नव वर्ष पर आप सभी कैलाश सिद्धाश्रम साधक परिवार को आत्मीय भाव से शुभकामनाऐं। यह समय पूर्व वर्ष की समाप्ति के साथ ही नूतन नवनिधि की शुरुआत भी है, हमारी कठिनाईयों, वेदनाओं के समाधान हेतु नूतन अवसर प्राप्त हुआ। इस नव वर्ष पर हम सभी मिलकर एक नये पथ पर साथ चलते हैं। अपने अभाव को पीछे छोड़ते हैं, क्योंकि मैं यह जानता हूँ की आपका जीवन में ये स्थान नहीं है, आपको स्वयं के लिये, अपने परिवार के लिये सर्वोत्तम करना है, जो अपने स्वरूप को अपने व्यक्तित्व को अपने जीवन को उच्चता की ओर ले जाता है। हम सभी संकल्प लेते हैं, हर वर्ष लेते हैं कि इस वर्ष में इस का त्याग करूंगा, इसका अनुसरण करूंगा और उसी संकल्प को 2-3 हफ्रते या 15-20 दिन में भूल जाते हैं, जोश या आवेश में आकर संकल्प तो ले लेते हैं, परन्तु उसे पूर्ण करने कि इच्छा शक्ति खो देते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन पथ पर सफल, समृद्ध, उन्नत होने के लिये कार्यरत होता है। अपने परिवार को खुशहाल बनाने के लिये अपने चुने पथ पर कार्यरत होता है। परन्तु ये जरूरी नहीं कि वह इस पथ पर चल इच्छित फल प्राप्त कर लेगा क्योंकि उसे कर्म का ज्ञान है, लेकिन पथ पर कितना क्रियाशील बने रहना है, यह ज्ञान नहीं है।
समय निरन्तर गतिशील रहता है, आपके जन्म लेने से अभी तक समय कभी नहीं रूका, परन्तु हम पूर्वजों द्वारा प्रदत्त स्थान या घेरे में ही रूके व अटके ही रहते हैं और इसी फलस्वरूप जीवन में समस्यायें, अभाव बने रहते हैं। जबकि हमे निरन्तर क्रियाशील रहना है और अपनी समस्याओं को पीछे छोड़ना है। आज भी हजारो लाखों लोग आप से भी बुरा अन्धकार से भरा जीवन जी रहें हैं, क्योंकि उनके जीवन में गुरु रूपी मित्रवत् सहयोगी नहीं है, परन्तु आपके पास है, तो क्यों नही इस संयोग का उपयोग हम अपने अभावों को दूर करने में करें। अपने जीवन को उत्तम बनाये। किसी भी कार्य को सफल बनाने का एक श्रेष्ठ समय होता है, एक उत्तम काल होता है, उपयुक्त समय पर शुरु किये गये कार्य को सफल बनाने में सृष्टि में व्याप्त ब्रह्माण्डीय शक्तियां सहयोग करती हैं। ऐसा ही नववर्ष से प्रारम्भ होकर महाशिवरात्रि 13 फरवरी की रात्रि तक गुरु निर्देश से साधनायें सम्पन्न करने से जीवन में शिव-स्वरूप स्थितियों की प्राप्ति हो सकेगी।
बीते वर्ष में सद्गुरुदेव के आशीर्वाद से प्राचीन मंत्र यंत्र विज्ञान पत्रिका प्रचार का कार्य बहुत ही उत्तम रूप से हुआ, देश-विदेश में शिविर व दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन हुआ, पशुपतिनाथ मन्दिर प्रांगण नेपाल में आयोजित साधना महोत्सव, छत्तीसगढ़ में आयेाजित 21 अप्रैल व गुरु पूर्णिमा महोत्सव, बद्रीनाथ अमृत महोत्सव ऐतिहासिक स्वरूप में भारत वर्ष व विदेश के सैकड़ो शिष्यों ने भाग लिया, इसके अलावा महाराष्ट्र, गोवा, बिहार, कर्नाटक में साधना महोत्सवों का आयोजन हुआ। आगे भी गुजरात, हिमाचल व उड़ीसा में साधना महोत्सव सम्पन्न होंगे। प्राचीन मंत्र-यंत्र पत्रिका के माध्यम से प्राचीन पौराणिक ज्ञान को समाज में जन सामान्य के मध्य लाने का प्रयास किया गया। मासिक रूप से अनेक ज्ञानवर्द्धक लेख- यज्ञ का महत्व, कुण्डली ज्ञान, योग, लक्ष्य प्राप्ति क्रिया, व्रत-उपासना का महत्व, संकल्प शक्ति, रत्न ज्ञान, बच्चों में सुसंस्कार वृद्धि के भावों में वृद्धि हो सके, ऐसे ही विशिष्ट मंत्रों से आपूरित साधना व पूजन साधना विज्ञान स्वरूप में प्रकाशित किया गया।
साथ ही नववर्ष बिलासपुर छ-ग में सैकड़ो साधिकाओं को उपहार स्वरूप साडि़यां व वस्त्र साथ ही जोधपुर के अनेक प्राथमिक विद्यालयों में स्कूली छात्र-छात्रओं को स्वेटर, कापी-किताब अन्य खाद्य पदार्थ वितरण कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न किया गया, सभी साधकों के जीवट शक्ति के फलस्वरूप कैलाश सिद्धाश्रम-जोधपुर में भव्य विशाल साधना हाल का शुभारंभ अक्षय तृतीया के दिव्य चैतन्य दिवस पर सम्पन्न हुआ। ये सारी उपलब्धियां आप सभी की इच्छा शक्ति व आत्मीय सहयोग से ही सम्भव हो सकी है। इस वर्ष भी मैं आप सभी की चेतना, निष्ठा की आकांक्षा रखता हूं, जिससे हम सभी साधकों के उन्नति व सम्पन्नता के पथ का मार्ग प्रशस्त कर सकें। पूर्व वर्षों की भांति इस नूतन वर्ष में भी आप सभी पत्र/ई-मेल/फोन के माध्यम से सम्पर्क में रहेंगे व पत्रिका सम्बन्धित साधना जानकारी के लिये पत्रिका कार्यालय में सूचित करेंगे। मैं आपकी प्रकृति अनुरूप आपकी समस्याओं के समाधान करने का प्रयास करूंगा। नववर्ष की कोटि-कोटि शुभकामनायें!
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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