प्रत्येक व्यक्ति के मन में अनेक इच्छायें होती हैं। जिनको पूर्ण करना उसके जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्ष्य होता है। सभी स्त्री, पुरूष सौन्दर्यवान, आकर्षक, यौवनवान और सुख-समृद्धि, धन से परिपूर्ण होना चाहते हैं। वे अपनी दीनता-हीनता से ऊपर उठने की इच्छा रखते हैं। उनकी इच्छा पूर्ण नहीं होने पर वे जीवन में एक खालीपन, उदासी, आत्महीनता से ग्रसित होते हुये जीवन को बोझ के समान ढ़ोते हैं। जीवन में पूर्ण गृहस्थ सुख की इच्छा रखने वाले साधक को जिनको अपनी मनोकामनाओ को साकार रूप देना है, फिर वह जीवन के किसी भी क्षेत्र से ही क्यों ना जुड़ा हो। पूर्ण मनोकामना सिद्धि मातंगी साधना अवश्य करनी चाहिये। इस साधना द्वारा सभी मनोकामनाएं सफलता से पूर्ण होती हैं।
भगवान विष्णु के शक्ति दिवस 25 जून रविवार को साधक स्वच्छ श्वेत धोती धारण कर लाल आसन पर पूर्वाभिमुख होकर सांय 8 बजे के पश्चात् बैठें और अपने सामने सफेद वस्त्र पर पूर्ण मनोकामना सिद्धि युक्त मातंगी यंत्र का पंचोपचार पूजन करें और फिर उक्त मंत्र का 20 मिनट तक जप करें-
अगले दिन यंत्र को किसी जलाशय में अर्पित कर दें और घर पर किसी बालिका को भोजन एवं उपहार भेंट करें। ऐसा करने से साधक की सभी भौतिक धन लक्ष्मी युक्त कामनायें पूर्ण होती हैं। साथ ही उसमें एक आकर्षण, ऊर्जा व प्रभावी व्यक्तित्व का संचार होता है।
पुरूष वही है, जो शत्रुओं पर सिंह की भांति झपट कर उसका संहार कर दें, जिसकी एक हुंकार से ही शत्रु पराजित हों। शत्रु कभी भी पनप सकते हैं। परन्तु आवश्यकता इस बात की है कि साधक में सैकड़ों शत्रुओ से निपटने का साहस व धैर्य भी हो।
शत्रु का कोई रूप अथवा आकार नहीं होता, जीवन की प्रगति में बाधक बनने वाला कोई भी व्यक्ति, कोई भी क्रिया शत्रु समान ही है। परन्तु प्रत्येक अवस्था में आप प्रत्यक्ष प्रहार कर विजय प्राप्त नहीं कर सकते। इसके लिये दैवीय शक्ति आवश्यक है जो शत्रु के दमन के साथ ही साथ पूर्ण सुरक्षात्मक आवरण भी प्रदान कर सके।
आषाढ़ी त्रिशक्ति दिवस 26 जून सोमवार को लाल आसन पर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर बैठ जायें व सामने चौकी पर शत्रु दमनिका स्थापित करें, पंचोपचार पूजन करें। फिर शत्रु दमन माला से 5 माला मंत्र जप करें-
साधना पूर्ण होने के पश्चात् शत्रु दमनिका व माला धारण कर लें व 21 दिन बाद दोनों सामग्री जल में प्रवाहित कर दें।
यह साधना जहां व्यक्ति को जीवन में धन, व्यापार, बुद्धि, कौशल, आर्थिक उन्नति एवं भौतिक सुख प्रदान करती है, वहीं आत्मिक उन्नति एवं आध्यात्मिक उत्थान भी करती है। इसके द्वारा व्यक्ति भौतिक क्षेत्र में उच्चतम शिखर पर पंहुचता है साथ ही धन से पूर्ण होता ही है।
26 जून को साधक स्वच्छ पीली धोती धारण कर लाल आसन पर पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठें और अपने सामने लाल आसन युक्त बाजोट पर कमला यंत्र स्थापित कर कुंकुम व लाल पुष्प से पूजन करें और फिर उक्त मंत्र का 30 मिनट तक मंत्र जप कमला यंत्र पर त्राटक करते हुये करें-
कमला यंत्र को पूजन स्थान पर स्थापित रहने दें और प्रतिदिन यंत्र का दैनिक पूजन करें।
जीवन में यदि चारों ओर से निराशा घिर आई है, कोई भी काम सही ढंग से नहीं हो रहा है। रोग, दरिद्रता, परेशानियों ने घर में निवास कर लिया हो, तो यह रामबाण अवश्य अपनाना चाहिये। इस साधना से धन लाभ, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति प्राप्त होती है, वहीं व्यक्ति आरोग्य भी होता है, शत्रु वशीभूत होते हैं, तात्पर्य यह है कि जीवन सर्वमंगलमय चेतना से आप्लावित होता है, चारों ओर से मंगलमय स्थिति निर्मित होती हैं।
