विद्वानों के अनुसार हथेली में मस्तिष्क रेखा का पुष्ट सुदृढ़ एवं स्पष्ट होना अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि यदि मस्तिष्क रेखा जरा-सी-भी विकृत होती है, तो उसका पूरा जीवन लगभग बरबाद सा हो जाता है। मस्तिष्क रेखा का कोई एक उद्गम नहीं है। यह अलग-अलग स्थानों से निकलती है। प्रधानतः इसका उद्गम निम्न प्रकार से देखा गया हैः-
1- जीवन रेखा के उद्गम स्थान से निकल कर यह जीवन रेखा को ही काटती हुई हथेली की दूसरे छोर पर पहुंच जाती है।
2- जीवन रेखा के उद्गम स्थान के पास से निकल कर हथेली के मध्य में समाप्त हो जाती है।
3- जीवन रेखा के बराबर चलती हुई काफ़ी आगे चलकर यह अपना रास्ता बदल देती है।
4- जीवन रेखा के पास से चलकर हथेली को दो भागों में बांटती हुई दूसरे छोर पर पहुंच जाती है।
5- मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा आपस में मिलती हुई सी चलती है, इस प्रकार ये पांच उद्गम स्थान देखे जा सकते है।
परन्तु इसके अलावा भी मस्तिष्क रेखा के अन्य उद्गम स्थान होते है।
जिस व्यक्ति के हाथ में मस्तिष्क रेखा पहले प्रकार के अनुसार दिखाई देती है, वह अनुकूल नहीं मानी जाती। क्योंकि ऐसी रेखा जीवन रेखा को काटकर चलती है और इस प्रकार का चिन्ह मानव जीवन में दुर्घटना का संकेत देता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में दुर्बल, कमजोर, तथा रूग्ण रहता है। जरा-जरा सी बात पर वह क्रोधित हो जाता है तथा दूरदर्शी न होने के कारण जीवन में अपना ही अहित कर बैठता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में मित्रों की संख्या कम ही होती है और समय पड़ने पर मित्र भी धोखा दे देते है।
दूसरे प्रकार की मस्तिष्क रेखा का उद्गम जिस हथेली में दिखाई देता है, ऐसा व्यक्ति निश्चय ही जीवन में महत्वपूर्ण पद प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन के कार्य और विचारों में परस्पर पूर्ण सामंजस रहता है और वह समय पड़ने पर शीघ्र निर्णय लेने वाला होता है एवं अवसर को भली प्रकार से पहचानने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति कुशाग्र बुद्धि वाला होता है तथा बात के मर्म तक शीघ्र ही पहुंचने में सक्षम होता है। यात्राओं के माध्यम से ऐसा व्यक्ति जीवन में पूर्ण सफ़लता प्राप्त करता है।
जिस हाथ में तीसरे प्रकार की मस्तिष्क रेखा का उद्गम होता है, ऐसा व्यक्ति प्रबल आत्मविश्वासी होता है। जीवन में आय के स्रोत एक से अधिक होते है। यद्यपि कई बार उसके मन में हीन भावना आ जाती है, परन्तु फि़र भी वह अपने पुरुषार्थ के माध्यम से जीवन में सफ़ल हो जाता है।
चौथे प्रकार की मस्तिष्क रेखा का उद्गम जिन व्यक्तियों के हाथों में होता है, उनको जीवन में कई बार विदेश यात्राओं के योग बनते है, साथ ही वह विदेश में व्यापार कर विशेष धन लाभ करता है। ऐसे व्यक्ति भौतिक दृष्टि से पूर्ण सफ़ल होते देखे गए है।
