व्यक्ति संसार में सुख और शांति से जीना चाहता है, अतः इस संसार के भौतिक और दैविक विघ्नों के विनाश के लिये भगवती दुर्गा की अभ्यर्थना-आराधना करना परम आवश्यक है, जो दुर्गति का नाश करती है वे ही भगवती दुर्गा है। जिस व्यक्ति में जितना अधिक दया, परोपकार, क्षमा, सहनशीलता का भाव होगा, भगवती दुर्गा उसके प्रति उतनी ही अधिक कृपावान होगी। देवी भगवती कल्याणी स्वरूप है, जिनके तीव्र प्रभाव से दुष्टात्माओं का नाश हो जाता है और प्रबल से प्रबल शत्रु भी वश में होकर दास स्वरूप बन जाता है।
जिस प्रकार माँ अपने शिशु की प्रत्येक आवश्यकता को पूर्ण करने के लिये तत्पर रहती है, उसी प्रकार भगवती दुर्गा अपने साधक की प्रत्येक कामना को पूर्ण करती ही है। जिसे उसे जगत जननी की कृपा प्राप्त हो गई, उसे फिर किस बात की चिन्ता। ऐश्वर्यमयी, परमशक्ति स्वरूपा भगवती के आश्रय में जब व्यक्ति प्रस्तुत हो जाता है, तो फिर वह श्रीहीन, शक्तिहीन रह ही नहीं सकता। उसको धन-धान्य, समृद्धि, यश, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, बल और तेजस्विता आदि सहज ही प्राप्त हो जाता है।
अतः अपने जीवन के अनेक शत्रुओं का संहार कर ही जीवन को पूर्ण चेतनावान व क्रियाशील बना सकेंगे और यह नूतन विक्रम संवत् 2080 हर स्वरूप में उच्चताओं को सरलता से प्राप्त कर सकेंगे इस हेतु शत्रु संहारक रोजगार-व्यापार बाधा निवारण भगवती दीक्षा ग्रहण करना फलदायक माना गया है। इस दीक्षा को ग्रहण करने पर व्यक्ति के व्यापार में या जीवन में आने वाली बाधाओं की जड़ से समाप्ति होती है एवं शत्रु, तांत्रिक प्रभाव फलदायी नहीं होते अर्थात् निरन्तर आद्या शक्ति देवी भगवती की कृपा से जीवन में आने वाली दुर्गतिमय कुस्थितियां समाप्त होती रहती है व जीवन निर्विघ्न रूप से जाज्वल्यमान, चेतन्य व क्रियाशील बना रहता है।
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