शक्ति से आपूरति होना ठीक उसी प्रकार है, जिस प्रकार एक श्रेष्ठ भवन की मजबूत नींव स्थापित करना। यह शक्तिपात दीक्षा जीवन के मजबूत नींव की दीक्षा है। जो पूर्ण रूप से मजबूत है, चाहे कितने भी तूफान आयें, झटके लगें, विपरीत स्थितियां आयें, जीवन रूपी भवन को कोई क्षति नहीं पहुंच सकती। शक्ति की आराधना और शक्ति का तात्पर्य शारीरिक बल से कदापि नहीं है। शक्ति तत्व तो सामर्थ्य को प्रगट करने की क्रिया है। जिससे साधक शक्तिमान बन सके और अपने जीवन के सभी आवश्यक कार्य को पूर्ण करने के लिये समर्थवान हो सके। तात्पर्य यह है कि जो सामर्थ्यहीन है, जो दुर्बल है, वह कोई भी कार्य पूर्णता सफलता से सम्पन्न नहीं कर पाता। वहीं शक्ति की तेजस्विता से युक्त व्यक्ति अपने सभी कार्य सरलता से सम्पन्न कर लेता है।
‘श’ नाम ऐश्वर्य अर्थात् सुख-सौभाग्य, सम्पन्नता, आनन्द का है और ‘क्ति’ नाम पराक्रम, बुद्धि, बल, युक्ति का है, इन दोनों को प्रदान करने वाली को शक्ति कहते हैं। शक्ति आराधना करने वाले साधक का घर धन-धान्य, पुत्र, स्त्री, लक्ष्मी, भू-भवन, सम्मान, प्रतिष्ठा से पूर्ण होता है।
श्री देव्यर्थवशीर्ष में लिखा है कि हे देवी! आप चित्त स्वरूपिणी महासरस्वती हैं, सम्पूर्ण द्रव्य, धन-धान्य रूपिणी महालक्ष्मी हैं, आनन्दरूपिणी महाकाली हैं, पूर्णता प्राप्ति के लिये मानव तुम्हारा ध्यान करते हैं। इन्हीं त्रि-शक्तियों से ही जगत की समस्त शक्तियों का उद्भव या संचरण हुआ है। इन तीनों शक्तियों द्वारा ही साधक अपनी आंतरिक एवं बाह्य आसुरी शक्ति पर विजय प्राप्त कर लेता है।
इस सृष्टि में जो कुछ भी है विद्या, अविद्या माया वह त्रि-शक्ति का ही स्वरूप है। बुद्धि, श्री, कीर्ति, गति, श्रद्धा, मेधा, दया, लज्जा, क्षुधा, तृष्णा, क्षमा, कान्ति, शान्ति, स्पृहा ये सभी शक्तियां रूद्र की शक्ति, विष्णु शक्ति और ब्रह्मा शक्ति के रूप में विद्यमान हैं, प्रत्येक साधक को अपने जीवन में वृद्धि करने हेतु निरन्तर शक्ति की आवश्यकता होती है और शक्ति के चिरस्थायित्व के लिये आद्या शक्ति की स्तुति करनी ही चाहिये। जिस व्यक्ति के जीवन में कर्म, ज्ञान और संहार रूप में शक्ति होती है, उसे जीवन की सभी भौतिक और आध्यात्मिक उपलब्धियां अवश्य प्राप्त होती है। नवदुर्गा त्रिपुर सुन्दरी त्रि-शक्ति चैतन्य दीक्षा नवरात्र के पावन पर्व पर आत्मसात करने से जीवन की सभी कठिनाईयों से निजात पा सकेंगे साथ ही सभी भौतिक और आध्यात्मिक मनोकामनायें पूर्ण होंगी।
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