जबकि चितंन सकारात्मक होना चाहिए, जीवन और समाज को एकाकी भाव से परिपूर्ण करने की चेष्टा, भावना होनी चाहिए। भारतीय शास्त्र व संस्कृति का मंथन किया जाये तो प्रारम्भ से लगाकर आज तक भारतीय विचारधारा व चिन्तन मूल रूप से ज्ञान की प्राप्ति कर जनसामान्य को ज्ञान से परिपूर्ण करने की भावना रही है और यह ज्ञान हमे गुरु द्वारा ही प्राप्त होता है, आदि काल से आज तक सभी संस्कृति व सम्प्रदाय के लोग भारत वर्ष में अपने गुरु और वास्तविक ज्ञान को खोजते आये हैं, चाहे वे हेनत्सांग हों, मार्को पोलो हों या आज के युग में स्टीव जाब्स और मार्क जुकरबर्ग, ये सभी गुरु के सानिध्य में जीवन का मर्म समझना चाहते थे।
जब हम सद्गुरुदेव के समीप बैठते हैं, उनका चिन्तन करते हैं तो सद्गुरुदेव हमे कुछ सीखातें हैं। उनके ज्ञान मंथन से जो ज्ञान मोती प्राप्त होता है उसी से हमारी जिज्ञासाओं का समाधान होता है। जब हम सद्गुरुदेव का चिन्तन करते हैं तो हमारे चेहरे पर एक स्वर्णिम आभा छा जाती है, एक ही समय पर मुस्कुराहट और अश्रु दोनों निकल जाते हैं, मन-हृदय भाव-विभोर हो जाता है। आप सभी सांसारिक बन्धनों में जकडे़ हुये, परेशानियों और अभावों से ग्रस्त हैं, सभी इस मल-मूत्र से भरे जीवन को त्याग आकाश में उड़न चाहते हैं, जीवन में पूर्णता चाहते हैं, ये दोनो मार्ग हमें अलग-अलग और कठिन लगते हैं और इसे सरल-सुगम मात्र सद्गुरुदेव ही बना सकते हैं। सद्गुरुदेव ने अपना सम्पूर्ण जीवन साधकों के कल्याण हेतु, सभी को एक ही दृष्टी से अपनाकर अपना मानस पुत्र-पुत्री स्वरूप माना हैं, किसी में भी कोई भेद-भाव नहीं किये बगेर अपना पूर्ण ज्ञान प्रदान किया है। सद्गुरुदेव के सानिध्य में हम धन, यश, मान, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, पुत्र, पौत्र, भवन, भोग तो प्राप्त कर ही सकते हैं, साथ ही कुण्डलिनी जागरण, शक्तिपात, साधनात्मक सिद्धि, पूर्णता के मूल ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं।
हमें अपने जीवन को, विषमताओं से भरे दुखों को घसीटना नहीं है, जीवन में अभावों से ग्रस्त नहीं रहना है, पूर्ण रूप से सुखी-सन्तोषी गुरूमय जीवन जीना हैं। इस वर्ष 21 अप्रैल को हम सद्गुरुदेव निखिल जन्मोत्सव पूर्णता दिवस स्वरूप, महासिद्धियो की प्राप्ति के रूप में सम्पन्न करने दुर्ग छत्तीसगढ़ में एकत्रित हो रहें हैं, यह दिवस सभी के लिये अन्धकार समाप्त कर पूर्णता प्राप्त करने का दिवस है और सद्गुरुदेव रूपी ज्ञान ज्योति का इस धरा पर अवतरण दिवस है। आप सभी का पूर्ण हदय भाव से स्वागत है, इस दिवस को हम सभी मिलकर सद्गुरुदेव की ज्ञान, चेतना, ऊर्जा को आत्मसात कर सम्पन्न करेंगे, जो हमारे जीवन में एक अमिट स्मृति बन सकेगा।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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