शिवरात्रि, जो कि देवताओं के देव महादेव से सम्बन्धित रात्रि है, इस दिन इस प्रयोग को करने से जन्म-जन्म की दरिद्रता का नाश होता है तथा जीवन के समस्त अभाव, कष्ट, दुःख, दैन्य, पीड़ा और अकाल मृत्यु को समाप्त करने में यह समर्थ है। यह रात्रि तो भोग और मोक्ष प्रदायक रात्रि है। इस दिन भगवान शिव की जिस रूप में आराधना की जाय, वे उसी रूप में प्रसन्न होकर उसे फल प्रदान करते है।
यदि ऐसा सुअवसर पूज्यपाद गुरूदेव के सान्निध्य में व्यतीत हो, तो उस साधक का परम सौभाग्य ही होता है, जिससे वह स्वयं को साधनात्मक मार्ग पर अग्रसर कर लेता है और अपने जीवन को आध्यात्मिक और भौतिक, दोनों सम्पदाओं से युक्त बनाता है।
महाशिवरात्रि पर्व पर ‘‘इच्छित कामना सिद्धि प्रयोग’’ सम्पन्न कर आप अपनी उस मनोकामना को, उस इच्छित फल को प्राप्त कर सकेंगे, जो साधारणतः प्राप्त होना कठिन दिख रहा था।
साधना सामग्री- ज्योतिर्मय तेजस शिवलिंग, रूद्राक्ष, सिद्धिदायक फल, कार्य सिद्धत्व गुटिका
साधक शिवरात्रि को अपनी सुविधानुसार प्रातः या ज्यादा अच्छा रहेगा रात्रि में स्नानादि कर्मों से निवृत होकर पीली धोती पहिनें तथा पीले आसन पर पूर्वाभिमुख या पश्चिमाभिमुख हो कर बैठें। अपने सामने किसी बाजोट पर पीला कपड़ा बिछा लें, उस पर एक ताम्रपात्र में ‘ज्योतिर्मय तेजस शिवलिंग’ को स्थापित कर दें। किसी दूसरे पात्र में ‘रूद्राक्ष’, ‘कार्य सिद्धत्व गुटिका’ तथा ‘सिद्धिदायक फल’ को स्थापित कर दें। इसके अलावा अन्य आवश्यक पूजन-सामग्री को भी पहले से ही एकत्र करके रख लें। भस्म से अपने मस्तक पर त्रिपुण्ड लगावें।
पवित्रीकरण-
ॐ अपवित्रः पवित्रे वा सर्वावस्थां गतोऽपि वायः स्मरेत्
पुण्डरीकाक्षः स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।
इस मंत्र से आत्मप्रोक्षण करें। दीप तथा धूप जला लें।
‘ॐ पृथ्वि! त्वया धृता लोका देवि! त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारस्य मां देवि! पवित्रं कुरू चासनम्।।’
इस मंत्र से आसन पवित्र कर लें। हाथ में पुष्प ले कर ‘गणपति’ स्मरण कर पुष्प चढ़ा दें। दाहिने हाथ में जल, पुष्प, कुंकुम व अक्षत लेकर संकल्प करें-
संकल्प-
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः अद्य— मम सर्वारिष्टनिरसनपूर्वक
सर्वपापक्षयार्थं दीर्घायुरारोग्य धनधान्य पुत्रपौत्रदि
समस्तसम्पत्प्रवृद्धड्ढर्थं श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फलप्राप्त्यर्थं
श्रीसाम्बसदाशिव प्रीत्यर्थं पूजनमहं करिष्ये।
विनियोग-
ॐ अस्य श्रीशिवपंचाक्षरमंत्रस्य वामदेव ऋषिः, अनष्टुप्
छन्दः, श्रीसदाशिवो देवता, ओंकारो बीजम्, नमः
शक्तिः, शिवाय इति कीलकम्, मम
साम्बसदाशिवप्रीत्यर्थं न्यासे शिव
पूजने जपे च विनियोगः।
प्राण प्रतिष्ठा मंत्र विनियोग- प्रतिष्ठा से पूर्व जल ग्रहण कर निम्न रूप से विनियोग करें-
विनियोग–
ॐ अस्य श्री प्राणप्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रह्मविष्णु महेश्वरा
ऋषयः, ऋग्यजुः सामानिच्छन्दांसि, क्रियामयवपुः
प्राणाख्या देवता आं बीजं ह्रीं शक्तिः क्रौं कीलकं देव
प्राणप्रतिष्ठापने विनियोगः।
इतना कह कर जल भूमि पर छोड़ दें।
प्राण प्रतिष्ठा- हाथ में पुष्प लेकर उसे शिवलिंग में स्पर्श करते हुए नीचे लिखे मंत्र बोलें-
ॐ ब्रह्मविष्णुरूद्रऋषिभ्यो नमः शिरसि।
ॐ ऋग्यजुः सामच्छन्दोभ्यो नमः मुखे।
ॐ प्राणाख्यदेवतायै नमः हृदि।
ॐ आं बीजाय नमः गुह्ये।
ॐ ह्रीं शक्त्यै नमः पादयोः।
ॐ क्रौं कीलकाय नमः सर्वांगेषु।
इस प्रकार न्यास करके पुनः शिवलिंग का स्पर्श करें-
ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं सः
