रायपुर छत्तीसगढ़ में दिव्यतम श्रेष्ठमय महोत्सव गुरु पूर्णिमा पर्व पर आपके आत्मीय भाव का एहसास हुआ, अपने-पन का जो सुखद एहसास आपके मध्य में अनुभव करता हूं, उसका वर्णन नहीं अपितु अनुभव ही किया जा सकता है, स्मृति का कुछ अविस्मरणीय क्षण महामाया की इसी चैतन्य भूमि पर पिछले वर्ष सम्पन्न हुआ था, सद्गुरुदेव नारायण के आशीर्वाद् तले परम पूज्य सद्गुरुदेव जी द्वारा जो दायित्व पूर्व गुरु पूर्णिमा पर मुझे सौंपा गया, उसे एक वर्ष पूर्ण हो चुका है। छत्तीसगढ़ की यह धरा इसकी साक्षी है, आप सबका गुरु परिवार के प्रति आत्मिक लगाव व अपनत्व की भावना जो मुझे आपके और अधिक निकट लाती है उस अपनत्व की भावना से मन-मानस तरो-ताजा हो जाता है, हमारा आत्मिक-मानसिक गुरु-शिष्य का सम्बन्ध निरंतर इसी आनन्द के साथ गतिशील रहे।
आयोजक मण्डल छत्तीसगढ़ के समर्पित साधक निरंतर शिविर महोत्सव आयोजन का कार्य कर रहे हैं, आप सभी के सहयोग, श्रद्धा, समर्पण से कैलाश सिद्धाश्रम साधक परिवार सतत् रूप से आध्यात्मिक साधनात्मक विस्तार की ओर गतिशील है, आपका स्नेह, प्रेम, आत्मिक जुड़ाव से माता जी भी आपके परिवार के सदस्यों से मिलने से बहुत प्रसन्नमय होती हैं। वर्ष में एक बार सम्पूर्ण गुरु परिवार एकत्रित होता है, हम और आप सभी इसी गुरु परिवार के सदस्य हैं, हम सब के लिये सहर्ष का विषय है कि पूरे भारत में केवल छत्तीसगढ़ ही पूरे गुरु परिवार को अपने घर, अपने शहर तक आने को विवश करता है। यह सब समर्पण, स्नेह, प्रेम, अपनत्व की भावना से पूरा होता है। जो स्पष्ट रूप से यहां पर दिखता है।
परम पूज्य सद्गुरुदेव के अथक परिश्रम, करूणा से हम सभी क्षेत्रों में सफलता की ओर गतिशील हैं, वे कांटो भरी राह पर फूल की वर्षा कर हमारा मार्ग सुगम, सरल बना रहे हैं, सदा से उन्हें मैंने शिष्यों के लिये हित-चिंतनशील और क्रियाशील देखा है, उनका पूरा समय शिष्यों के कल्याणार्थ ही व्यतीत होता है। उन पर कार्यो का बोझ बढ़ता ही जा रहा है, अब हमें अपने दायित्वों के प्रति और अधिक सजग, प्रयत्नशील होना चाहिये। निखिल रूपी वृक्षों को जनमानस में शीतलता प्रदान करने के लिये और अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता है, अपने सद्गुरु की चेतना को और अधिक आत्मसात् कर सके, इस हेतु हमें अपने दायित्वों के प्रति सजग रहना ही शिष्यता का परिचायक होता है।
माँ आद्या शक्ति को आत्मसात करने का श्रेष्ठमय महोत्सव आश्विन नवरात्रि महापर्व है, जिससे हम सृजन, वर्धन शक्ति से युक्त होकर अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ बन सके। सद्गुरुदेव नारायण के आत्मिक आशीर्वाद् और परम पूज्य सद्गुरुदेव की चेतना युक्त प्रत्यंगिरा वेगवती नवनिधि दुर्गा साधना व शक्तिपात दीक्षा युक्त सामग्री चैतन्य की गयी है। प्रत्यंगिरा आद्या शक्ति अष्ट सिद्धि युक्त है, जो सांसारिक जीवन में आनन्द सुख, प्रसन्नता, धन-वैभव, लक्ष्मी, यश और भोग-योग की श्रेष्ठता प्रदान करती है। आप अपने इष्ट मित्रों, सहयोगियों व परिवार के सदस्यों को इस चेतना दीक्षा साधना से आप्लावित करेंगे, तो जीवन के सभी भावों की प्राप्ति हो सकेगी। यही शक्ति पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ——-
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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