ऐलोवेरा को अक्सर सौंदर्य बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसमें औषधीय गुणों का खजाना भी है। यह विटामिन बी 12 का अच्छा स्रोत है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला, डायबिटीज रोगियों के लिए और एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल व एंटीवायरल के साथ ही दर्द निवारक गुणों के कारण यह पौधा काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
बड़े काम का जेलः एलोवेरा का जेल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही गुणकारी होता है। कई बीमारियों में इसके जूस का सेवन किया जाता है, लेकिन अधिकतर रोगों में इसका ताजा जेल रामबाण का काम करता है।
आर्थराइटिस में उपयोगीः आर्थराइटिस के रोगियों के लिए भी ऐलोवेरा जेल का सेवन करना काफी उपयोगी होता है। इसमें इम्यूनो जैसे गुण होते हैं, जिससे ये शरीर में एंटीबॉडीज घटक और श्वेत रक्त कणों के निर्माण प्रक्रिया में मदद करता है। साथ ही सूजनरोधी असर भी दिखाता है। इसलिए ऐलोवेरा जेल आर्थराइटिस या किसी सूजन के लिए काफी फायदेमंद होता है।
यूटीआई में असरदारः यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) में ऐलोवेरा जेल काफी असरदार साबित होता है। किसी को ऐसी समस्या होने पर ताजे जेल को थोड़े से पानी और शक्कर के साथ घोलकर रस बना लें। इस पानी के सेवन से इन्फेक्शन की समस्या और यूरिन के दौरान होने वाली जलन से भी निजात मिलती है।
आज कल ज्यादा मिर्च-मसाले वाला और बाहरी खाना खाने से पाचन तंत्र खराब हो जाता है। ऐसे में अगर ऐलोवेरा का जूस पिया जाए, तो काफी हद तक पेट संबंधी परेशानियों से आराम मिल सकता है। इस जूस में लैक्सटिव (पेट साफ करने की प्राकृतिक दवा) होता है, जो पाचन क्रिया में मदद करता है। यह पाचन तंत्र को साफ करता है और कब्ज व आईबीएस (आंत सम्बन्धी बीमारी) को ठीक करता है। यहां तक कि यह पेट के अल्सर में भी आराम पहुंचाता है।
आज कल हर दूसरे या तीसरे व्यक्ति को मोटापे की समस्या होती है। बाहर का खाना और सही ढंग से शारीरिक क्रिया न करने से कई लोग वजन बढ़ने की समस्या से परेशान है।
ऐसे में अगर ऐलोवेरा जूस का सेवन किया जाये, तो कुछ हद तक इस परेशानी से छुटकारा मिल सकता है। ऐलोवेरा में एंटी- इन्फ्रलेमेटरी गुण होता है, जो वजन को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। शोध के मुताबिक ऐलोवेरा का सेवन आहार प्रेरित मोटापे को भी कम करता है। यह ऊर्जा खपत को बढ़ाता है और शरीर में फैट को जमने से कुछ हद तक कम करता है।
इन दिनों डायबिटीज की समस्या भी आम हो गई है। एक समय था जब डायबिटीज तय आयु के बाद या अनुवांशिक हुआ करती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज डायबिटीज किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि समय रहते इस पर ध्यान दिया जाए और अगर डायबिटीज है, तो उसे संतुलित कैसे रखा जाए।
डायबिटीज में योग व व्यायाम तो जरूरी ही है, साथ ही नियंत्रित खान-पान भी जरूरी है। अगर डायबिटीज के मरीज अपने आहार में ऐलोवेरा शामिल करेंगे, तो डायबिटीज से काफी हद तक राहत मिलेगी। ऐलोवेरा के सेवन से डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर के स्तर में गिरावट नजर आई है।
आजकल हर दूसरा व्यक्ति तनाव से ग्रसित है। ऐसे में जरूरी है कि योग व व्यायाम के साथ-साथ खानपान पर भी ध्यान दिया जाए। एक अध्ययन के मुताबिक, जिन व्यक्तियों के आहार में ऐलोवेरा शामिल था उन लोगों की स्मरण शक्ति बेहतर हुई और तनाव कम हुआ। यह असर ऐलोवेरा में मौजूद सैकराइडस की वजह से हुआ।
बदलते मौसम के साथ-साथ कई बार लोग जल्दी बीमार हो जाते हैं। ऐसे में एलोवेरा का सेवन आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार हो सकता है। यह कोशिकाओं को नाइट्रिक ऑक्साइड और साइटोकिन्स का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करता है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करते हैं।
ऐलोवेरा जूस, रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने का काम बहुत अच्छे से करता है। आप सोने से पहले ऐलोवेरा जूस पी सकते हैं। सोते समय ऐलोवेरा आपके शरीर में अपना काम करना शुरू कर देता है। जब आप लगातार इसका सेवन करने लगेंगे, तो आपको अपने अंदर फर्क महसूस होने लगेगा। कुछ अध्ययन के अनुसार, ऐलोवेरा का सेवन सेलुलर और “यूमोरल (शरीर में एक प्रकार का द्रव्य) इम्यून को उत्तेजित कर सकता है। वही, नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार, ऐलोवेरा जेल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के रूप में कार्य कर सकता हैं। यही काम ऐलोवेरा जूस भी करता है।
भारतीय अध्ययन से पता चला है कि ऐलोवेरा दिल की समस्याओ खासकर डॉक्सोरूबिसिन दवा (कैंसर उपचार के लिए उपयोग की जाती है) के दुष्प्रभाव से होने वाली समस्याओं को कम कर सकता है। ऐलोवेरा, कार्डिओप्रोटेक्टिव गतिविधि करता है। अगर ऐलोवेरा का सप्लीमेंट के तौर पर डायबिटीज में सेवन किया जाए, तो ब्लड प्रेशर कम होता है, ऐलोवेरा एथेरोस्क्लेरोसिस को रोक सकता है। एथेरोस्क्लेरोसिस में धमनियां संकुचित हो जाती है और शरीर में रक्त प्रवाह कम हो जाता है, जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है।
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