सोऽहं शिवस्य प्राणा इह प्राणाः।
ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं सः
सोऽहं शिवस्य जीव इह स्थितः।
ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं सः
सोऽहं शिवस्य सर्वेन्द्रियाणि वाघ्मनस्त्वक्चक्षुः
श्रोत्रघ्राणजिह्नापाणिपादपायूपस्थानि इहागत्य
सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा।
तदनन्तर अक्षत से आवाहन करें-
ॐ भूः पुरूषं साम्बसदाशिवमावाहयामि।
ॐ भुवः पुरूषं साम्बसदाशिवमावाहयामि।
ॐ स्वः पुरूषं साम्बसदाशिवमावाहयामि।
ॐ स्वामिन् सर्वजगन्नाथ यावत्पूजावसानकम्।
तावत्वम्प्रीतिभावेन लिंगेऽस्मिन सन्निधिं कुरू।।
ध्यान- ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचन्द्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पप्रासीनं समन्तात् स्तुतिममरगणैर्व्याघ्रवृत्तिं वसानं विश्वाद्यं
विश्ववन्द्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।
आवाहन- ॐ पिनाकधृषे नमः, श्रीसाम्बसदाशिव महेश्वर
इहागच्छ, इह प्रतिष्ठ, संनिहितो भव। श्री भगवते
साम्बसदाशिवाय नमः, आवाहनार्थे पुष्पं समर्पयामि। (पुष्प चढ़ायें)
आसन- ॐ नमः शिवाय, श्रीभगवते साम्बसदाशिवाय नमः
आसनार्थे अक्षतान् समर्पयामि। (अक्षत चढ़ायें)
पाद्य- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नमः,
पादयोः पाद्यं समर्पयामि। (जल चढ़ायें)
अर्घ्य- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, हस्तयोरर्घ्यं समर्पयामि। (जल चढ़ायें)
आचमन- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, आचमनीयं जलं समर्पयामि। (जल चढ़ायें)
मधुपर्क- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, मधुपर्कं समर्पयामि। (मधुपर्क चढ़ायें)
स्नान- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, स्नानीयं जलं समर्पयामि। (जल से स्नान करायें)
पंचामृतस्नान- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते
साम्बसदाशिवाय नमः, पंचामृतस्नानं समर्पयामि। (पंचामृत से स्नान करायें)
शुद्धोदकस्नान- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते
साम्बसदाशिवाय नमः, शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। (शुद्ध जल से स्नान करायें)
आचमन- शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि। (जल चढ़ायें)
वस्त्र- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नमः,
वस्त्रं समर्पयामि नमः। (वस्त्र निवेदित करें)
यज्ञोपवीत- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, यज्ञोपवीतं समर्पयामि। (यज्ञोपवीत चढ़ायें)
चन्दन- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, चन्दनं समर्पयामि। (चन्दन चढ़ायें)
भस्म- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नमः,
भस्म समर्पयामि। (भस्म निवेदित करें)
अक्षत- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, अक्षतान् समर्पयामि (अक्षत चढ़ायें)
पुष्पमाला- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, पुष्पमालां समर्पयामि। (पुष्पमाला चढ़ायें)
बिल्वपत्र- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, बिल्वपत्रणि समर्पयामि। (बिल्वपत्र चढ़ायें)
धूप- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नमः,
धूपमाघ्रापयामि। (धूप निवेदित करें)
दीप- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नमः,
दीपं दर्शयामि। (दीप दिखायें, हाथ धो लें)
नैवेद्य- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, नैवेद्यं निवेदयामि। (नैवेद्य अर्पित करें)