जिन व्यक्तियों के हाथों में पांचवे प्रकार की मस्तिष्क रेखा का उद्गम होता है, वे व्यक्ति कठोर, निर्दयी एवं भावनाशून्य होते है। एक प्रकार से इन व्यक्तियों के पास हृदय नाम की कोई चीज़ नहीं होती। अधिकतर अपराधियों के हाथों में इस प्रकार का उद्गम सहज ही देखने को मिलता है। यदि इस प्रकार के हाथों में मात्र मस्तिष्क रेखा ही हो और हृदय रेखा दिखाई न दे या हाथ में मस्तिष्क रेखा तथा हृदय रेखा परस्पर मिल गई हो या एक दूसरे से लिपट गई हो तो ऐसा व्यक्ति जीवन में कई हत्याएं करता है तथा भयंकर डाकू बनता है।
वस्तुतः हस्त रेखा विशेषज्ञ को हाथ देखते समय मस्तिष्क रेखा के उद्गम पर विशेष विचार करना चाहिए और उस उद्गम को देखकर उसके अनुसार उसकी धारणा बनानी चाहिए क्योंकि मस्तिष्क रेखा का प्रारंभ कई नये तथ्यों को स्पष्ट करता है।
आगे की पंक्तियों में मस्तिष्क रेखा से सम्बिन्धित अन्य तथ्य स्पष्ट कर रहा हूं –
1- यदि मस्तिष्क रेखा से कोई पतली रेखा गुरु पर्वत की ओर जा रही हो, तो वह योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने वाला तथा बुद्धिमान होता है।
2- यदि यह रेखा सीधी, स्पष्ट और निर्दोष हो, तो वह व्यक्ति तुरन्त निर्णय लेने वाला, क्रियाशील मस्तिष्क का धनी तथा बुद्धिमान व्यक्ति होता है।
3- यदि मस्तिष्क रेखा तथा जीवन रेखा का उद्गम अलग-अलग हो, तो वह वयक्ति स्वच्छन्द प्रकृति का होता है। वह अपने तरीके से काम करता है और किसी दवाब में कार्य नहीं करता।
4- यदि किसी स्त्री के हाथ में मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा का उद्गम अलग-अलग हो, तो वह स्त्री कुलटा होती है।
5- यदि मस्तिष्क रेखा से कोई शाखा निकल कर गुरु पर्वत के अन्त तक पहुंच जाती है, तो वह व्यक्ति देश का श्रेष्ठ साहित्यकार अथवा कलाकार होता है। वह अपना जीवन शालीनता से व्यतीत करने में समर्थ होता है।
6- यदि मस्तिष्क रेखा हथेली के बीच में जाकर नीचे की ओर झुक जाती है, तो ऐसा व्यक्ति धन के प्रति बहुत अधिक मोह रखने वाला होता है। उसकी इच्छाएं ऐश्वर्य से जीवन व्यतीत करने की होती है। परन्तु परिस्थितियों के कारण वह अपनी इच्छाओं की पूर्ति नहीं कर पाता।
7- यदि मस्तिष्क रेखा बढ़कर हृदय रेखा को छू ले, तो वह व्यक्ति अपनी पत्नी के अलावा अन्य कई सि्त्रयों से सम्बन्ध रखने वाला होता है। परन्तु जीवन में इस क्षेत्र में उसे बदनामी भी मिलती है।
8- यदि मस्तिष्क रेखा हृदय रेखा से लिपटती हुई सी आगे बढ़ती है, तो ऐसा व्यक्ति क्रोध में अपनी पत्नी या प्रेमिका की हत्या कर देता है।
9- मस्तिष्क रेखा को झुकाव जिस पर्वत की ओर विशेष होता है, उस पर्वत के गुणों में वृद्धि हो जाती है। उदाहरणार्थ यदि इसका झुकाव गुरु पर्वत की ओर होता है, तो वह व्यक्ति श्रेष्ठ साहित्यकार या तत्वज्ञानी होता है।
