शुभाशीर्वाद
हमारे ऋषिओं-गुरुओं ने जो साधनाएं की हैं उससे ही हमें यह मनुष्य का जीवन मिला है। हम इस मनुष्य जीवन में आनन्दमय सीरत का सृजन कर सकें, इस देह को सुगन्ध युक्त बनाकर हम हमारे गुरु के दिखाए मार्ग पर सफलता पूर्वक चल सकें व सफलता के पथ पर अग्रसर हो सकें और हमारे सभी कष्ट समाप्त हो जाएं । पर इन सब को सम्भव करने के लिए गुरु का आशीर्वाद आवश्यक होता है।
आशीर्वाद प्राप्त किये बिना कोई भी चीज सम्भव नहीं होती है। सदा खुश रहो, सदासुखी रहो, विध्याता भव, आरोग्यवान रहो, सदा सुहागन रहो, पुत्रवान भव, लक्ष्मीवान रहो, God Bless You, यह सब सामान्य वचन नहीं, हमारे बड़े़ व पूर्वजों द्वारा दिये गये आशीर्वाद हैं।
आशीर्वाद जीवन की श्रेष्ठतम सिद्धि हैं। आप में से जिसने आशीर्वाद का अर्थ समझ लिया, इसे प्राप्त कर लिया, उसका जीवन सफल हो गया। मेरा आशीर्वाद सदैव मेरे शिष्यों के साथ रहेगा, भले ही वह एक अच्छा शिष्य हो या बुरा। भले ही वह मुझे गालियां देता हो या मेरी निन्दा करता हो। मुझे मेरा धर्म निभाना है, यह आप पर निर्भर करता है कि आप कैसे शिष्य बनना चाहते हैं? आशीर्वाद! आयुष्मान भवः – समस्त ब्रह्माण्ड की शक्तियों को समेटे हुए समस्त ऋषियों को, मैं सद्गुरुदेव के आशीर्वाद से इस आनन्दमय उत्सव में उपस्थित करते हुए, आप समस्त लोगो के लिए उनसे आशीर्वाद की आकांक्षा करता हूं।
मन का संतुलन सदा बनाए रखिए। यह बहुत ही आवश्यक है। यद्यपि यह कठिन है फिर भी अनिवार्य है। आप तभी सुखी हो सकते हैं। सुख-दुःख, गर्मी-सर्दी, लाभ-हानि, सफलता-विफलता, मान-अपमान, आदर-अनादर, इन सब में जो सम रहता है वह ज्ञानी है। यह अभ्यास यद्यपि कष्टकर है फिर भी इससे मानसिक-आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। जो सदा मन का संतुलन बनाए रखने में समर्थ है, वह इस विश्व का महान पुरूष है। उसका शारीरिक देह कमजोर हो सकता है, परन्तु फिर भी वह सबसे अधिक शक्तिशाली है। सांसारिक जन छोटी-छोटी बातों में ही मन का संतुलन खो बैठते हैं। वे बहुत जल्द चिड़चिड़ा जाते हैं। क्रोधित होने पर शक्ति का अपव्यय होता है। चिड़चिड़ा मनुष्य बहुत ही कमजोर होता है। यद्यपि उसके पास शारीरिक शक्ति रहती है, उन्हें विवेक, ब्रह्मचर्य तथा ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। जिन लोगों ने अपने वीर्य का अपव्यय किया है, वे अपने आत्म संतुलन से रिक्त होते हैं।
हमारे भौतिक जीवन में या घर में यदि कोई समस्या या तकलीफ होती है, तो हम तीर्थ यात्रा करते हैं, साथ ही नित्य प्रतिदिन अपने आसपास के मंदिर में प्रार्थना-पूजा करते हैं और अपनी इच्छा उस ईश्वर के प्रति रखते है कि वे हमारी समस्याओं का समाधान सम्भव करें। जबकि इसके विपरीत दैनिक क्रियाओं में हमारे घर में यदि नल में पानी लिकेज हो रहा है, तो उसके रिपेयर हेतु प्लम्बर Plumber को बुलाते हैं और वह उसे ठीक करता है, ठीक इसी तरह घर में बिजली के उपकरण खराब होते हैं तो इलेक्ट्रीसियन Electrician से सम्पर्क करते हैं। वह उसे सही करता है, क्या ऐसे समय में भगवान से प्रार्थना करने से नल में सुधार अथवा बिजली उपकरणों में सुधार सम्भव हो पाता है? सही अर्थों में ऐसा नहीं हो पाता। इसके लिए उस स्थिति में उससे सम्बन्धित जानकार से सम्पर्क कर ही निरन्तरता का भाव बनाकर रखना पड़ता है, तब ही भौतिक जीवन में सही स्थितियां प्राप्त होती हैं। ठीक उसी तरह यदि जीवन में दुःख तकलीफ अथवा बाधायें हैं, तो केवल भगवान से प्रार्थना करने से ये बाधाऐं समाप्त नहीं होती वरन् उसके लिए उससे सम्बन्धित भाव चिंतन, क्रिया और मार्ग-प्रशस्त करने हेतु साधना और पूजा अर्चना करना आवश्यक है और उसमें निरन्तरता का भाव बनाये रखना पड़ता है। तब ही जीवन में दुःख, तकलीफ और बाधायें समाप्त होती हैं और सुख, आनन्द और उन्नति-प्रगति प्राप्त होती रहती है।
संसार में सफलता प्राप्त करने की आकांक्षा के साथ अपनी योग्यताओं में वृद्धि करना भी आरंभ कीजिए। यदि आपको अपने मन पर विश्वास है तो, जैसा होना चाहते हैं उसके अनुरूप अपनी योग्यताएं बनाने में प्रवृत्त हो जाएंगे, तो विधाता को विवश होकर आपकी मन-मर्जी का भाग्य लिखना पड़ेगा।
जो आत्मनिर्भर हैं, आत्मविश्वासी तथा आत्मनिर्णायक हैं, जिनके पास अपनी बुद्धि और अपना विवेक है, उनका ही जीवन सफल एवं संतुष्ट होता है। स्वावलंबी को किसी काम के लिए किसी दूसरे का मुंह नहीं ताकना पड़ता। वह अपने पथ के रोड़े खुद अपने हाथों से हटाता हुआ आगे बढ़ता चला जाता है। यदि आप जीवन में सफलता, उन्नति, संपन्नता एवं समृद्धि चाहते हैं, तो कर्मशील बनना ही पड़ेगा। अपना जीवन-पथ खुद अपने हाथों प्रशस्त कीजिए और उस पर चलिए भी अपने पैरों से। परावलंबी अथवा पराश्रित रहकर आप दुनिया में कुछ न कर सकेंगे। मनुष्य की शोभा आश्रित बनने में नहीं, आश्रय बनाने में है।
दीपावली पर्व के द्वारा जीवन के अंधकार को पूर्णरुपेण दीपमय, प्रकाशमय और उज्जवलमय बना सकें, ऐसा ही इस दीपावली महापर्व पर आपके पूरे परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं ।
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