चन्द्रमा, मन, भावना, कल्पना शक्ति, ऐश्वर्य, संगीत, कला, सौन्दर्य, माधुर्य, चरित्र, यश, कीर्ति का ग्रह है, ऐसे ग्रह की साधना को तो चन्द्र ग्रहण पर अवश्य ही करनी चाहिए है। चन्द्रग्रहण साधनात्मक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि चन्द्रग्रहण के समय वायुमंडल में एक विशेष प्रकार की शक्ति व्याप्त होती है, जो साधनात्मक दृष्टि से सफलतादायक होती है।
चन्द्रमा अपनी शीतलता, कोमलता और सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए चन्द्रमा व्यक्ति को सौन्दर्य, समस्त भौतिक-सुखों और गृहस्थ सुखों को देने वाला है, अतः चन्द्रग्रहण के दिन का विशेष समय साधक के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि उन क्षणों में साधना सम्पन्न करने पर साधक की अन्तः स्थिति विशेष तरंगों द्वारा ग्रहों से जुड़ जाती है, और जिस व्यक्ति का भी इन तरंगो से सामंजस्य हो जाता है, वह अपने जीवन में सफल हो जाता है।
चन्द्रग्रहण के समय साधना सम्पन्न करने पर व्यक्ति अपनी बाधाओं और परेशानियों से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकता है, क्योंकि समय का अपने-आप में विशेष महत्व होता है, ग्रहणकाल का भलीभांति उपयोग कर अपने लिए सफलता के द्वार खोल लेता है।
प्रत्येक व्यक्ति को इस समय का दुरूपयोग न करते हुए पूजा पाठ, मंत्र जप, अनुष्ठान आदि सम्पन्न कर समय का सदुपयोग करे, क्योंकि किसी भी प्रकार की समस्या से मुक्ति पाने हेतु इससे अच्छा समय कोई नहीं होता। इसका कारण यह है कि इस विशिष्ट क्षणों में की गयी पूजा विधान, मंत्र जप आदि का साधक को सौ गुना फ़ल प्राप्त होता है, क्योंकि ग्रहण काल में की गई एक माला मंत्र जप अन्य समय में की गई सौ माला मंत्र जप के बराबर होती है।
उच्च कोटि के तांत्रिक ऐसे ही क्षणों की प्रतीक्षा में रहते हैं, क्योंकि उन्हें उसके द्विगुणित फल प्राप्ति का ज्ञान पहले से होता है। और साधारण व्यक्ति इस बात से अपरिचित रह जाने के कारण इन विशेष क्षणों को गवां देता है। सामान्य गृहस्थ व्यक्ति के जीवन में समस्याएं और कठिनाइया अधिक होती हैं, जिसके कारण वह हर समय दुःखी व तनावग्रस्त ही दिखाई देता है, वे व्यक्ति इस क्षण का लाभ उठाकर अपने जीवन से उन समस्याओं और बाधाओं का निराकरण कर अपनी बाधाओं को समाप्त कर सकते हैं। ग्रहण काल वरदान स्वरूप होता है।
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में शत्रु द्वारा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। धन का हरण, झूठे मुकदमे में शत्रु द्वारा फंसाया गया हो, शत्रु द्वारा मान-सम्मान को हानि पहुंचाने का प्रयास किया हो। तो इस साधना को सम्पन्न कर लेने से शत्रु बाधा समाप्त होती है। इस साधना में लिए शत्रु हनन् यंत्र और खड्ग माला की आवश्यकता होती है।
सर्वप्रथम पीले वस्त्र धारण कर उतरा भिमुख होकर बैठ जाये, लकड़ी के बाजोट पर लाल कपड़ा बिछाकर, एक ताम्रपात्र में यंत्र को स्थापित करे, पंचामृत से स्नान कराये और फिर जल से उसे धोकर पोछ कर कुंकुम, अक्षत, पुष्प से उसका पूजन कर धूप, दीप जला दें।
इसके पश्चात हाथ में जल लेकर यह संकल्प लें, कि मैं अमुक (शत्रु बाधा) कार्य के लिए यह साधना सम्पन्न कर रहा हूं और जल भूमि पर छोड़ दें। खड्ग माला से 11 माला निम्न मंत्र जप सम्पन्न करें।
मंत्र जप सम्पन्न करने के पश्चात यंत्र और माला को लाल वस्त्र में ही लपेट कर किसी नदी या कुंए में विसर्जित कर दें, ऐसा करने पर यह प्रयोग सिद्ध हो जाता है।
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