10- यदि मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत की ओर जा रही हो, तो ऐसा व्यक्ति दार्शनिक अथवा चिन्तक होता है।
11- यदि मस्तिष्क रेखा सूर्य पर्वत की ओर झुकती हुई दिखाई दे, तो वह व्यक्ति अत्यन्त उच्च पद प्राप्त करता है।
12- यदि मस्तिष्क रेखा का झुकाव बुद्ध पर्वत की ओर प्रतीत हो, तो ऐसा व्यक्ति एक सफ़ला व्यापारी होता है तथा व्यापार के माध्यम से वह अतुलनीय धन प्राप्त करता है।
13- यदि मस्तिष्क रेखा लहराती हुई आगे बढ़ती हो, तो ऐसे व्यक्ति का चित्त अस्थिर होता है तथा उसकी कथनी और करनी में समानता और एकरूपता नहीं रह पाती।
14- यदि मस्तिष्क रेखा आगे चलकर चन्द्र पर्वत की ओर जाती हुई दिखाई दे तो निश्चय ही वह व्यक्ति कवि होता है और जीवन में कई बार जलयात्रा करता है।
15- मस्तिष्क रेखा जहां समाप्त होती है, उस स्थान पर क्रॉस का चिन्ह हो, तो वह व्यक्ति निश्चय ही वृद्धावस्था में पागल हो जाता है।
16- यदि मस्तिष्क रेखा चन्द्र पर्वत की ओर से ऊपर से होती हुई मणिबन्ध तक पहुंच जाती है, तो ऐसा व्यक्ति जीवन भर दुखी, दरिद्र और निकम्मा रहता है।
17- यदि मस्तिष्क रेखा मणिबन्धा तक पहुंच कर रूक जाती है और इसके आगे क्रॉस का चिन्ह होता है, तो वह व्यक्ति निश्चय ही आत्महत्या करता है।
18- यदि मस्तिष्क रेखा के अंतिम छोर पर दो भाग हो जाते है, तो वह व्यक्ति कई प्रयत्नों से धन संग्रह करने में लगा रहता है। जीवन में ऐसे व्यक्ति को धन, यश, मान, पद, प्रातिष्ठा सहज ही मिल जाती है।
19- यदि मस्तिष्क रेखा मंगल क्षेत्र पर ही समाप्त हो जाए, तो ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में असफ़ल ही रहता है।
20- यदि मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत की ओर जाती है तथा उसके अंतिम सिरे पर क्रॉस का चिन्ह् हो तो वह व्यक्ति आधा पागल कहलाता है तथा जीवन में उसको असफ़लता ही मिलती है।
21- मस्तिष्क रेखा जिस स्थान पर भी हृदय रेखा को काटती है, जीवन की उस उम्र में व्यक्ति को बहुत बड़ी स्वास्थ्य हानि होती है।
22- यदि हाथ में मस्तिष्क रेखा दोहरी हो अर्थात मस्तिष्क रेखा के साथ ही साथ उसकी सहायक रेखा भी चल रही हो, तो ऐसा व्यक्ति अत्यन्त भाग्यवान कहलाता है।
23- यदि दोहरी मस्तिष्क रेखा सीधी और सपाट हो, तो निश्चय ही ऐसा व्यक्ति कूटनीति में पूर्ण सफ़लता प्राप्त करता है।
24- यदि मस्तिष्क रेखा चलते-चलते मार्ग में टूट गई हो, तो वह असंतुलित मस्तिष्क वाला होता है।
25- यदि मस्तिष्क रेखा गुरु पर्वत के नीचे ही खण्डित हो जाती है, तो उस व्यक्ति को बचपन में भयंकर चोट लगती है। इस प्रकार यदि यह रेखा शनि पर्वत के नीचे टूटती है, तो 24 वे वर्ष में शस्त्र घात का योग बनता है।
26- यदि मस्तिष्क रेखा सूर्य पर्वत के नीचे भंग हो जाती है, तो उस व्यक्ति को नौकरी में बहुत बदनामी का सामना करना पड़ता है। यदि ऐसी रेखा बुध पर्वत के नीचे जाकर टूटती हो, तो उसे व्यापार में दिवालिया होना पड़ता है।
