सोठं, तुलसी, गुड़ एवं कालीमिर्च का काढ़ा बनाकर उसमें नींबू निचोड़कर पीने से सादा बुखार मिटता है।
शरीर में हल्का बुखार होने पर 7-8 कड़वे नीम के पत्ते तथा 10-12 तुलसी के पत्ते खाने से अथवा पुदीना एवं तुलसी के पत्तों के एक तोला रस में 3 ग्राम शक्कर डालकर पीने से हल्के बुखार में खूब लाभ होता है।
सन्निपात ज्वर में 100 ग्राम पानी में 20 काली मिर्ची का काढ़ा बनाकर थोड़ी-थोडी देर में चम्मच-चम्मच पानी पिलाने से संभव है, रोगी को राहत मिलती है।
पलाश के फ़ूलों का चूर्ण दूध-मिश्री के साथ लेने से गर्मी तथा जीर्णज्वर में लाभ होता है।
कालाजीरा, चिरायता और कटुकी एक-एक चम्मच लेकर इन सबको रात्रि में भिगोकर सुबह 500 ग्राम पानी में तब तक उबाले, जब तक पानी केवल दो चम्मच रह जाये। उस पानी को सुबह पीने से जीर्णज्वर में लाभ होता है।
इन्द्र जौ, नागरमोथ, पित्तपापड़ा, कटुकी का चूर्ण दिन में तीन बार खाने से मलेरिया में लाभ होता है।
तुलसी के हरे पत्तों तथा कालीमिर्च को बराबर मात्रा में लेकर, बारीक पीसकर गुंजा जितनी गोली बनाकर बराबर मात्रा में लेकर, 2-2 गोली तीन-तीन घण्टे के अन्तर से पानी के साथ लेने से मलेरिया में लाभ होता है।
नीम अथवा तुलसी का काढ़ा या तुलसी का रस 10 ग्राम और अदरक का रस 5 ग्राम पीने से मलेरिया में लाभ होता है।
तुलसी के सात पत्ते, खूबकला छः ग्राम, उन्नाव 4 नग एवं सात मुनक्के पीसकर 2 तोला पानी में मिलाकर, सुखाकर सुबह-शाम देने से बुखार का कम हो जाता है।
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