सभी सम्प्रदाय, वर्ग, जाति-धर्म, ग्रन्थ, शास्त्र सभी ने माँ की ममता का गुणगान किया है, उनकी करूणा के सम्मुख नतमस्तक हुये हैं। संसार की सबसे अद्भुत, अवर्चनीय विषय यदि कुछ है, तो वह माँ की ममता ही है और सभी धर्मो के विद्वानों ने एक स्वर में माँ की ममता की पावनता स्वीकार की है। यदि वास्तव में इस संसार में कुछ ऐसा है, जिसके सामने नतमस्तक हुआ जाये, तो वह वातसल्य शक्ति के सिवा कुछ और हो ही नहीं सकता।
हमारी मातृ शक्ति के बारे में मैं क्या लिखूं? मेरे प्रिय बच्चों मैं तो केवल उन ममतामयी के समक्ष नतमस्तक हो सकती हूं, उन्हें नमन करती हूं। क्या लिखूं मैं माँ के बारे में! जिसने खुद मुझे लिखा—!!
माँ भगवती हम सब की जीवनी शक्ति हैं, वास्तव में माँ का स्वरूप बहुत ही विराट होता है, नारी स्वरूप में माँ अपने आपको व्यक्त अवश्य करती है, परन्तु उसका वास्तविक स्वरूप अत्यन्त विराट, कल्याणमय जगन्मातृ शक्ति युक्त होता है, हमारी मातृ शक्ति उसी विराट स्वरूप में विद्यमान हो गयीं हैं, वे कण- कण में अपनी विराटता समेटे हुये हैं। उनके स्नेह, ममता की वर्षा निरन्तर सभी संतानो पर होती रहेगी और माँ निश्चित रूप से हमारे कष्टों का हरण करेंगी, क्योंकि माँ अपनी संतानों से कभी भी दूर नहीं जा सकती है। वह कहीं भी रहें, लेकिन अपने विचारों से, चिंतनो से अपने संतान के पास उपस्थित रहती है।
माता जी की करूणा, प्रेम, स्नेह, त्याग के ही परिणाम स्वरूप विशाल सिद्धाश्रम शक्ति परिवार की मजबूत नींव रखी गयी, वे सिद्धाश्रम शक्ति परिवार की जननी हैं, सभी शिष्यों की कल्याण रूपिणी शक्ति हैं, माता जी ने इस विशाल परिवार का बीज स्वरूप से विराटता तक इसकी देख-भाल, पालन-पोषण किया, इसे विराट और सशक्त बनाया। अपने सम्पूर्ण जीवन में उन्होंने इस बगिया को हरा-भरा रखने के लिये स्वयं को तपाया है, उनके त्याग और बलिदान का वर्णन शब्दों से संभव नहीं है। माता जी और संघर्ष एक ही सिक्के के दो पहलू बनकर रहें हैं। उनकी दिनचर्या सदा पूजनीय रहेगी। अनेक पीड़ाओं के बाद भी वे अपनी दैनिक पूजन, साधना अवश्य करती थी। उनका सम्पूर्ण जीवन परोपकार की भावना से ओत-प्रोत है, क्या शिष्य, क्या गरीब, क्या दुखिया सब पर वे स्नेह की वर्षा करती रहीं।
माँ का हृदय तो वैसे भी करूणामयी होता है, वह अपनी संतान के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती है, परन्तु जो माँ अपने हजारों-हजारों मानस पुत्र-पुत्रियों के प्रति भी समान रूप से करूणामय रहे, वास्तव में उसका हृदय आद्या शक्ति के समान ही विशाल ज्योर्तिंमय स्वरूप में जगमग होगा। उनका हृदय वास्तव में कितना विशाल होगा, जो अपने परिवार, रिश्तेदार और अनेक जिम्मेदारियों को निभाते हुये भी प्रत्येक शिष्यों का पूरा ध्यान रखती थी।
माँ के ऋण से कोई उऋण ना हुआ है और ना हो पायेगा, हम केवल माँ की कृपा के प्रति उनका आभार व्यक्त कर सकते हैं, उनकी स्तुति कर सकते हैं, उनका गुणगान कर सकते हैं। मैं तो आप सभी से केवल इतना ही कहना चाहूंगी, विराट वात्सल्य शक्ति से आपूरित माँ भगवती का ध्यान करें, उनकी स्तुति करें, उनके ममत्व शक्ति द्वारा प्राप्त कल्याण चेतना के प्रति आभार व्यक्त करें, आपका मंगल होगा। आद्या शक्ति स्वरूपा माता जी आप सभी का कल्याण करें!
आपकी माँ
शोभा श्रीमाली
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