पानीय और आचमन-मध्ये पानीयमाचमनीयं च जलं
समर्पयामि। (जल निवेदित करें)
ऋतुफल- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, ऋतुफलानि समर्पयामि। (ऋतुफल चढ़ायें)
धतूरफल- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, धतूरफलानि समर्पयामि। (धतूर के फल चढ़ायें)
ताम्बूल– ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, मुखवासार्थे एला लवंग पूगीफलयुतं ताम्बूलं
समर्पयामि। (इलायची, लवंग, सुपारी के साथ पान चढ़ायें)
दक्षिणा- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय
नमः, दक्षिणां समर्पयामि। (दक्षिणा चढ़ायें)
मंत्रपुष्पांजलि- ॐ नमः शिवाय, श्री भगवते
साम्बसदाशिवाय नमः, मंत्रपुष्पांजलिं समर्पयामि। (पुष्पांजलि समर्पित करें)
तत्पश्चात् ‘रूद्राक्ष’, ‘कार्य सिद्धत्व गुटिका’ तथा ‘सिद्धिदायक फल’ पर कुंकुम, अक्षत व पुष्प चढ़ायें।
मंत्र जप- शिवलिंग पर त्रटक करते हुये ‘इच्छित कामना की पूर्ति’ हेतु निम्न मंत्र का पन्द्रह मिनट तक जप करें-
तत्पश्चात् ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 11 बार उच्चारण करें।
जप समर्पण- फिर निम्न मंत्रोच्चारण कर जप समर्पण करें-
गुह्यातिगुह्य गोप्तृ त्वं गृहाणस्मत्कृतं जपम्। सिद्धिर्भवतु से देव! त्वत्प्रसादान्महेश्वर।।
प्रदक्षिणा- यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे।।
क्षमा प्रार्थना-
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न
जानामि क्षमस्व परमेश्वर।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर।
यत्पूजितं महादेव! परिपूर्णं तदस्तु मे।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव।।
आरती- पूर्ण भक्तिभाव से भगवान सदाशिव की आरती करें।
इसके पश्चात् जल आरती सम्पन्न करें।
जल आरती-
जै शिव ॐ कारा।
मन भज शिव ॐ कारा।
मन रट शिव ॐ कारा।
हो शिव भूरी जटा वाला।
हो शिव दीर्घ जटा वाला।
हो शिव भाल चन्द्र वाला।
हो शिव तीन नेत्र वाला।
हो शिव ऊपर गंगधारा।
हो शिव बरसत जलधारा।
हो शिव तीव्र नेत्र ज्वाला।
हो शिव गल बिच रूण्डमाला।
हो शिव कम्बु ग्रीव वाला।
हो शिव भस्मी अंग वाला।
हो शिव फणिधर फण धारा।
हो शिव वृषभ स्कन्ध वाला।
हो शिव ओढ़त मृग छाला।
हो शिव धारण मुण्डमाला।
हो शिव भूत-प्रेत वाला।
हो शिव बैल चढण वाला।
हो शिव पारबती प्यारा।
हो शिव भक्तन हितकारा।
हो शिव दुष्ट दलन वाला
हो शिव पीवत भंग प्याला।
हो शिव मस्त रहन वाला।
हो शिव दरसन दो भोला।
हो शिव परसन हो भोला।
हो शिव बरसो जलधारा।
हो शिव काटो जम फासा।
हो शिव मेटो जम त्रसा।
हो शिव रहते मतवाला।
हो शिव ऊपर जलधारा।
हो शिव ईश्वर ॐ कारा।
हो शिव बम बम बम भोला।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, भोले भोले नाथ
महादेव अर्द्धांगी धारा।
ॐ हर हर हर महादेव—
शान्ति पाठ- आरती के बाद शान्ति पाठ करें-
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्ष (गूं) शान्तिरापः शान्तिरोषधयः
शान्तिर्वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्व (गूं) शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि।
ॐ शान्तिः। शान्तिः। शान्तिः।।
भगवान शिव के सामने चढ़ाये गये नैवेद्य को पूरे परिवार में वितरित करें।
विसर्जन- शिवलिंग, गुटिका, रूद्राक्ष तथा सिद्धिदायक फल को किसी स्वच्छ कपड़े में बांध लें और किसी पवित्र स्थान पर या किसी तीर्थ जल में अगले दिन विसर्जित कर दें। इस प्रकार भगवान शिव का पूजन तथा प्रयोग सम्पन्न करने वाले साधक की मनः इच्छा अवश्य पूरी होती है।
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