कौलकल्पतरू में लिखा है कि- कामाख्या साधना से मनुष्य तो क्या देव, दानव, गन्धर्व, किन्नर भी वश में हो जाते हैं। महेश्वरी तंत्र जो कि तंत्र साहित्य में भगवान शिव द्वारा स्वरचित ग्रंथ माना जाता है, लिखा है कि कामाख्या तंत्र साधना के साधक के सामने राजा, मंत्री तथा अन्य सभी मनुष्य भेड़ समान वशीभूत हो जाते हैं।
कामाख्या तंत्र में लिखा है कि गृहस्थ व्यक्ति के लिये कामाख्या ही एक मात्र वरदायिनी अभीष्ट फलदात्री, जिनके माध्यम से सभी भोग-विलास के साधन सुलभ होते हैं। कामाख्या शक्ति साधना जीवन की रस साधना है, शरीर साधना है, लौकिक साधना है, जीवन को सम्पूर्णता के साथ जीने की साधना, कामाख्या साधना है, जिसमें साधक को अपने जीवन का पूर्ण आनन्द प्राप्त होता है, उसकी इच्छाओं की पूर्ति पूर्ण रूप से सहज संभव हो पाती है।
कामाख्या साधना ही जीवन की वास्तविक साधना है, जिसमें साधक की इच्छाओं की पूर्ति पूर्ण रूप से सहज संभव हो जाती है। आद्या शक्ति कामाख्या मूल रूप से निर्माण शक्ति की पीठ हैं, और ये कामरूपिणी महाशक्ति हैं, गृहस्थ जीवन का पूर्ण सुख इनके द्वारा ही प्राप्त होता है। कामाख्या साधना से गृहस्थ जीवन में काम, रस, आनन्द, प्रेम, सौहार्दय, संतान वृद्धि और सौभाग्य शक्ति की प्राप्ति होती है।
यह साधना मूल रूप से रात्रि की साधना है। नवरात्रि के प्रथम दिवस अर्थात् 21 सितम्बर गुरुवार को अथवा किसी भी गुरुवार को इस साधना को सम्पन्न कर सकते हैं। रात्रि को साधक स्नान कर, शुद्ध पीली धोती पहने और बिना किसी से बातचीत किये सीधे अपने पूजा स्थान में प्रविष्ट हो कर अपना आसन ग्रहण करें। सर्वप्रथम गुरु का ध्यान करें, और गुरु पूजन प्रारम्भ करें, गुरु पूजन कर एक माला गुरु मंत्र का जप करें, इससे साधना काल में किसी प्रकार का विघ्न उपस्थित नहीं होता है तथा साधक अपनी साधना पूर्ण शक्ति के साथ सम्पन्न कर सकता है।
अब अपने सामने लकड़ी के बाजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर, इस वस्त्र पर गृहस्थ सुख सौभाग्य संतान वृद्धि की चेतना से आपूरित कामाख्या यंत्र स्थापित करें, साथ ही कामदेव रति गुटिका यंत्र के बगल में स्थापित करें, इस यंत्र के सामने सिन्दूर से एक गोला बनायें और इसके मध्य में एक त्रिकोण बनाकर सिन्दूर से ही श्रीं श्रीं श्रीं लिखें, और इसके नीचे अपने नाम का पहला अक्षर लिखें। एक ओर दीपक अवश्य ही जला दें, अब देवी का ध्यान करें –
हे कामाख्या देवी! आप सरस्वती तथा लक्ष्मी से युक्त हैं, शिवमोहिनी हैं, सम्पूर्ण ऐश्वर्य प्रदायिनी हैं, डाकिनी, योगिनी, विद्याधरी, आदि समूह आपके अधीन हैं, सम्मोहन प्रदात्री, पुष्प धनुष धारिणी, महामाया मेरी पूजा (अपना नाम लें) स्वीकार करें।
अब यंत्र पूजा में सर्वप्रथम कुंकुम चढ़ायें फिर सिन्दूर और सुगन्धित लाल पुष्प चढ़ायें, अब देवी को जल का अर्घ्य अर्पित करें तथा प्रसाद हेतु खीर का पात्र सामने रखें, पश्चात् मूल मंत्र की पांच माला मंत्र जप कामरूपिणी शक्ति माला से करें।
यह मंत्र नहीं, सभी तंत्रों का सार है, इसीलिये इसे अत्यन्त दुर्लभ मंत्र कहा जाता है, जिसके जप से सम्पूर्ण सिद्धियां प्राप्त होकर तेजस्वी व्यक्तित्व बनता है, इस प्रकार पांच माला मंत्र जप तीन दिन तक करें, साधना समाप्ति के दूसरे दिन सभी सामग्री को जल में विसर्जित कर दें।
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