प्रत्येक व्यक्ति की प्रबल इच्छा होती है कि वह अपने जीवन को संवारे, उसमें आकर्षण और उत्साह भरे। लेकिन उसके दिन प्रतिदिन के प्रयासों के बाद भी जब कुछ नया नहीं घटित हो पाता, तो स्वतः ही उसके अन्दर उदासीनता सी समाने लगती है, वह फिर सामान्य जीवन क्रम से समझौता कर दिन काटने लगता है।
सम्मोहन नीरस जीवन में परिवर्तन की क्रिया है, सम्मोहन के द्वारा जब व्यक्ति के अन्दर ताजगी और प्रभाव भर जाता है, जब लोग उसके पास खिंच-खिंच कर आने लगते हैं। उससे बातें करने का प्रयास करने लगते हैं, तो स्वतः ही उसके मन में आत्म-विश्वास जाग्रत होने लगता है। जीवन के प्रति नया उत्साह, नये सपने और उमंग आती है, वह सकारात्मक ढंग से सोचने की दिशा में पहली बार बढ़ता है, बहुत कुछ बदला-बदला सा दिखने लगता है, जब यह सब अन्दर घटित होता है तब व्यक्ति स्वयं आकर्षण एवं सौन्दर्य से भर जाता है और जीवन के प्रति उसका एक सकारात्मक दृष्टिकोण बनता है, जो उसे उन्नति के नये पायदान पर ले जाता है।
सम्मोहन कोई ऐसी विद्या नहीं है कि आपकी आंखें खूब बड़ी बड़ी हो जायेंगी या आप सम्मोहन करने के प्रयास में आंखे फाड़ कर सबको घूरते रहें या आप रातों रात चालीस के बजाय बाईस के दिखने लगेंगे, किन्तु यह तो अवश्य ही होगा कि आपके शरीर में कुछ ऐसी प्रक्रियायें आरम्भ हो जायेंगी कि आप चालीस के होते हुये भी पच्चीस वर्ष के युवक का उत्साह और क्षमता अपने अन्दर स्वयं अनुभव करने लगेंगे, इस परिवर्तन से आपके अन्दर से उत्साह व आनन्द की जो तरंगें निकलेंगी उससे लोग खिंच कर आपके पास बैठेंगे, आनन्द अनुभव करेंगे। यही सम्मोहन का मूल मंत्र है कि लोग आपके पास खिच कर बैठें और उसकी उठने की इच्छा न हो।
शक्तिपात दीक्षा तो सबसे सरल उपाय है किसी भी ज्ञान को अर्जित करने का। जैसे वर्षा का जल चारों ओर से बहता हुआ व्यर्थ जा रहा हो उसे एकत्र कर बांध बना दिया जाये। उस एकत्रित जल से बिजली भी बना ली जाये और खेतों में सिंचाई भी कर ली जाये। दीक्षा इसी तरह का प्रयास है, व्यक्ति के अन्दर शक्ति के अणु जो इधर से उधर व्यर्थ से बहते हुये घूमते-फिरते हैं उन्हें एक सुसंयोजित ढंग से एक निश्चित दिशा में गतिशील करना ही किसी भी दीक्षा का उद्देश्य होता है।
साफल्य शक्ति सर्व सम्मोहन दीक्षा प्राप्त कर साधक जीवन के प्रत्येक मार्ग को सुव्यस्थित कर सकता है, उसके प्रत्येक कार्य सफलता के नये पायदान पर पहुंचते है, सत्य कहा जाये तो आज के सांसारिक जीवन में सम्मोहन की अपनी सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका है, परिवार, समाज, कार्य स्थल, व्यापार, कालेज आदि सभी स्थानों पर आकर्षण शक्ति से युक्त व्यक्ति को सभी प्रकार की सुविधायें और लाभ सरलता से प्राप्त हो जाता है, उसके प्रत्येक कार्य अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर होते हैं। साफल्य शक्ति सर्व सम्मोहन दीक्षा से साधक के भीतर सर्व सम्मोहन, आकर्षण, उत्साह, उमंग, ताजगी, कार्य सिद्धि सफलता, बुद्धि, वाक् चातुर्यता जीवन्त रूप में जाग्रत होती है।
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