27- यदि मस्तिष्क रेखा जंजीर के समान हो, तो उसे जीवन में मस्तिष्क सम्बन्ध रोग रहते है
28- यदि गुरु पर्वत के नीचे मस्तिष्क रेखा पर किसी प्रकार का कोई द्वीप हो, तो व्यक्ति पागल होता है।
29- शनि पर्वत के नीचे यदि मस्तिष्क रेखा पर द्वीप का चिन्ह दिखाई दे, तो वे 24वें वर्ष में पागलखाने जाना पड़ता है।
30- यदि सूर्य पर्वत के नीचे मस्तिष्क रेखा पर किसी प्रकार का कोई द्वीप दिखाई दे, तो वह व्यक्ति जीवन में सभी दृष्टियों से असफ़ल रहता हैं।
31- यदि बुध पर्वत के नीचे इस रेखा पर द्वीप बन जाए, तो विस्फ़ोट के कारण उस व्यक्ति की मृत्यु होती है।
32- यदि मस्तिष्क रेखा बीच में से कटी हुई हो, तो ऐसा व्यक्ति असंतुलित दिमाग वाला कहा जाता है। जाती है, तो ऐसा व्यक्ति जीवन भर दुखी, दरिद्र और निकम्मा रहता है।
33- यदि मस्तिष्क रेखा के आस-पास छोटी-मोटी बारीक रेखाएं दिखाई दें, तो वह व्यक्ति अस्थिर निर्णय वाला होता है।
34- यदि मस्तिष्क रेखा घूमकर शुक्र पर्वत की ओर जाती हुई दिखाई दे, तो वह व्यक्ति उन्नति करता है तथा सि्त्रयों में अत्यधिक लोकप्रिय होता है।
35- यदि मस्तिष्क रेखा पर सफ़ेद बिन्दु दिखाई दे, तो वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण सफ़लता प्राप्त करता है।
36- यदि मस्तिष्क रेखा पर काले धब्बे या बिन्दु दिखाई दें, तो ऐसा व्यक्ति विकृत मस्तिष्क वाला होता है।
37- यदि इस रेखा पर क्रॉस का चिन्ह हो, तो व्यक्ति की मृत्यु दुर्घटना में होती है।
38- यदि इस रेखा पर नक्षत्र का चिन्ह हो, तो उसे जीवन में गहरी चोट लगती है।
39- यदि इस रेखा पर वृत्त का चिन्ह हो, तो व्यक्ति अदूरदर्शी तथा मूर्ख होता है।
40- यदि इस रेखा पर त्रिकोण का चिन्ह हो, तो उसे जीवन में भयंकर हानि का सामना करना पड़ता है।
41- यदि लम्बी उंगलियां हो और मस्तिष्क रेखा भी सीधी तथा स्पष्ट हो, तो वह व्यक्ति सूक्ष्मदर्शी एवं बुद्धिमान होता है।
42- यदि छोटी उंगलियां हो और मस्तिष्क रेखा स्पष्ट हो, तो उसके जीवन में पूर्ण प्रगति नहीं हो पाती।
43- यदि सभी पर्वत पुष्ट हो तथा मस्तिष्क रेखा भी सीधी और स्पष्ट हो, तो वह व्यक्ति निश्चय ही अपने प्रयत्नों से जीवन में सफ़लता प्राप्त करता है।
44- यदि हाथ में नोकीली उंगलियां हो तथा मस्तिष्क रेखा सीधी हो, तो वह व्यक्ति विद्वान होता है।
45- यदि हृदय रेखा तथा जीवन रेखा के अन्तिम छोर पर त्रिकोण का चिन्ह हो, तो वह शुभ माना जाता है।
46- यदि मस्तिष्क रेखा हथेली के आर-पार जाती हुई दिखाई दे, तो उस व्यक्ति की स्मरणशक्ति अत्यन्त तीव्र होती है और वह जीवन में मेधावी कहा जाता है।
47- यदि हृदय रेखा छल्लेदार हो, तो उसे सिर के रोग बराबर बने रहते है।
48- यदि छोटा अंगुठा हो पर साथ में मस्तिष्क रेखा हल्की हो, तो वह व्यक्ति अपनी ही मूर्खता से दिवालिया हो जाता है।
