शिव प्रत्येक व्यक्ति, बालक, युवा, वृद्ध, स्त्री-पुरूष सभी के देवो के देव महादेव हैं, इसीलिये पूरे श्रावण माह में चारों ओर हर-हर महादेव की जयघोष सुनायी देती है और हर वर्ग के लोग वर्ष में एक बार श्रावण माह में शिव का पूजन अवश्य करते हैं। क्योंकि भगवान अमरनाथ शिव ही ऐसे देव हैं, जो सबकी मनोकामनायें पूर्ण करते ही हैं। जो भी भक्त श्रद्धा, विश्वास, भावना से पूर्ण होकर शिव की विशिष्टतम शक्ति को आत्मसात करता है, उसके सभी पाप-दोष, कर्म-दोष समाप्त हो जाते हैं, जिससे उसके जीवन में सुस्थितियों का आगमन होता है। क्योंकि व्यक्ति को कर्म-दोष के कारण ही अनेक-अनेक अड़चनों का सामना करना पड़ता है। इसीलिये वर्ष में एक बार सदाशिव की दिव्य चेतना अवश्य प्राप्त करनी चाहिये।
अमरनाथ श्रावण पूर्णिमा के अक्षुण्ण फ़लदायी दिवस पर ज्योर्तिंमय शिव-गौरी वैभव लक्ष्मी क्रियाशक्ति दीक्षा से जीवन समृद्धिशाली बन सकेगा। शिव-गौरी अमृतत्व की चेतना साधक धारण कर अपनी सभी मनोकामनायें पूर्ण कर सकेंगें और जीवन आनन्द, रस, ओज, प्रेम, काम, संतान-सुख, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा के साथ आर्थिक परिपूर्णता से अमृतमय हो सकेगा। साथ ही माता गौरी के रूप लक्ष्मी का निरंतर आगमन बना रहेगा। गणपति विनायक, रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ, विजय शक्ति युक्त कार्तिकेय शक्ति को भी आत्मसात कर सकेंगे। जिससे आपका जीवन निर्विघ्न रूप से गतिशील होकर महादेव-गौरीमय बन सकेगा।
अमरनाथ शिवलिंग की चेतना प्राप्त करने के बाद स्वामी विवेकानन्द को जो अनुभव हुआ, उसका वर्णन करते हुये भगिनी निवेदिता ने लिखा है- स्वामी जी को इससे पहले कभी ऐसी आध्यात्मिक अनुभूति नहीं हुयी। महादेव की प्रत्यक्ष अनुभूति के कारण वे सांसारिक बातों से इतने दूर हो गये थे कि कई दिनों तक वे कुछ बोले ही नहीं। उन्हें सर्वत्र शिव ही शिव अनुभव हो रहे थे, शिव जो अनश्वर हैं, संसार से विलग हैं। ध्यानमग्न हैं।बाद में स्वामी विवेकानन्द ने स्वयं इस अनुभव के बारे में कहा था- मुझे कभी ऐसी दिव्य चेतना, पवित्र और अद्भुत अनुभूति पहले नहीं हुई थी।
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