दरअसल कम फाइबर व ज्यादा कार्बोज वाला भोजन हमारे शरीर में शर्करा जैसा काम कर जल्दी पचकर रक्त शर्करा स्तर को बढ़ा देता है। फाइबर की कमी डायबिटीज ही नहीं, हृदय रोग, कैंसर तथा पाचन संस्थान की गंभीर बीमारियों को पैदा कर सकती है, शोधों के अनुसार, अनाज के सम्पूर्ण तत्व न ग्रहण करने पर पेट व बड़ी आंत का कैंसर होने का भारी जोखिम होता है। स्तन कैंसर का एक कारण फाइबर रहित भोजन करना है, अनाज के सम्पूर्ण तत्व बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा कवच बनाते है। सफेद ब्रेड में उसकी कमी पायी जाती है, 16 वयस्क मरीजों के अध्ययन में पाया गया कि नर्म मुलायम सफेद ब्रेड ब्लड शुगर के स्तर को काफी बढ़ा देती है, जबकि साबूत गेहूं ब्लड शुगर के स्तर को कम प्रभावित करता है।
अतः भोजन में चोकरदार आटा खाया जाना चाहिये। यदि अनाज को पिसवाने का समय न हो तो भी बाजार में उपलब्ध चोकर वाले आटे को ही लिया जाये अथवा चक्की वालों से अतिरिक्त चोकर लेकर उसे छानकर मिला दिया जाये, चोकर को भूनकर रखने से जल्दी खराब नहीं होता, इसे सब्जी, गेहूं, चावल के साथ आसानी से मिलाया जा सकता है। इससे कब्ज की समस्या से भी हमेशा के लिये छुट्टी मिल जाती है, यदि ब्रेड खानी ही पड़े तो ब्राउन ब्रेड जो समूचे गेहूं की रोटी व सफेद ब्रेड के बीच की कड़ी है, वह ली जाये, इसमें गेहूं का चोकर, छिलका आदि की पूरी मात्रा न सही, थोड़ी मात्रा होती है, बाजार में इसे व्होल व्हीट रिच ब्रेड कहते हैं। इसमें भ्रूण, विटामिन, खनिज लवण भी अलग से मिलाये जाते हैं, वैसे कैलोरी की दृष्टि से एक ब्रेड का पीस एक रोटी के बराबर कैलोरी देता है, प्रायः हम इसे हल्का मानकर ब्रेड के कई पीस खा जाते हैं, जिससे पेट भी नहीं भरता और अतिरिक्त कैलोरी शरीर में पहुंचकर मोटापे की समस्या को जन्म देती है, इसी प्रकार मैदे में मीठा मिलने से एक पीस केक व पेस्ट्री भी 3-4 रोटियों के बराबर कैलोरी देती है।
सफेद ब्रेड को ज्यादा नरम, स्वादिष्ट व अधिक समय तक ताजा रखने के लिये इसमें अनेक रसायन, जैसे- पाली पैक्सी एथलीन, अमोनियम सल्फेट, प्रोपियोनिक एसिड, नाइट्रोजन क्लोराइड, क्लोरीन डायआक्साइड जैसे स्वास्थ्य के लिये हानिकारक रसायनों का प्रयोग किया जाता है। वैज्ञानिकों ने ब्रेड की रासायनिक जांच में निम्न रसायनों की उपस्थिति पाई, कैल्शिम थ्रोपियोनेट, मोनो ग्लीसराइडस, पोटैशियम ब्रोमेट, क्लीरेमिन टी, पोटेशिम एल्यूमिनियम सल्फेट, सोडियम बैन्जोएट, ब्यूटाइलेटेश हाइड्रोक्सी, एनीसोल।
उक्त अनेक रसायन स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है, अतः ब्रेड खायें तो स्थानीय बेकरी की ताजा आटे की बनी ब्राउन ब्रेड ही खायी जाये जो विश्वसनीय दुकानदार के पास उपलब्ध हो, बाहर की अधिकतर ब्रेड में निश्चित ही रसायन मिले होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिये धीमे जहर का काम करते है, यह ब्रेड कब्ज, बवासीर के साथ-साथ रक्त की आम्लीयता को बढ़ा देती है, जिससे विभिन्न रोगों की नींव पड़ती है।
आज आधुनिक युग की बढ़ती रफ्रतार व भाग दौड़ वाले जीवन में जहां समय की कमी का रोना रोया जाता है, वहां पर सफेद ब्रेड व मैदे से बने जंक फूड का प्रयोग बहुत अधिक हो चुका है। रेडी टू ईट फूड कॅार्नर व रेस्टोरेन्ट आज शहर व कस्बों के कोने-कोने में पांव पसार चुके हैं, जहां बच्चों, युवाओं व कामकाजी स्त्री-पुरुषों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। इन जंक फूड्स में न केवल कैलोरी अधिक मिलती है, अपितु ऐसे खाद्य प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण, रेशा आदि से वंचित होते है, इससे मोटापा बढ़ने के साथ-साथ अनेक बीमारियां शुरू हो जाती है।
आल इंडिया इंस्टीटयूट मेडिकल साइंस के सर्वे में यह निष्कर्ष निकाला कि जो फास्ट फूड के शौकीन हैं, उनमें से अधिकांश विटामिन जन्य रोगो, जैसे- एनीमिया, नेत्र रोग, अस्थि रोग, दंत रोग आदि के शिकार होते हैं। इसके अलावा फाइबर की कमी से कब्ज, पेचिश, अल्सर, अांत का कैंसर, बवासीर, एपिंडिसाइटिस, हर्निया, पथरी जैसे रोगों का आरम्भ हो जाता है।
फास्ट फूड में कार्बोज, शक्कर और नमक ज्यादा मात्रा में होता है, लिहाजा इसके सेवन से डायबिटीज, हाई बीपी, हृदयरोग, हड्डियों की कमजोरी उत्पन्न हो सकते हैं, फास्ट फूड के कारण शरीर में ग्लूकोज तथा सोडियम आदि का संतुलन बिगड़ने से एड्रिनलिन हारमोन के ड्डाव में वृद्धि हो जाती है, जिससे खतरा बढ़ जाता है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,