दत्तात्रेय तंत्र के विषय में कहा जाता है कि शिव ने अपने पुत्र दत्तात्रेय द्वारा की गई तपस्या के वरदान स्वरूप उन्हें जिस तंत्र का ज्ञान दिया, वही ज्ञान कालान्तर में दत्तात्रेय तंत्र के नाम से विख्यात हुआ, वास्तव में यह ग्रंथ शिव-दत्तात्रेय संवाद है। इसके मूल ग्रन्थ में 651 श्लोक है और प्रत्येक श्लोक एक-एक तंत्र को स्पष्ट करते हैं। वैसे तो संसार में यन्त्र, मन्त्र और तन्त्र से सम्बन्धित अनेक विद्यायें है, जो कि पुराण, वेद, डामर, उड्डीश, मारी, काली, चण्डेश्वर, उच्छिट, धारा आदि स्वरूप में प्राप्त होती है, यह सभी विद्यायें तंत्र विद्यायें कही गयी हैं। परन्तु ये सभी विद्याये पूर्णता कीलित हैं, इनमें उल्लेखित साधनायें शक्तिहीन होने के कारण प्रभाव नहीं दिखाया करतीं हैं, जब तक कि उनका उत्कीलन ना किया जाये।
उक्त चर्चा से यह स्पष्ट हो चुका है कि दत्तात्रेय तंत्र की कलियुग में क्या महत्ता है दत्तात्रेय प्रणीत तांत्रोक्त धनदा यक्षिणी शक्तिपात दीक्षा एक ऐसी दीक्षा है, जिसका शत प्रतिशत लाभ प्राप्त होता ही है। यह शक्तिपात दीक्षा सांसारिक जीवन के अभावों का शमन कर समृद्ध जीवन प्रदान करने में समर्थ है और जीवन के प्रत्येक कार्य में सफलता प्रदान करने में सहायक है।
यक्षिणियों की गणना देव वर्ग में होती हैं, जिनकी सानिध्यता प्राप्त करने से साधक के भीतर देवमय भावों का जागरण होता है। इनके द्वारा आनन्दप्रद जीवन, प्रचुर मात्र में धन की उपलब्धता, गृहस्थ जीवन में मधुरता, अन्न भण्डार व आर्थिक आय में स्थायित्व की सुस्थितियों का लाभ प्राप्त होता है। इसके साथ ही साधक में सम्मोहन, वशीकरण, आकर्षण आदि की चेतना व्याप्त होने लगती है, उसके व्यक्तित्व में प्रखरता व दिव्यता का संचार हो जाता है और सभी प्रकार के सुख, भोग-विलास का अधिकारी बन जाता है। सांसारिक जीवन में ऐसी दिव्य चेतना आत्मसात करने से दैवीय स्वरूपिणी यक्षिणी चैतन्य भाव में साधक के जीवन को निरन्तर सभी दृष्टियों से उच्चता प्रदान करने में सहायक बनी रहती है।
दत्तात्रेय तंत्र एक ऐसा ही ग्रन्थ है, जिसमें सांसारिक जीवन की सभी बाधाओं, कष्टों से निजात पाने का सम्पूर्ण विधान बताया गया है, इस ग्रन्थ में भूत-प्रेत सिद्धि, आकर्षण, रसायन विज्ञान, बुद्धि-वृद्धि, निधिश दर्शन, संतान उत्पत्ति, बाधा निवारण, यक्षिणी साधना, कामना पूर्ति, स्तंभन, मोहन, वशीकरण, विष बाधा निवारण, गर्भ रक्षा, मारण और रति आदि क्रियाओं से युक्त दत्तात्रेय धन प्रदायक चन्द्रिका यक्षिणी दीक्षा ग्रहण करने से उक्त सुस्थितियों की प्राप्ति हो सकेगी।
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