जीवन में सारी समस्याओं, बाधाओं, अड़चनों, कठिनाइयों, शत्रुओं और मुसीबतों पर विजय प्राप्त करने के लिये जीवन का सर्वश्रेष्ठ उपाय महादेव पाशुपतिनाथ की साधना आराधना है और हकीकत में देखा जाय तो इस दुर्लभ और अद्वितीय पद्धति की पूर्ण प्रामाणिक जानकारी बहुत ही कम योगियों को है, यदि आपको अपने जीवन में सद्गुरु के सानिध्य में महादेव पाशुपतिनाथ की साधना आराधना सम्पन्न हो, तो निश्चय ही उसके भाग्य खुल जाते है, निश्चय ही उसके सौभाग्य का सुयोग आ जाता है, निश्चय ही वह आने वाले जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में सक्षम हो पाता है।
महाभारत जैसे युद्ध को जीतना कोई आसान कार्य नहीं था, एक तरफ हजारों लाखों की संख्या में कौरव दल था, तो दूसरी ओर केवल मुट्ठी भर पांच पाण्डव। ऐसे अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने पूरे जीवन के सारभूत तथ्य को स्पष्ट करते हुये, एक ही बात कही कि अर्जुन! यदि तुझे इस महा समर को जीतना हे, यदि तुझे महाभारत में विजय प्राप्त करनी है, यदि तुझे पूरे जीवन में प्रसिद्धि और सम्मान अर्जित करना है, तो तुम हर हालत में भगवान शिव की आराधना करो, महादेव पाशुपतिनाथ की साधना सम्पन्न करो और शिव को प्रसन्न कर जीवन में आगे बढ़ो, निश्चय ही तुम्हें विजय श्री प्राप्त होगी, निश्चय ही तुम्हारे गले में विजय माला सुशोभित होगी, निश्चय ही तुम अपने जीवन में पूर्ण विजय प्राप्त कर सकोगे।
और कृष्ण की आज्ञानुसार सारे काम छोड़कर अर्जुन ने एक मात्र महादेव पाशुपतिनाथ की आराधना सम्पन्न की। और इतिहास साक्षी है, कि महादेव पाशुपतिनाथ की कृपा से ही अर्जुन युद्ध में -महाभारत जैसे युद्ध में – पूर्ण विजय प्राप्त कर सका, और अपने जीवन में यश, सम्मान, राज्य, वैभव और कीर्ति प्राप्त कर सका।
जिसे पाने के लिये योगी अपने गुरु के पास याचना करते है जिसे सम्पन्न करने के लिये और जिस विद्या को सीखने के लिये विश्वामित्र ने पांच हजार वर्ष तक तपस्या की थी। मार्कण्डेय जैसे ऋषि ने एक स्वर में स्पष्ट किया था कि यह सौभाग्य की बात है कि जीवन में ऐसे गुरु मिले, जो इस साधना दीक्षा को स्पष्ट कर सके और यह सौभाग्य की बात है कि साधक को ऐसा अवसर प्राप्त हो रहा है।
भगवतपाद् शंकराचार्य ने स्वयं एक स्थान पर विवचेन करते हुये कहा है कि अन्य सभी देवता है, परन्तु भगवान शिव तो स्वयं देवाधिदेव महादेव है, वे देवताओं के भी देवता है, ऐसा हो ही नहीं सकता, कि भगवान शिव की साधना आराधना की जाय और उनके द्वारा फल प्राप्ति संभव न हो। जीवन में सारे, कार्य छोड़ कर महादेव भगवान शिव की साधना आराधना तो करनी ही चाहिए, क्योंकि वह मृत्युंजयी देवता है, वह शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता है, वह मनोंवाछित वरदान देने वाले देवता है।
शिव पुराण में स्पष्ट रूप से बताया गया है, कि यदि जीवन में महादेव पाशुपतिनाथ की पूजा अर्चना तो हजार काम छोड़कर सम्पन्न करनी ही चाहिए, क्योंकि महादेव पाशुपतिनाथ की पाशुपतास्त्रेय जीवन की दुर्लभ और अद्वितीय साधना है। जिसके हजार हजार पुण्यों का उदय होता है उसे जीवन में यह पाशुपतास्त्रेय साधना प्राप्त होती है। इस दीक्षा को ग्रहण करने से द्वादश लाभ तो तुरन्त ही प्राप्त होने लग जाते हैं शिव पुराण में स्पष्ट रूप से बताया है, कि जो तार्किक है, जो अज्ञानी है, जो अविश्वासी है, और जो मूढ़ है, उनको भी चैलेन्ज है, कि वे इस साधना दीक्षा को आत्मसात कर अनुभव कर सकते हैं।
साधक जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में विजयी होता है, और हर स्थान पर सफलता प्राप्त होती है तथा जीवन के समस्त रोग समाप्त होकर वह पूर्ण निरोगता अनुभव करता है। जहां व्यक्ति को निरन्तर दुर्घटनाओं और एक्सीडेट का सामना करना पड़ता है वहीं उसके जीवन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होती है, जिसके फलस्वरूप जीवन में दुर्घटना या मृत्यु की आशंका नहीं रहती।
साधक के शरीर में नूतन ऊर्जा, बल, साहस, और सक्षमता प्राप्त होनी प्रारम्भ होती है जिससे उसके गृहस्थ जीवन में अनुकूलता प्राप्त होती है और सुखमय गृहस्थ बन पाता है। महादेव शिव अपने आप में पूर्ण देवत्व है, अतः यदि कुंवारी कन्या भगवान महादेव की आराधना सम्पन्न करती है तो निश्चय ही उसे शीघ्र ही योग्य वर की प्राप्ति होती है। तथा उसके जीवन में अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के साथ संतान की प्राप्ति होती है और पूर्ण रूप से लक्ष्मी प्राप्त होती है।
साधक के जीवन में पूर्णतः शत्रुओं का नाश करने तथा जीवन में शत्रुओं का भय नष्ट तो होता ही है साथ ही जिनका भाग्य कमजोर हो उसका भाग्योदय होकर जीवन में पूर्ण सुख प्राप्त कर मृत्यु के बाद उसे निश्चय ही शिव लोक प्राप्त होता है। तथा जीवन के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।
जब तक स्वस्थ मन न हो, तब तक स्वस्थ शरीर की कल्पना करना भी व्यर्थ है। इसलिए हमारी चित्त वृत्तियों और इन्द्रियों का विवेकपूर्ण होना आवश्यक है, यदि ये हमारे वश में नहीं होगी, तो अच्छी चेष्टा और अच्छे फ़ल की कामना भी नहीं की जा सकती इसी हेतु इस वर्ष लोगों का सौभाग्य है, कि पूज्यपाद सद्गुरुदेव के सानिध्य में इस अद्वितीय पुष्य नक्षत्र के सुयोग में महाकाल पाशुपतास्त्रेय शिव गौरी शक्ति साधना शिविर का आयोजन 23 मई 2015 को पाशुपति बनकाली एम सुमार्गी हॉल, काठमाण्डू नेपाल में सम्पन्न होगा। जहां महाकाल पाशुपतास्त्रेय शक्ति दीक्षा, शिव गौरी अखण्ड सौभाग्य वृद्धि दीक्षा, महाकाल महामृत्युजंय शक्ति दीक्षा प्रदान की जायेगी। जिससे साधक अपने जीवन की समस्त बाधाओं, परेशानियों से निजात प्राप्त कर सके और अपने जीवन में सुख, मान-सम्मान की प्राप्ति कर शिवस्वरूप बनने की ओर अग्रसर हो सकेगा।
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