विवाह एक सामाजिक-पारिवारिक आत्मीय सम्बन्ध है। प्रायः सभी युवक-युवतियों को इस सम्बन्ध को स्थापित कर अपने दांपत्य जीवन की शुरूआत करनी होती है। युवक-युवती की वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत हो इसकी कामना सभी को रहती है। इसके लिए अनेक ज्योतिषीय विचार करने के बाद युवक-युवती का विवाह तय किया जाता है। अगर स्त्री- पुरूष के विचारों में मतभेद, एक-दूसरे के प्रति प्रेम का अभाव व दोनों का असहयोगमय व्यवहार हो तो ऐसे विवाह का कोई औचित्य नहीं रह जाता। स्त्री और पुरूष के हाथ की रेखाओं एवं अन्य शुभ लक्षण देखकर सुन्दर मेलापक के लिए जन्म मास द्वारा सुन्दर और सुखमय विवाह योग बनता है, जिसका हमें अपने जीवन में उपयोग करना चाहिये।
कार्तिक मास में जन्में स्त्री-पुरूष का विवाह वैशाख, आषाढ़ या फाल्गुन में उत्पन्न स्त्री-पुरूष के साथ करने से उनका दांपत्य जीवन सुखमय और खुशहाल रहता है।
चैत्र मास में उत्पन्न युवक-युवती का विवाह संबंध आश्विन या मार्गशीष में जन्म लेने वाले के साथ होने से सभी प्रकार का दांपत्य सुख और सौहार्दमय बनता है।
फाल्गुन मास में जन्में स्त्री-पुरूष का विवाह आषाढ़, भाद्रपद या कार्तिक महीने में जन्म लेने वाले स्त्री-पुरूष के साथ उत्तम एवं सुख-सौहार्द के साथ व्यतीत होता है।
वैशाख महीने में उत्पन्न युवक-युवती का विवाह संबंध भादो, कार्तिक या पौष में जन्मे युवक-यवती के साथ होना आपस में सुखमय रहता है।
माघ मास में उत्पन्न युवक-युवती का विवाह श्रावण सावन आश्विन में जन्में युवक-युवती के साथ होने पर दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है।
ज्येष्ठ मास में उत्पन्न युवक-युवती का विवाह अगहन, माघ या आश्विन माह में युवक-युवती से करने से जीवन आनन्दमय रहता है।
पौष माह में उत्पन्न युवक-युवती का विवाह वैशाख, आषाढ या भाद्रपद महीने में जन्म लेने वाले युवक-युवती से करने व आषाढ़ माह में जन्म लेने वाले युवक-युवती का विवाह कार्तिक, पौष या फाल्गुन के जातक से धन-धान्य युक्त स्थितियों की प्राप्ति होती है।
आश्विन मास में उत्पन्न युवक-युवती का विवाह माघ, चैत्र या ज्येष्ठ मास में उत्पन्न युवक-युवती के साथ होने पर जीवन सुखमय होता हैं।
श्रावण मास में उत्पन्न युवक-युवती का संबंध मार्गशीष माघ व चैत्र में जन्म लेने वाले युवक-युवती के साथ करने अच्छा माना जाता हैं।
भाद्र मास में जन्म लेने वाले युवक-युवती का विवाह संबंध वैशाख, पौष, फाल्गुन मास में जन्म लेने वाले युवक- युवती से करने से वैवाहिक जीवन आनन्दमय बना रहता है।
ज्योतिष शास्त्र में उपरोक्त वर्णन के अनुसार युवक- युवती का विवाह जन्म माह के अनुसार करने से घर-गृहस्थी उत्तम चलती है। आज-कल कुण्डली आदि का विचार करना अधिक कठिन होता जा रहा है, क्योंकि आयु को छिपाने के लिए नकली कुण्डली बना ली जाती हैं।
पति-पत्नी का जीवन असहज सा हो जाता है, साथ ही वे एक-दूसरे को प्रताडि़त करते रहते हैं। साथ ही कुण्डली मिलान के अभाव के कारण दोनों परिवार के सभी सदस्यों के एक विचार एकरूपता न होकर खीच-तान बढ़ती जाती है।
विवाह संबंध बिगड़ जाते हैं तथा अटूट संबंध कहा जाने वाला विवाह संबंध टूटकर तार-तार हो जाता है।
अतः दोनों परिवारो की इच्छाओं-भावनाओ को ध्यान में रखते हुये, अनुकूल वैवाहिक जीवन प्राप्ति हेतु साधनात्मक विधि-विधान, पूजा, अर्चना, नवग्रह, नक्षत्र पूजन अवश्य करना चाहिये।
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