49- यदि बुध पर्वत विकसित हो, परन्तु मस्तिष्क रेखा कमजोर हो तो उसे जीवन में बहुत बड़ा विश्वासघात सहन करना पड़ता है।
50- यदि चौड़ी हथेली हो तथा सूर्य पर्वत कमजोर हो, परन्तु मस्तिष्क रेखा स्पष्ट हो, तो भी वह व्यक्ति जीवन में सफ़ल नहीं हो पाता।
51- पतली हृदय रेखा को मानसिक दुर्बलता को स्पष्ट करती है।
52- यदि मस्तिष्क रेखा पर छोटे-छोटे कई द्वीप हों, तो उस व्यक्ति को सन्निपात की अवस्था में मरना पड़ता है।
53- यदि मस्तिष्क रेखा टेढ़ी-मेढ़ी हो, तो वह व्यक्ति संकुचित विचारधारा का होता है।
54- यदि हृदय रेखा कमजोर हो और मस्तिष्क रेखा स्पष्ट हो, तो उसे जीवन में क्षयरोग का सामना करना पड़ता है।
55- यदि जीवन रेखा ऊपर से उद्गम करती हुई आगे बढ़ती हो और साथ में कई छोटी-मोटी रेखाएं हो, तो ऐसा व्यक्ति अत्यधिक शक्तिशाली होता है।
56- यदि इस रेखा के अन्त में चतुर्भुज हो तो वह व्यक्ति विदेश में सफ़लता प्राप्त करता है।
57- यदि गुरु एवं मंगल पर्वत विकसित हो तथा मस्तिष्क रेखा स्पष्ट हो, तो ऐसे व्यक्ति में असाधारण आत्मविश्वास एवं प्रबल इच्छाशक्ति होती है।
58- यदि मस्तिष्क रेखा अंगुठे के पास में से होकर चल रही हो, तो उसकी आयु बहुत कम होती है।
59- यदि हृदय रेखा की ओर बढ़ती हुई यह रेखा बीच में कई जगह टूटी हुई हो, तो उसे जीवन में मिर्गी का रोग होता है।
60- यदि यह रेखा जीवन रेखा के साथ-साथ आगे बढ़ रही हो, तो उसे प्रेम में विश्वासघात होने के कारण इसकी मृत्यु होती है।
61- यदि यह रेखा चन्द्र पर्वत पर जाकर समाप्त होती हो, तो वह व्यक्ति प्रसिद्ध तांत्रिक होता है।
62- यदि यह रेखा जालीदार हो, तो वह कुशल वक्ता होता है।
63- यदि यह रेखा तिरछापन लिए हुए आगे बढ़ती हो, तो ऐसा व्यक्ति जुए में अपना सब कुछ बर्बाद कर लेता है।
64- यदि यह रेखा हथेली के बीच में समाप्त होती हो, तो वह व्यक्ति पागल होता है।
65- यदि यह रेखा कुछ दूर चलकर वापिस मुड़ जाती हो, तो ऐसे व्यक्ति का प्रेम मे दुखद अन्त होता है।
66- यदि यह भाग्य रेखा के आस-पास जाकर समाप्त होती हो, तो वह व्यक्ति 25 साल से पहले-पहले मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
67- यदि इसका अन्त बुध पर्वत की ओर हो, तो वह व्यवस्थित कार्य करने वाला होता है। यदि इसका अन्त मंगल पर्वत पर हो, तो उसे दिमागी परेशानी रहती है।
68- यदि यह रेखा छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटी हुई हो, तो वह व्यक्ति अत्यधिक घमंडी होता है।
69- यदि यह सूर्य क्षेत्र के नीचे टूट जाती है, तो हिंसक पशु के आघात से उसकी मृत्यु हो जाती है।
70- यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा मिलकर न्यून कोण बनाती हो, तो वह व्यक्ति राज्य सेवा में अत्यन्त उच्च पद पर पहुंचता है।
71- यदि यह जीवन रेखा से मिलकर हृदय रेखा की ओर जा रही हो, तो वह व्यक्ति अंधा होता है।
72- यदि मस्तिष्क रेखा और स्वास्थ्य रेखा दोनों के अंतिम सिरे पर क्रॉस का चिन्ह हो, तो उसे जीवन में मस्तिष्क रोगों से ग्रसित होना पड़ता है।
