पुष्करमूल, कायफ़ल, भारंगी, छोटी पीपल और सोंठ का क्वाथ कफ़ जन्य खाँसी में बहुत हितकर है। श्वास, हृदय आदि में भी लाभ करता है।
हरड़, बहेड़ा, आमला और छोटी पीपल, चारों समान भाग लेकर चूर्ण करें। इसे 1 ग्राम की मात्र में शहद के साथ मिला कर चाटने से श्वास-कास में लाभ होता है। जठराग्नि भी तीव्र होती है, कब्ज दूर होता है।
अदरक के स्वरस में शहद मिला कर सेवन करने से सब प्रकार के श्वास, खाँसी, जुकाम अरूचि आदि में लाभ होता है।
काली मिर्च और कुटकी समान भाग का चूर्ण तुलसी स्वरस और मधु के साथ देने से मलेरिया में लाभ होता है।
छोटी पतली साफ़ मूली को पानी से ठीक प्रकार धो लें और उसे काट कर सेंधा नमक लगाकर भोजन के पश््चात् सेवन करें तो अपच में शीघ्र लाभ होता है। यदि स्वस्थ अवस्था में मूली का सेवन किया जाये तो अपच रोग होने की सम्भावना बहुत कम रहती है ।
अदरक के स्वरस के साथ शहद मिला कर पिलाने से कास, श्वास, जुकाम तथा कफ़ युक्त उपद्रव दूर होते हैं।
यदि अजीर्ण के साथ अफ़रा हो जाये तो भी मूली का रस लाभ करता है। उसमें अजवाईन का चूर्ण डालकर प्रयोग किया जाये तो अफ़रा शांत होने में अधिक समय नहीं लगता।
अदरक का रस 3-4 चम्मच में अनार का रस भी उतना ही मिला कर पीने से अरूचि, खट्टे डकारें, जी मिचलाना, गले में जलन, अपच आदि लक्षणों में पर्याप्त लाभ होता है। अदरक, अनार का यह मिश्रण तत्काल लाभ दिलाता है।
नींबू का टुकड़ा काट कर दाद पर मलने से पहले कुछ जलन-सी प्रतीत होती है, किन्तु दाद की खुजली कम हो जाती है तथा कुछ दिनों नित्य मलने से रोग मिट जाता है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,