01 जुलाई अष्टमी को रात्रि 10 बजे के बाद, लाल आसन पर दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर सामने बाजोट पर लाल वस्त्र पर महाकाली यंत्र स्थापित कर उसका पंचोपचार पूजन करें, फिर उक्त मंत्र का 20 मिनट तक जप करें-
मंत्र जप के उपरान्त यंत्र को जलाशय में विसर्जित कर दें और किसी छोटी कन्या को भोजन व उपहार प्रदान करें।
नवरात्रि के समय सरस्वती पूजन का विशिष्ट महत्व है तथा संतान की उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु यह साधना अनिवार्य भी है। इस साधना से वाग्देवी बालक के जिह्ना व चित्त पर विराजमान होती हैं, जिससे बालक स्मरण शक्ति, अध्ययन के प्रति रूचि, अग्रणी, चातुर्यता में सक्षम होता है।
30 जून रात्रि 7 बजे स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, उत्तर दिशा की ओर मुख हो। बालक छोटा हो, तो माता-पिता साधना सम्पन्न करें। सरस्वती यंत्र का पूजन कर, यंत्र को शहद में डुबा कर निकाल लें पश्चात् ताम्रपात्र में स्थापित कर पंचोपचार पूजन करें। इसके पश्चात् उक्त मंत्र का 15 मिनट तक जप करें।
मंत्र जप के पश्चात यंत्र पर लगे शहद से अनामिका उंगली अथवा किसी पतली श्लाका से बालक/बालिका की जीभ पर ‘ऐं’ बीज मंत्र लिखें और लॉकेट को बालक को धारण करा दें।
व्यक्ति यदि कर्ज से दबा हुआ है तो उसका जीवन अभिशाप युक्त हो जाता है। जीवन की सारी व्यवस्थायें छिन्न-भिन्न हो जाती हैं। परिवार, समाज सभी ओर से उसका ह्रास होता है। ऐसे में व्यक्ति यही अभिलाषा रखता है कि जीवन को ऋण मुक्त बनाकर, श्री सम्पन्न हुआ जाये। श्री विद्या की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी जीवन की सभी दीनता- हीनता का सर्वनाश कर साधक को श्री सम्पन्न बनाती हैं, जिससे साधक सभी भौतिक सुखों को आनन्द पूर्वक भोग पाता है।
29 जून को रात्रि 8 बजे स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर, पूर्व दिशा की ओर मुख कर अपने पूजा स्थान में आसन पर बैठ जायें। किसी ताम्र पात्र में ऋण मुक्ति महालक्ष्मी यंत्र स्थापित कर दें, यंत्र के ऊपर कुंकुम से अपना नाम अंकित कर दें, उस पर एक तंत्र फल रख दें। धूप-दीप से संक्षिप्त पूजन कर उक्त मंत्र का 30 मिनट तक जप करें।
अगले दिन यंत्र को जल में विसर्जित कर दें व तंत्र फल को पीपल पेड़ पर अर्पित कर दें। जिससे तंत्र फल के साथ ही व्यक्ति की ऋण बाधा व दरिद्रता भी चली जाती है।
यदि घर पर तंत्र प्रयोग हुआ हो, किसी ने मारण प्रयोग किया हो अथवा घर में हमेशा दरिद्रता बनी रहती हो, स्वास्थ्य में निरन्तर ह्रास होता हो, तो व्यक्ति का जीवन भार स्वरूप हो जाता है। वह जितना ही परिश्रम करता है, उतना ही अवनति की ओर अग्रसर होता रहता हैं। भगवती धूमावती की साधना जिस प्रकार से कड़कती बिजली तत्क्षण तीव्र प्रकाश उत्पन्न कर देती है, उसी प्रकार धूमावती सभी बाधाओ, शत्रुओं का अंत कर निश्चित रूप से उन्नति, अभिवृद्धि प्रदान करती हैं।
02 जून (नवमी) रविवार को रात्रि 09 बजे के पश्चात् साधक स्नानादि से निवृत्त होकर दक्षिणाभिमुख होकर बैठें और अपने सामने शत्रु संहारक धूमावती यंत्र स्थापित कर उसका काजल, लौंग, काली मिर्च से पूजन करें। इसके उपरान्त उक्त मंत्र का 30 मिनट तक मंत्र जप करें।
यंत्र को जलाशय में विसर्जित कर दें।
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