अधिकांश परिवारों में प्रायः देखने को मिलता है, कि स्त्रियों या पुरुषों को दौरे आते रहते हैं और वे ऊट-पटांग हरकत, सिर झटककर नाचना और ऊल-जलूल सी बातें करने लगना, ये सभी क्रियायें इतरयोनियों के प्रकोप से ही होता है। इसके साथ ही घर के किसी-किसी स्थान में जाते ही भय लगना या उस कमरे का वातावरण अजीब लगना, किसी ऐसे रोग का हो जाना, जिसका निदान डॉक्टरों को भी समझ में नहीं आता। रोग निवारण नहीं होने से जीवन में जटिलता, लम्बे समय तक उस बीमारी का बना रहना, उन्नति-प्रगति का मार्ग अवरूद्ध होना, जी-तोड़ परिश्रम करने पर भी जीवन यापन योग्य धन संग्रहित ना कर पाना।
साथ ही अनुकूल स्थितियों में भी असफलता प्राप्त होना आदि ऐसी अनेक स्थितियां होती हैं। जो इतरयोनियों के लक्षण को स्पष्ट करती हैं। साधक की समझदारी इसी में है कि वह निरन्तर ऐसी साधनात्मक क्रियाओं का आश्रय ले, जो उसे इतरयोनियों व पितृ प्रकोप से सुरक्षित कर सके।
किसी भी प्रकार की प्रेत बाधा, तंत्र बाधा हो या इतर योनियों का प्रकोप हो, हनुमान तंत्र दोष निवारण चेतना शक्ति से निश्चित रूप से उससे अनुकूलता मिलती है। हनुमान के साधक जो नियमित रूप से श्री हनुमान की आराधना करता हो, उसे तो ब्रह्मराक्षस भी दूर से ही नमस्कार करते हैं। हनुमान की चैतन्य रूप से कृपा प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ उपाय साधनात्मक क्रियाओं द्वारा ही संभव हो पाता है, क्योंकि साधनात्मक क्रिया एक ढंग होता है, पूरी प्रक्रिया होती है, किसी भी देव शक्ति को आवाहित कर उनकी चेतना शक्ति के द्वारा अपने जीवन को अनुकूल बनाने की।
महाबली हनुमान बल-बुद्धि, ज्ञान प्राप्ति के साथ-साथ सभी तरह की इतर शक्तियों, तंत्र बाधा, पितृ दोष, प्रेत बाधा से मुक्ति देने वाले महावीर स्वरूप में देव हैं। कई बार अनेक योनियों में भटकते जीवात्माओं को अनेक माध्यमों के द्वारा भगवान श्री हनुमान ही मुक्ति प्रदान करने में सहायक हैं। वास्तव में श्री हनुमान किसी भी इतरयोनि से पीडि़त जीवात्मा की मुक्ति करने में पूर्णतया समर्थ देव हैं, जिनकी चेतना आत्मसात करना साधक के लिए वरदान दायक है। श्री हनुमान एकमात्र ऐसे देव हैं, जो भूत-प्रेत, दुष्ट आत्मा आदि का शमन कर उनके जीवन को गति देते हैं। जिससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि, उन्नति, प्रगतिमय स्थितियों का निर्माण होता है। साथ ही अकारण उत्पन्न होने वाले सभी बाधाओं का पूर्णता शमन हो सकेगा।
परिवार में जिस भी सदस्य की अकाल मृत्यु हुई है उस व्यक्ति का नाम, मृत्यु तिथि भेजें साथ ही मृत व्यक्ति के कुप्रभाव से परिवार में जो भी पीडि़त है, उसका फोटो भेजें। अनर्गल क्रियाओं से पीडि़त व्यक्ति को सर्वपितृ अमावस्या दिवस पर इतरयोनि अशरीरी प्रेत बंधन मुक्ति महाबली दीक्षा प्रदान की जा सकेगी साथ ही मृत आत्मा को श्रेष्ठ योनि प्राप्त हो सकेगी।
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