शन हम रोज साक्षात् कर सकते है। सूर्य देव न सिर्फ हमें बल्कि पूरे ब्राह्माण्ड को ऊर्जा देते है। प्राचीन काल से सूर्य को अर्घ्य देने की प्रथा चली आ रही है और इसके कई ASTROLOGICAL और SCIENTIFIC दोनों कारण है। ऐसा माना जाता है कि जब हम सूर्याेदय के समय सूर्य को जल अर्पित करते है तो हमारे दिन की शुरूआत अच्छे से होती है। उगते सूर्य को नियमित जल देने का सबसे पहला फायदा यह है कि इससे हमारी आंखें स्वस्थ रहती है। इसके लिये जल देते समय जल पात्र को सिर के सामने रखना चाहिये और गिरते जल के मध्य आंखों को केन्द्रित करते हुये सूर्य को देखना चाहिये, सूर्य अर्घ्य देने से CONFIDENCE भी BOOST UP होता है।
CONCENTRATION बढ़ता है, LEARNING & SPEAKING SKILLS भी बढ़ती है। सुबह सूर्यदेव को जल चढ़ाने से हमें Vitamin D भी मिलता है, हड्डियां मजबूत होती है, SKIN PROBLEMS भी नहीं रहती है। जहां तक हो सके सूर्यदेव को जल प्रातः 8 बजे से पहले ही दें जिससे हमे उनके MAXIMUM BENEFITS मिल सकें, साथ ही यदि घर के आंगन में या गार्डन में तुलसी का पौधा है तो वही खडे़ होकर जल दें जिससे सवेरे-सवेरे हमें ताजा ऑक्सीजन भी मिलें।
सूर्य देव को जल चढ़ाते समय कुछ बाते हमेशा ध्यान में रखनी चाहियें जैसे जल के लिये हमेशा तांबे का पात्र ही प्रयोग करें और उसमें पुष्प, गुड़, अक्षत, रोली भी मिलायें। हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करते हुये उगते हुये सूर्य को अर्घ्य दें। साथ ही इस समय आप गायत्री मंत्र यदि याद है तो उसका जप भी कर सकते है। याद रखें जब भी जल का अर्घ्य दें रहे हो तब वह हमारे पैर पर न गिर रहा हो क्योंकि इसे भगवान का असम्मान माना जाता है। सूर्यदेव से प्रार्थना करें कि वे आपको बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करें।
सुबह उठकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करना, गायत्री मंत्र का उच्चारण करना बहुत ही अच्छी HABITS है जो हमें DISCIPLINE सिखाती है, हमें हमारे CULTURE से जोड़े रखती है, जो LIFE LONG हमारे काम आती है।
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