बहुत से ईर्ष्यालु व्यक्ति, रिश्तेदार, मित्र आदि इस तरह के भूत-प्रेत बंधन क्रिया भी सम्पन्न करवाते हैं, जिसके कारण भी जीवन नारकीय बन जाता है। कारण अनेक हो सकते हैं, स्वरूप भी अनेक हो सकते हैं। कारण और स्वरूप कोई भी हो इन तामसिक शक्तियों के कारण व्यक्ति का जीना दूभर हो जाता है और वह दर-दर की ठोकरे खाता हुआ अंततः समाप्ति की ओर अग्रसर होने लगता है। ये शक्तियां ही गुप्त शत्रु की श्रृंखला में आती हैं, जो अदृश्य रूप से जीवन को छिन्न-भिन्न कर देती हैं।
नृसिंह शक्ति इन्हीं गुप्त और पैशाचिक वृत्ति वाले दुष्टों के संहार का अभिप्राय है। हिरण्याकश्यप रूपी पैशाचिक शक्ति को केवल नृसिंहमय चेतना से परास्त किया जा सकता है और साधक अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से युक्त कर देव शक्तियों के माध्यम से जीवन में विजय प्राप्त कर पाता है।
भगवान नृसिंह असुरी शक्तियों के प्रकोप को पूरी तरह समाप्त कर जीवन में निर्भयता प्रदान करते हैं, जिससे साधक समृद्ध, सुखद व उन्नतशील जीवन की आकांक्षा पूर्ण कर पाता है।
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