वास्तव में छिन्नमस्ता साधना की आज के भौतिक युग में नितांत आवश्यक प्रतीत होती है। क्योंकि आज के आधुनिक युग में प्रतिस्पर्धा की लड़ाई शीर्ष पर स्थित है। हर व्यक्ति एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में है। जिसके लिये वे नीच से नीच क्रिया करने से भी नहीं चूकते। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षात्मक कवच के साथ ही साथ भौतिकता के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्णता चाहिये। जिसके लिये यह साधना वज्र के समान फल देने में पूर्णता समर्थ है। वहीं इस साधना के द्वारा आध्यात्मिक उच्चता भी प्राप्त होती है।
छिन्नमस्ता दस महाविद्याओं में सर्वश्रेष्ठ महाविद्या है, इस महाविद्या को सिद्ध कर अन्य महाविद्याओं को भी आसानी से सिद्ध किया जा सकता है, जिससे अन्य साधनाओं में भी शीघ्र सफलता प्राप्त होने लग जाती है, इस महाविद्या को सर्वप्रथम सिद्ध कर लेना चाहिये जिससे अन्य साधना सिद्धियों का भी लाभ सरलता से हो सके। साधक को अत्यधिक सक्षमता और लगन पूर्वक, पूर्ण एकाग्रता से इसे सम्पन्न करना चाहिये, इस साधना को प्रारम्भ करने से पूर्व श्रद्धा, विश्वास जैसे गुणों से परिपूर्ण होना आवश्यक है।
साधना सामग्री- वज्र वैरोचनिये शत्रु विजय यंत्र, छिन्नमस्ता खड्ग माला, नीलांक्ष गुटिका।
विजयदशमी 22 अक्टूबर या किसी भी गुरूवार की रात्रि को 9 बजे के बाद यह साधना सम्पन्न की जा सकती है या प्रातः काल 4 से 8 बजे के बीच में भी इस साधना को सम्पन्न कर सकते हैं।
अपने सामने एक तांबे की बड़ी प्लेट में सिन्दूर से बीचों-बीच एक स्वस्तिक बनाएं तथा चारों दिशाओं में सिन्दूर से चार त्रिशूल के निशान बनायें, फिर यंत्र को मध्य में स्थापित कर दें तथा नीलांक्ष को दक्षिण दिशा की ओर बने त्रिशूल पर स्थापित करें, और शेष तीनों त्रिशूलों पर एक-एक लौंग रख दें, इन सभी वस्तुओं पर लाल पुष्प तथा कुंकुम से रंगे हुए चावल चढ़ायें। फिर एक माला गुरू मंत्र का जप खड्ग माला से करें और इसी माला से निम्न मंत्र का 11 माला जप करें।
यह साधना 11 दिन की है। 11 दिन इसी क्रम से पूजन एवं जप सम्पन्न करना है। जप समाप्ति के पश्चात् यंत्र, नीलांक्ष और माला एक साथ नीले रंग के वस्त्र में बांधकर किसी पवित्र सरोवर या नदी में विसर्जित कर दें।
इस साधना के माध्यम से प्रबल से प्रबल शत्रुओं का भी पूर्ण रूप से नाश होता है साथ ही यदि कारोबार, रोजगार विपन्न अवस्था में चल रहा हो तो इस साधना के बाद धन की सुदृढ़ता होती ही है। और आर्थिक अभाव समाप्त हो जाते हैं। धन का आगमन बराबर बना रहता है।
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