कहा जाता है कि बीमारी, मुकदमा और गरीबी ये तीन शत्रु ऐसे हैं, जो जीवन को दीमक की तरह खोखला कर देने वाला है। एक बार जब ये तीनों जीवन में घुस जाते हैं, तो जीवन शनैः-शनैः खोखला होता रहता है, और ऐसा लगता है कि जीवन का कोई अर्थ ही नहीं है। मनुष्य का ये कर्तव्य है कि इन तीन बाधाओं से जीवन में जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी मुक्ति प्राप्त कर लें। जीवन में शत्रुओं द्वारा किये गये, घात-प्रतिघात से जो स्थिति बनती है वह अत्यन्त पीड़ा दायक होती है। रोज-रोज कोर्ट, कचहरी के चक्कर लगाना, सम्पत्ति पर दूसरों का कब्जा, परिवार में विभेद, शत्रुओं का कुचक्र, धन का अभाव, ये सारी स्थितियां विनाशकारी ही हैं।
भगवान गणपति विघ्न विनाशक देव हैं, मनुष्य जीवन में सफलता प्राप्त करने की जिस चेतना की आवश्यकता होती है, वह गणपति विनायक की कृपा से ही प्राप्त होता है। गणेश भक्त ऐसे ही चेतना से युक्त होते हैं, तभी वे रिद्धि-सिद्धि एंव शुभ-लाभ को अपने जीवन में धारण कर पाते हैं।
गणेश का शाब्दिक अर्थ ही है कि- गणों के स्वामी। मानव जीवन में पांच कर्मेन्द्रियों, पांच ज्ञानेन्द्रियों और चार अन्तः करण द्वारा संचालित होता है। और उनके संचालित होने के पीछे जो शक्ति है, वह विभिन्न चौदह देवताओं की शक्ति है, जिनके मूल प्रेरणा स्त्रोत भगवान गणपति ही हैं।
भगवान् गणपति अपने साधक के लिये कल्पवृक्ष के समान फलप्रदायक हैं, उनकी साधना करने वाले साधक को समस्त भौतिक सुख-सम्पत्ति, समस्त नौ निधियां प्राप्त होती हैं, गणपति विद्या के आगार हैं, अतः वे अपने साधक को कुशाग्र बुद्धि प्रदान करते हैं, और इसके साथ ही साथ ओंकारवत् होने के कारण अपने साधक को आध्यात्मिक रूप से भी परिपूर्ण करते हैं। आनन्ददायक घर हो, बुद्धिमान पुत्र हो, चित्त को प्रसन्न करने वाली पत्नी हो, अच्छे मित्र, पर्याप्त धन सम्पत्ति, सुन्दर शरीर और सेवा करने वाले नौकर हो, घर में अतिथि आते रहते हों, सुस्वाद भोजन जिस घर में बनते हों, तथा साधु-सन्त का सेवा तथा ईश्वर की पूजन, आराधना, जप, साधना सम्पन्न होता रहे, ऐसे गृहस्थ सुख के प्रदाता भगवान गणपति ही हैं।
भारतीय पद्धति में एकमात्र गणपति साधना और दीक्षा ही है, जो साधक को सभी दृष्टि से पूर्ण करती है, क्योंकि भगवान गणपति रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ के साथ सभी विघ्नों का विनाश कर भौतिक परिपूर्णता प्रदान करते हैं, वहीं उनके पिता महादेव और माता गौरी गृहस्थ जीवन में प्रेम, आनन्द, रस के साथ आध्यात्मिक पूर्णता से युक्त करते हैं। साथ ही जीवन समृद्धि, सौभाग्य, कुबेरवत् धन और ऐश्वर्यमय स्थितियों से युक्त करने व अनन्त स्वरूपों में लक्ष्मी को अपने जीवन में सतत् रूप से स्थापित कर सकेंगे। जिससे जीवन हर दृष्टि से समृद्धिशाली और अर्थ पूर्ण हो सकेगा।
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