जीवन की समस्त कामनाओं की पूर्ति में साधनात्मक क्रिया का आधार एकमात्र दीक्षा ही है, जो आज के युग में शीघ्र प्रभावकारी एवं फलदायी है। जिससे जीवन की अभिलाषायें पूर्ण होती ही हैं, जिसके लिए व्यक्ति प्रयासरत रहता है और जब किसी भी दीक्षा की क्रिया विशिष्ट चैतन्य अवसर पर साधनात्मक तेजस्विता के माध्यम से सम्पन्न होता है, तो उस दीक्षा का प्रभाव अक्षुण्ण रूप से साधक के जीवन में निश्चित रूप से पड़ता ही है।
जीवन में भौतिक अभाव व्यक्ति को लज्जित तो करते ही हैं साथ ही उसकी पौरुषता को एक चुनौती भी मिलती है, क्योंकि पुरुष को धन अर्जित कर परिवार का पालन-पोषण करने वाला माना जाता है और जब व्यक्ति अपने जीवन के इस मूल कर्म को पूर्णता से सम्पन्न करने में असफल होता है, तो जीवन में कोई उमंग, रस, आनन्द, चेतना वृद्धि का भाव नहीं रहता है।
इसी हेतु अभाव ग्रस्त व धनी व्यक्ति दोनों को सुस्थितियों की प्राप्ति के लिए निरन्तर श्रेष्ठ धारणमय शक्तियों की प्राप्ति के लिए ध्यान, पूजा, अर्चना, साधना, दीक्षा की आवश्यकता परम स्वरूप में रहती है। क्योंकि लक्ष्मी जिसे चंचला कहा जाता है, कब, किस मार्ग से चली जाये कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसीलिए सांसारिक जीवन में प्रत्येक व्यक्ति निरन्तर धन प्राप्ति के उपाय करता रहता है और धन प्राप्ति के लिये लक्ष्मीमय दीपावली महापर्व सर्वोत्तम चैतन्य दिवस होता है।
धन प्राप्ति अर्थात् जीवन में सुख-समृद्धि-सम्पन्नता केवल और केवल दक्षता के माध्यम से ही संभव है और दक्षता प्राप्ति हेतु दीक्षा ही सर्वोपरि स्वरूप में साधक के जीवन के लिए सर्व लाभप्रद है। जीवन में सर्व लाभमय स्थितियां तभी संभव है, जब किसी प्रकार के विघ्न, अड़चने, बाधायें नहीं आयें और निरन्तर कर्म भाव में सफलता प्राप्त हो सके।
महालक्ष्मी के रोग-शोक विनाशिनी स्वरूप का तात्पर्य है जो सभी तरह के शोक अर्थात जो भी अभाव हैं, न्यूनता, धनहीनता और रोगमय जीर्ण-शीर्ण स्थितियां हैं उनका शमन हो सके तथा सर्वहित प्रदा का अर्थ है जो सभी तरह से साधक के जीवन में सर्व कामनाओं की पूर्ति में सहयोग व हित का भाव स्थापित कर सके। इस प्रकार महालक्ष्मी जब रोग-शोक विनाशिनी सर्वहित प्रदा स्वरूप में साधक जीवन में स्थापित होती है तो उसका जीवन धन धान्य, ऐश्वर्य, समृद्धि यश, मान, श्री, वैभव आदि से परिपूर्ण होता और वह अपने गृहस्थ जीवन को सही रूप में संचालित कर पाता है।
रोग-शोक विनाशिनी सर्वहित प्रदा महालक्ष्मी दीक्षा दुर्भाग्य पूर्ण स्थितियों को मिटा देने की सर्वश्रेष्ठ क्रिया है। इस दीक्षा से धन आगमन के नवीन स्रोत, व्यापार कार्य वृद्धि के साथ ही परिवार में सुख-शांति, प्रसन्नता, आनन्द का वातावरण बनता है।
इस शक्तिपात दीक्षा को दीपावली की रात्रि अमृत लाभ बेला में पूज्य सद्गुरुदेव टैलीपैथी के माध्यम से सभी समर्पित श्रेष्ठ साधकों को प्रदान करेंगे। दीक्षा सुनिश्चित कराने हेतु दीक्षार्थी का फोटो व पूर्ण पता कैलाश सिद्धाश्रम जोधपुर में समय से भेज दें।
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