73- यदि मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा दोनों टूटी हुई हो, तो उसे गुहस्थ-जीवन का सुख नहीं मिलता।
74- यदि स्वास्थ्य रेखा और मस्तिष्क रेखा दोनों ही लहरदार हो, तो उस व्यक्ति का स्वास्थ्य अत्यन्त की कमजोर होता है।
75- यदि हथेली के मध्य में यह हृदय रेखा से मिलती है, तो उसके जीवन में शस्त्र भय बना रहता है।
76- यदि कोई अन्य रेखा मस्तिष्क रेखा को काट दे, तो उसका मस्तिष्क कमजोर होता है।
77- यदि मस्तिष्क रेखा टूटी हुई तो तथा इसके साथ अन्य रेखाएं भी हो, तो व्यक्ति जीवन में पागल होता है।
78- यदि कोई रेखा शुक्र पर्वत से निकलकर मस्तिष्क रेखा को काटती हो, तो उसका गृहस्थ जीवन बरबाद हो जाता है।
79- यदि मस्तिष्क रेखा से कोई शाखा निकलकर शुक्र पर्वत की ओर जाती हो, तो उसका प्रेम जीवन भर गुप्त बना रहता है।
80- यदि इस रेखा से कोई सहायक रेखा निकल कर गुरु पर्वत की ओर जाती हो, तो वह व्यक्ति किराने का व्यापारी होता है।
81- यदि इस रेखा से कोई सहायक रेखा निकल कर शनि पर्वत की ओर जाती हो, तो वह जीवन में उच्चकोटि का धार्मिक व्यक्ति होता है।
82- यदि इस रेखा से निकल कर कोई सहायक रेखा सूर्य पर्वत की ओर जाती हो, तो उसे आकस्मिक धन लाभ होता है।
83- यदि इस रेखा से कोई सहायक रेखा बुध पर्वत की ओर जाती हो, तो निश्चय ही वह लाखों का स्वामी होता है।
84- यदि इस रेखा के अन्त में रेखाओं का गुच्छा सा हो, तो वह व्यक्ति कुटिल, झूठा एवं चालाक होता है।
85- यदि शनि पर्वत के नीचे इस रेखा पर सफ़ेद धब्बे हो, तो उसे जीवन में आर्थिक सफ़लता मिलती है।
86- यदि सूर्य पर्वत के नीचे इस रेखा पर सफ़ेद धब्बे हो, तो उसे रार्ष्ट्रव्यापी सम्मान मिलता है।
87- यदि बुध पर्वत के नीचे इस रेखा पर सफ़ेद धब्बे हो, तो वह व्यक्ति करोड़पति होता है।
88- यदि मंगल पर्वत बलवान हो और इस रेखा के अन्त में त्रिकोण बना हुआ हो, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी की हत्या अवश्य करता है।
89- यदि इस रेखा पर कहीं पर भी लाल धब्बा हो, तो सिर पर चोट लगने से उस व्यक्ति की मृत्यु होती है।
90- यदि इस रेखा पर कहीं पर भी नीला धब्बा हो, तो वह जीवन में अपराधी मनोवृत्ति का होता है।
91- यदि यह रेखा तर्जनी के मूल तक पहुंच जाए, तो वह व्यक्ति जीवन में असफ़ल होता है।
92- यदि यह रेखा मध्यमा उंगली पर चढ़ जाए, तो उस व्यक्ति की डूबने से मृत्यु होती है।
93- यदि यह रेखा अनामिका के मूल तक पहुंच जाए, तो ऐसा व्यक्ति प्रसिद्ध तांत्रिक होता है।
94- यदि यह रेखा कनिष्ठिका उंगली पर चढ़ जाए, तो उस व्यक्ति की सन्निपात की अवस्था में मृत्यु हो जाती है।
95- यदि यह रेखा सभी दृष्टियों से दोष मुक्त हो, तो व्यक्ति को चुम्बकीय व्यक्तित्व होता है।
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